कुंडली में मंगल शुक्र युति का फल
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आज के आधुनिक युग में जितना महत्व इन दोनों के योग को दिया जाता है उतना शायद अन्य किसी के योग को नही | जैसा की आपको पता चल रहा है और वर्तमान समय में भक्ति के स्थान पर काम भावना भोग विलास ज्यादा हावी है | ऐसे में लगभग हर इंसान एक अच्छे भोग विलास का आनन्द लेना चाहता है तो इन दोनों का योग जातक के अंदर ज्यादा काम भावना देता है | शुक्र जातक को हर प्रकार का भोतिक सुख देता है और मुख्य रूप से काम सुख का कारक होता है लेकिन जब तक शरीर में मंगल की उतेजना न हो उस सुख का पूर्ण आनन्द जातक के द्वारा नही लिया जा सकता | शुक्र पुरुष की कुंडली में पत्नी का कारक होता है तो मंगल स्त्री की कुंडली उसके पुरुष मित्र का कारक होता है और इसी कारक यदि पुरुष की कुंडली में ये योग हो और शुभ सिथ्ती में हो तो उसे स्त्री वर्ग से विशेष सुख दिलाता है जबकि स्त्री की कुंडली में उसके पुरुष मित्रों से सुख दिलवाता है लेकिन स्त्री की कुंडली में ये पति पत्नी के विचार आपस में बहुत कम मिलने देता है और दोनों में आपसी तनाव पैदा करता है क्योंकि मंगल अंहकार कका कारक ग्रह भी होता है ऐसे में महिला जातक में अंहकार की भावना सामान्य से ज्यादा होती है ।
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मंगल हमारे शरीर में खून का कारक ग्रह है और शुक्र वीर्य का | जब तक शरीर में खून की उचित मात्रा नही होगी वीर्य की कमी का सामना जातक को करना पड़ जाता है।
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शुक्र घी तो मंगल शहद होता है और जैसे अलग अलग बीमारियों में इन दोनों का अनुपान भेद से प्रयोग किया जाता है लेकिन जब इन दोनों को समान मात्रा में मिला दिया जाता है तो वो जहर बन जाता है इसीप्रकार जैसे इन दोनों का योग लाभ देता है तो इन दोनों का योग हानिकारक भी बन जाता है और जब इनका योग दुष्फल दे रहा हो तो जातक चरित्र हीन हो जाता है | इन दोनों की युति लग्न में हो और त्रिसांस कुंडली में भी इनका सम्बन्ध बन रहा हो तो जातक या जातिका के पराये मर्द स्त्री से सम्बन्ध बनने के चांस बहुत ज्यादा रहते है \ शुक्र शरीर में वीर्य है तो वीर्य बढाने वाली बहुत सी दवाइयां शहद {मंगल } के साथ ली जाती है | शरीर में उतेजना जोश मंगल ही देता है |
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इन दोनों का योग हो और उसे बृहस्पति देखें तो बहुत ही उत्तम लक्ष्मी होगी जो सभी के काम आएगी इसी प्रकार इन दोनों के योग पर चन्द्र की नजर हो तो भी उत्तम फल मिलेगा | लेकिन इन दोनों के साथ ही चन्द्र भी आ जाए तो जातक को अंत्यंत चंचल परवर्ती का बना देता है और जातक पर स्त्री या पर पुरुष की तरफ बहुत जल्दी आकर्षित हो जाता है।
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यदि इन दोनों के साथ ही बुद्ध हो या फिर पापी ग्रह शनी राहू या केतु की दृष्टी हो तो इन दोनों का योग शुभ फल देने में सक्षम नही रहता | ऐसे में जातक को अवैध सम्बन्ध के कारण कई बार बदनामी तक का सामना करना पड़ जाता है।
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रिश्तोंमें हम देखें तो शुक्र पत्नी तो मंगल भाई यानी की देवर भाभी का साथ और आपको पता है की इन दोनों का रिश्ता समाज में कैसा माना जाता है |
ऐसे हम इस प्रकार समझे की जैसे देवर भाभी इस साथ बैठे हुवे है उनको माता जी चन्द्र या दादा जी गुरु देख रहे है तो उनको किसी भी प्रकार की परेशानी नही होगी और दोनों अच्छी तरह से काम करेंगे लेकिन यदि उन्हें कोई नीच परवर्ती का इंसान राहू देख रहा हो तो वो उन दोनों के बारे गलत अफवाह भी उड़ा सकता सकता है और इन दोनों के मन में भी भी रहेगा की ये इंसान बदनामी करवा सकता है | इसी प्रकार यदि कुंडली में मंगल बद्द हो तो भी इनका योग शुभ फल नही मिलता जैसे की भट्टे की जली हुई मिटटी किसी काम में नही आती \इन दोनों के योग को तंदूर की मिटटी भी कारक होता है इसिलिय जब कुंडली में मंगल या इन दोनों का योग खराब फल दे रहा हो तो तंदूर पर बनी हुई मीठी रोटी कुतों को डालने का उपाय बताया जाता है |
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शरीर में इन दोनों के योग का खराब फल मिलने पर खून का बहना जैसे की लेडीज को मासिक धर्म अधिक आना या किसी भी तरह से खून का अधिक बहना जैसे की नकसीर आदि की समस्या हो जाती है \ पुरुष जातक को ये अत्याधिक कामुक स्वभाव का बना देता है जिस से जातक समय से पहले अपनी ऊर्जा को खत्म कर शारीरिक कमजोरी का सामना करता है |
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यदि हम कालपुरुष की कुंडली देखें तो मंगल लग्न का मालिक होता है और शुक्र धन परिवार और पत्नी के भाव का मालिक होता है इसिलिय इन दोनों के अधिकतर शुभ फल ही माने जाते है लेकिन हमे ये भी ध्यान रखना पड़ता है की दूसरा और सप्तम दोनों भाव मारक भाव भी होते है तो मंगल साथ में अस्ठ्म भाव का भी मालिक होता है ऐसे में इनका योग जितना शुभ फल दे सकता है उतना ही अशुभ फल भी | ये फल कुंडली में इस बात पर निर्भर करेगा की किस भाव में किस राशि में ये योग बन रहा है और अन्य ग्रहों से इनका कैसा सम्बन्ध बन रहा है |
clearly understand. Thank u Guru Gi.
ReplyDeleteतुला लग्न की कुंडली में मंगल और शुक्र सप्तमेश और अष्टमेश होंगे यदि दोनों दशम भाव में हो तो परिणाम क्या होगा
ReplyDeleteDono wanha par lagnesh dyutiyesh bhi honge mangal dhan ka swami ho k 10th mei laganesh k sath baitha ho toh thik hain lekin aise mei wo nich ka o jayega phir 20 to 30 % good result samjho baaki bure hi milege job k hisaab se thik hain agar guru dekh le toh atti uttam
DeleteTula lagn me 12th house me Mangal 1% sukra 10% yuti ho to kya result hoga..
ReplyDeleteKumbh lagn me 12th house me Mangal 13% sukra 29% or Surya 24% yuti ho to kya result hoga
Fantastic.
ReplyDeleteMangal aur shukar ki yuti pancham Bhav M. Kya Fal Hoga..
ReplyDeleteBahut badhiya Gyaan aur parmarjit Gyaan sukh sab milega agar koi shubh garh ki drishti ho jaise guru ya chandrama to uttam fal prapt hoga
DeleteSir agr 3 bhav e sukar mangal or guru saath ho to kya fal dete hai
DeleteThoda sa mansik negative rhoge kyuki yuti asar kregi hi but guru k sath aa jaane se koi problem nhi hone wali sab acha hoga
DeleteSir jab rahu dekh raha ho to Kya hot hai
ReplyDeleteVarsh lagan shurk mangal yuti 6 house mein shurk 19degree aur mangal 8 degree h
ReplyDeleteMithun lagn ki kundali me sukra mangal yuti he 12 stan per to kya fal degi ?or saptam stan me guru hai.
ReplyDeleteMars or venus conjuction in 9 th house
ReplyDeleteIn sagitterus kya ful melega
जब मंगल और शुक्र अष्टम भाव में हो तब क्या परिणाम होता है
Deleteनमस्कार गुरु जी , मकर राशि और कन्या लग्न के दूसरे भाव में मंगल-शुकर की युति का क्या फल होगा , कृपया बताएं
ReplyDeleteशुक्र मंगल युति, शुक्र मंगल दृष्टि, शुक्र मंगल स्थान परिवर्तन, जातक की कुंडली में इसमें भटकाव होने की जो संभावना जो है वो कैसे पता चले के कब होगी?
ReplyDeleteइससे प्रभावित जातक को क्या क्या उपाय करने चाहिए ताकि जीवनचर्या सुचारू एवं व्यवस्थित ढंग से चल सके।
ReplyDeleteSugar air mangal 7the ghar me ho to Maya hora hai
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