Friday, September 15, 2017

South facing plot पर भवन निर्माण कैसे करे

South facing plot पर भवन निर्माण कैसे करे ।
        वर्तमान समय मे कुछ लोगो का मानना है कि दझिण मुखी भवन शुभ फलदायक नही होते है जबकि ऐसा कुछ नही होता है सभी दिशाये ईश्वर द्वारा प्रकृति के  बनाये गये  नियमो पर आधारित है तो कोई दिशा गलत कैसे हो सकती है हाँ  इतना जरुर है कि दिशा कोई भी क्यों न हो अगर वहाँ भवन निर्माण वास्तु के नियमो को ध्यान मे रखकर बनाया गया है तो वह शुभ फलदायक होगी । वास्तु के नियमो का उद्देश्य सुख शांति सम्पत्ति वृद्धि व प्रसन्नता प्रदान करना होता है अतः भवन निर्माण मे वास्तु के नियमो का ध्यान रखा जाना आवश्यक हो जाता है ।  
            दझिण मुखी प्लाट पर भवन निर्माण करते समय निम्न बातो का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक हो जाता है..
1...दझिण मुखी भवन मे रहने वाले लोगो का मेन गेट s-2,s-3,तथा फैक्टरी आदि के लिए s-3 या s-4 मे बनाया जाना अत्यधिक फलदायक होता है ।
2...दझिण मुखी प्लाट पर कम्पाउणङ वाल व घर का मुख्य द्वार दझिण आग्नेय मे रखे ।किसी भी कीमत पर दझिण नैतृतव मे न रखे ।क्योंकि दझिण नैतृतव मे द्वार रखकर वास्तु अनुकूल भवन का निर्माण कर पाना असंभव है ।  
3...किसी भी प्रकार के भूमीगत टैंक जैसे वाटर टैंक ,बोरिग ,कुआँ इत्यादि केवल उत्तर दिशा ,उत्तर ईशान , व पूर्व दिशा के बीच ही कम्पाउणङ वाल के साथ बनवाये ।
4...सैपटिक टैंक वायव्य पश्चिम मे ही बनवाये ।सैपटिक टैंक ईशान दिशा मे तो भुलकर भी न बनवाये ।  
5...नैतृतव कोण किसी भी तरह बढा हुआ या नीचा नही होना चाहिये ।
6...प्लाट पर भवन निर्माण करते समय इस बात का खास ध्यान रखे की भवन का ईशान कोण किसी भी तरह कटा,घटा,गोल,व ऊँचा इत्यादि नही होना चाहिये ।    
7...प्लाट पर बनने वाले भवन की ऊंचाई 1.1/2 या 2 फीट ऊँची अवश्य रखे ।
8...फर्श की ढलान उत्तर ,पूर्व या ईशान कोण की तरफ अवश्य होनी चाहिये ।
9...पानी का over head tank नैतृतव दिशा मे ही बनवाये ।      
10...आग्नेय कोण के कमरे मे शयनकक्ष होने से पुरुष वगॅ के स्वास्थ्य व समृद्धि मे प्रतिकुलता पैदा होती है तथा पति पतनि मे वैचारिक मतभेद भी उत्पन्न होते है ।
11..पीङित मंगल के लोगो को स्वयं के नाम का मकान नही बनाना चाहिये विशेषकर दझिण मुखी तो हरगिज नही ।
12...दझिण दिशा मे सामान्यतः शयनकक्ष ,रसोईघर ,सीढिया storeभार युक्त सामग्री ,स्थल बनाया जाता है ।
13...दझिण दिशा अन्य दिशाओ की तुलना मे भारी व ऊँची होनी चाहिये ।

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