Sunday, September 24, 2017

धनु लग्न

धनु लग्न
यह लग्न देव गुरु बृहस्पति का है यह एक अग्नितत्व लग्न है दो स्वभाव लग्न है इस लग्न में तपस्या है खुद को जलाना है ज्ञान की आग में , धनु लग्न में गुरु जहा लग्नेश होता है वहा मन का स्वामी भी होता है यह लोग विशाल मन के होते है इनका मन और तन दोनों बिलकुल साफ़ सुथरे होते है जैसे यह ऊपर से होते है वैसे यह अंदर से होते है, बे वजह किसी का दिल नहीं दुखाते यह लोग ज्ञान से इनको बहुत प्यार होता है और ज्ञानके पीछे यह हमेशा भागते है सबको प्यार और रेस्पेक्ट देते है पर क्रोध और गुस्साइनके अंदर बहुत होता है क्योकि गुरु तत्व होने के कारण यह गलत बात बर्दाश्त नहीं कर पाते है।
 गुरु लग्नेश और सुखेश है इस लगन के लिए गुरु शुभ है अगर गुरु लगन में ही हो तो कुंडली के बहुत सारे दोष दूर कर देता है केंद्र या त्रिकोण में यह बहुत अच्छे शुभ फल प्रदान करता है मान सम्मान उच्च लोगो के साथ सबंध अगरयह शुभ प्रभाव में है तो।
शनि 2 भाव और 3 का स्वामी है शनि 2 का फल ना करके 3 का ज्यादा करेगा स्थांतरण फलित करेगा शनि मारक है और3 भाव अशुभ है अपनी वाणी पर इनका कंट्रोल होना बहुत जरुरी है क्योकि वाणीका स्वामी शनि है अगर शनि कुंडली में खराब हुआ वाणी दोष देगा बोलने पर इनका संयम बहुतजरुरी है शनि अगर कुंडली मेंअच्छी जगह है 11 भाव में उच्च है या 2 भाव मेंहै शुक्र शनि की युति है यह धनदायहोती है
शनि 2 भाव और शुक्र 11 भाव का स्वामी है धनेश और लाभेश के साथ होनेकी वजह से शनि की महादशा में धनिकी प्राप्ति वो भी मेहनत के साथ होसकती है शनि की दशा में अक्सरपरेशानी का सामना भी करना पड़ सकता हैअगर शनि कुंडली में खराब हुआ तो इनकीबेसिक एजुकेशन खराब हो सकती है। शनिकी दशा प्लेसमेंट कैसी है शनि की इस बात पर निर्धारित है।मंगल 12 भाव और 5 का स्वामी है मंगल 12 भाव काफल न करके 5 भाव का फल जायदा करेगा मंगल शुभ है इनके लिए मंगल की दशा में अच्छी एजुकेशनअच्छी संतान विदेश यात्राओ का लाभ मिलता है मंगल लग्नेश गुरु का मित्र भी है त्रिकोण का स्वामी भी है इसकी दशा शुभ है अगर यह सही जगह और शुभ प्रभाव में है।शुक 6 और 11 भाव स्वामी है 6 से 6 होने के कारण11 भाव से भी वो ही फल प्राप्त होते है जो 6 से होते है  शुक्र रोग चोट एक्सीडेंट यह गुरु का लग्न है शुक्र इसकी छवि बिगाड़ने की कोशिश करता है परस्त्री से दूर रहे गलत सम्बन्ध नहीं बनाये औरतो से क्योकि शुक्र रोगेश है इनको hiv की बीमारी जल्दी लगसकती है शरीर में पथरी होनायोन रोग होना शुक्र की दशा शुभ नहीं है।बुध 10 भाव और 7 भाव का स्वामी है केन्द्राधिपतिदोष इसको लग जाता है शुभ गृह केंद्र के स्वामीहोकर अपनी शुभता को कम कर देते है पर अगरइनकी प्लेसमेंट अच्छी हो यह बहुत अच्छा फल भी प्रदान कर सकते है त्रिकोण के
स्वामी के साथ सूर्य और बुध की युतिराजयोग कारक होती है सूर्य 9 भाव कास्वामी बुध कर्मेश होता है केंद्र त्रिकोण केस्वामी है यह राजयोग देती है अगर लग्न नवम और दशम भाव में यह युति हो विशेष फल दायकहोती है।चंद्रमा 8 का स्वामी है चंद्रमा को अष्टमेश होनेका.दोष नहीं लगता चंद्रमा देवता गृह है देव गृहकभी भी आयु का नुक्सान नहीं करते पर चंद्रमा पर अशुभ प्रभाव नहीं होना चहिये शुक्र चंद्रमा की युति बीमारिया या फिर आयु की हानि कर सकती है
सूर्य 9 भाव का स्वामी है सूर्य अगरअच्छी जगह है शुभ प्रभाव में है।अपनी दशा में भाग्य उदय करता है भाग्य को राजसी बना देता है सरकार से फायदा करवाता है सरकारी नौकरी दिलवाता है उच्च लोगो से सम्बन्ध बनवाता है इसकी दशा में भाग्य उदय होता है सूर्य शुभ है इनके लिए।

3 comments:

  1. आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है पर क्या कुम्भ लग्न की कुंडली में क्या प्रभाव पड़ेगा -
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  2. Sir meri kundli me shukra or chandrama ki yuti saptam bhav me hai ..kya mujhe bhi aayu hani hogi?

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  3. Hello sir
    My self Gajendra from jaipur-raj.

    22/12/1980 7:55 AM
    Business kafi time se bund hai kuch upaye batye

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