अनिष्टकारी राहु देता है ये स्वास्थ समस्याएं

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से हमारी जन्मकुंडली में बनी ग्रहस्थिति ही जीवन में उतार चढ़ाव को निश्चित करती है पर राहु को लेकर सभी व्यक्तियों के मन में जो जिज्ञासा या भय की स्थिति रहती है वह राहु को ज्योतिष का सबसे चर्चित विषय बनाती है, राहु को ज्योतिष में पाप ग्रह की संज्ञा दी गयी है शनि शुक्र और बुध से राहु मित्रता है तथा सूर्य चन्द्रमाँ मंगल और बृहस्पति से राहु का शत्रु भाव है राहु का किसी राशि पर अधिपत्य तो नहीं है पर कन्या राशि में राहु स्वराशि जैसा फल करता है राहु मिथुन राशि में उच्च तथा धनु में नीचस्थ होता है, ज्योतिष में राहु के कारकत्व को देखें तो राहु को काल सर्प का मुख, आकस्मिकता, षड्यंत्र, छिपे शत्रु, छल कपट झूट तामसिकता, मतिभ्रम, बुरी आदतें, कुसंगति और आकस्मिक घटनाओं का कारक माना गया है…
जन्मकुंडली में राहु की अलग अलग स्थिति वैसे तो हमारे जीवन के बहुत से घटकों को प्रभावित करती है पर यहाँ हम राहु के द्वारा उत्पन्न होने वाली स्वास्थ समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं क्योंकि राहु का हमारे स्वास्थ पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है और कुंडली में कुछ विशेष स्थितियों में होने पर राहु कुछ विशेष स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न करता है –
कुंडली में जब राहु छटे आठवे या बारहवे भाव में हो तो ऐसे में राहु स्वास्थ में समस्याएं उत्पन्न करता है इसके आलावा कुंडली के छटे और आठवे भाव पर राहु की दृष्टि होना भी स्वास्थ समस्याएं देता है, और राहु कुंडली में जब इन उपरोक्त स्थितियों में हो तो ऐसे में व्यक्ति को विशेष रूप से - इंफेक्शन की समस्या बहुत होती है व्यक्ति बहुत जल्दी इंफेक्शन का शिकार हो जाता है ऐसे में व्यक्ति को बाहर के खाने से भी बहुत जल्दी इंफेक्शन और पाचनतंत्र की समस्याएं हो जाती हैं, इसके अलावा राहु यदि कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे में व्यक्ति को फ़ूड पॉइजनिंग की समस्या भी समय समय पर परेशान करती है
कुंडली में राहु यदि सूर्य के साथ हो तो व्यक्ति को आँखों की समस्या और हेयर फाल बहुत होता है।
राहु चंन्द्रमाँ के साथ हो तो मानसिक समस्याएं और फेफड़ों की समस्या होती है।
राहु मंगल के साथ हो तो ऐसे में बार बार एक्सीडेंट्स एसिडिटी और मांसपेशियों की समस्या होती है।
राहु यदि बृहस्पति के साथ हो तो लीवर से जुडी समस्याएं परेशान करती हैं।
राहु यदि कुंडली में छटे आठवे बारहवे भाव में हो या कुंडली के मारकेश ग्रहों के साथ हो या नीच राशि धनु में स्थित हो तो ऐसे में राहु की महादशा अन्तर्दशा और प्रत्यन्तर्दशा में भी स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
यदि कुंडली में राहु के अशुभ स्थिति में होने पर जीवन में ये स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न हो रही हों तो ये उपाय लाभकारी होंगे -
1. ॐ राम राहवे नमः का नियमित जाप करें।
2. प्रतिदिन पक्षियों को भोजन दें।
3. प्रत्येक शनिवार को साबुत उड़द दान करें।
4. प्रत्येक शनिवार को पीपल पर सरसों के तेल का दिया जलाएं।
5. गोमेद बिलकुल न पहने।
।। श्री हनुमते

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से हमारी जन्मकुंडली में बनी ग्रहस्थिति ही जीवन में उतार चढ़ाव को निश्चित करती है पर राहु को लेकर सभी व्यक्तियों के मन में जो जिज्ञासा या भय की स्थिति रहती है वह राहु को ज्योतिष का सबसे चर्चित विषय बनाती है, राहु को ज्योतिष में पाप ग्रह की संज्ञा दी गयी है शनि शुक्र और बुध से राहु मित्रता है तथा सूर्य चन्द्रमाँ मंगल और बृहस्पति से राहु का शत्रु भाव है राहु का किसी राशि पर अधिपत्य तो नहीं है पर कन्या राशि में राहु स्वराशि जैसा फल करता है राहु मिथुन राशि में उच्च तथा धनु में नीचस्थ होता है, ज्योतिष में राहु के कारकत्व को देखें तो राहु को काल सर्प का मुख, आकस्मिकता, षड्यंत्र, छिपे शत्रु, छल कपट झूट तामसिकता, मतिभ्रम, बुरी आदतें, कुसंगति और आकस्मिक घटनाओं का कारक माना गया है…
जन्मकुंडली में राहु की अलग अलग स्थिति वैसे तो हमारे जीवन के बहुत से घटकों को प्रभावित करती है पर यहाँ हम राहु के द्वारा उत्पन्न होने वाली स्वास्थ समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं क्योंकि राहु का हमारे स्वास्थ पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है और कुंडली में कुछ विशेष स्थितियों में होने पर राहु कुछ विशेष स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न करता है –
कुंडली में जब राहु छटे आठवे या बारहवे भाव में हो तो ऐसे में राहु स्वास्थ में समस्याएं उत्पन्न करता है इसके आलावा कुंडली के छटे और आठवे भाव पर राहु की दृष्टि होना भी स्वास्थ समस्याएं देता है, और राहु कुंडली में जब इन उपरोक्त स्थितियों में हो तो ऐसे में व्यक्ति को विशेष रूप से - इंफेक्शन की समस्या बहुत होती है व्यक्ति बहुत जल्दी इंफेक्शन का शिकार हो जाता है ऐसे में व्यक्ति को बाहर के खाने से भी बहुत जल्दी इंफेक्शन और पाचनतंत्र की समस्याएं हो जाती हैं, इसके अलावा राहु यदि कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो ऐसे में व्यक्ति को फ़ूड पॉइजनिंग की समस्या भी समय समय पर परेशान करती है
कुंडली में राहु यदि सूर्य के साथ हो तो व्यक्ति को आँखों की समस्या और हेयर फाल बहुत होता है।
राहु चंन्द्रमाँ के साथ हो तो मानसिक समस्याएं और फेफड़ों की समस्या होती है।
राहु मंगल के साथ हो तो ऐसे में बार बार एक्सीडेंट्स एसिडिटी और मांसपेशियों की समस्या होती है।
राहु यदि बृहस्पति के साथ हो तो लीवर से जुडी समस्याएं परेशान करती हैं।
राहु यदि कुंडली में छटे आठवे बारहवे भाव में हो या कुंडली के मारकेश ग्रहों के साथ हो या नीच राशि धनु में स्थित हो तो ऐसे में राहु की महादशा अन्तर्दशा और प्रत्यन्तर्दशा में भी स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
यदि कुंडली में राहु के अशुभ स्थिति में होने पर जीवन में ये स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न हो रही हों तो ये उपाय लाभकारी होंगे -
1. ॐ राम राहवे नमः का नियमित जाप करें।
2. प्रतिदिन पक्षियों को भोजन दें।
3. प्रत्येक शनिवार को साबुत उड़द दान करें।
4. प्रत्येक शनिवार को पीपल पर सरसों के तेल का दिया जलाएं।
5. गोमेद बिलकुल न पहने।
।। श्री हनुमते
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