चन्द्रमाँ का अन्य ग्रहों से योग

ज्योतिष में चन्द्रमाँ को मन का कारक माना गया है चन्द्रमाँ ही हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को नियंत्रित करता है व्यक्ति की भावनात्मक और मानसिक शक्ति कैसी होगी यह उसकी जन्मकुंडली में स्थित चन्द्रमाँ पर निर्भर करता है कुंडली में मजबूत चन्द्रमाँ जहाँ व्यक्ति के मन को एकाग्र, शांत और आंतरिक शक्ति से युक्त बनाता है वहीँ कुंडली में चन्द्रमाँ कमजोर होने पर व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक स्थिति अस्थिर और अशांतिपूर्ण होती है…तो चन्द्रमाँ स्वतंत्र रूप से तो जन्मकुंडली में में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है ही पर यदि कुंडली में चन्द्रमाँ का अन्य ग्रहों से योग हो तो ऐसे में इसके भिन्न भिन्न परिणाम होते हैं. . .
चन्द्रमाँ + सूर्य - यदि कुंडली में चन्द्रमाँ सूर्य एक साथ हों तो ये अमावश्या योग भी कहलाता है ऐसे में व्यक्ति को मानसिक अस्थिरता और की समस्या होती है व्यक्ति में एकाग्रता की कमी रहती है, ऐसा व्यक्ति जल्दी ही किसी भी बात को लेकर परेशान हो जाता है और मानसिक व्याकुलता की समस्या बहुत रहती है।
चन्द्रमाँ + मंगल - कुंडली में चन्द्रमाँ मंगल का योग होने पर व्यक्ति कुछ अहंवादी स्वभाव का होता है किसी के आधीन रहकर कार्य करना उसे पसंद नहीं होता अपनी मर्जी का मालिक होता है, ऐसा व्यक्ति जिस काम को करने का ठान ले उसे करने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा देता है अर्थात मेहनती और प्रयत्नशील होता है।
चन्द्रमाँ + बुध - कुंडली में चन्द्रमाँ बुध एक साथ होने पर ऐसा व्यक्ति अस्थिर मति होता है अर्थात ऐसे व्यक्ति की बुद्धि किसी बात पर स्थिर नहीं रहती, ऐसा व्यक्ति बहुत कन्फ्यूज माइंडेड होता है और ऐसे व्यक्ति को किसी भी निर्णय को लेने में बहुत समस्या और संशय होता है।
चन्द्रमाँ + बृहस्पति - कुंडली में चन्द्रमाँ बृहस्पति एक साथ होना बहुत शुभ है ये गजकेसरी योग भी कहलाता है, ये योग यदि शुभ स्थिति में बना हो तो व्यक्ति को जीवन में अच्छी धन समृद्धि प्राप्त होती है, व्यक्ति सत्वक और शांत मन का व्यक्ति होता है और धर्म पर श्रद्धा रखने वाला होता है।
चन्द्रमाँ + शुक्र - कुंडली में चन्द्रमाँ शुक्र का योग होने पर व्यक्ति बहुत महत्वकांशी स्वभाव का होता है ऐसा व्यक्ति ऐश्वर्य और विलासितापूर्ण जीवन जीने का इच्छुक होता है इस योग में व्यक्ति को रचनात्मक और कलात्मक कार्यों में बहुत रुचि होती है और ये योग व्यक्ति को जीवन में अच्छी समृद्धि देने में भी सहायक होता है।
चन्द्रमाँ + शनि - कुंडली में चन्द्रमाँ शनि का योग होने पर व्यक्ति मानसिक स्थिरता और जल्दी तनाव होने की समस्या बहुत होती है, एकाग्रता कमजोर होती है, ऐसे में व्यक्ति को घबराहट या डर लगने जैसी समस्याएं भी रहती हैं।
चन्द्रमाँ + राहु - कुंडली में चन्द्रमाँ राहु एक साथ होना एक नकारात्मक योग है इसे ग्रहण योग भी कहते हैं इस योग में व्यक्ति एंग्जायटी और डिप्रेशन की समस्या का शिकार होता है इमोशनल सेंसिविटी बहुत होती है बात बात पर नकारात्मक सोचने की आदत होती है और ऐसे में व्यक्ति के मन में हमेशा शांति की कमी बनी रहती है।
चन्द्रमाँ + केतु - कुंडली में चन्द्रमाँ केतु एक साथ होने पर भी व्यक्ति को बहुतसी मानसिक समस्याएं होती हैं, मानसिक स्थिरता नहीं बन पाती घबराहट और ओवर थिंकिंग की समस्या रहती है और व्यक्ति मानसिक शांति की कमी का अनुभव करता है।
कमजोर चन्द्रमाँ के नकारात्मक परिणाम से बचने और चन्द्रमाँ को सकारात्मक और बली करने के लिए हम कुछ उपाय बता रहे हैं जो आपके लिए सहायक होंगे -
उपाय -
1. ॐ सोम सोमाय नमः का जाप करें (एक माला रोज)
2. चाँदी की एक ठोस गोली का लॉकेट गले में धारण करें।
3. सफ़ेद चन्दन का तिलक मस्तक पर लगाएं।
4. प्रातः काल जल्दी उठकर सूर्य दर्शन अवश्य करें।
5. किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श के बाद मोती भी धारण कर सकते हैं।
6. प्रतिदिन शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें।
।। श्री हनुमते नमः

ज्योतिष में चन्द्रमाँ को मन का कारक माना गया है चन्द्रमाँ ही हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को नियंत्रित करता है व्यक्ति की भावनात्मक और मानसिक शक्ति कैसी होगी यह उसकी जन्मकुंडली में स्थित चन्द्रमाँ पर निर्भर करता है कुंडली में मजबूत चन्द्रमाँ जहाँ व्यक्ति के मन को एकाग्र, शांत और आंतरिक शक्ति से युक्त बनाता है वहीँ कुंडली में चन्द्रमाँ कमजोर होने पर व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक स्थिति अस्थिर और अशांतिपूर्ण होती है…तो चन्द्रमाँ स्वतंत्र रूप से तो जन्मकुंडली में में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका है ही पर यदि कुंडली में चन्द्रमाँ का अन्य ग्रहों से योग हो तो ऐसे में इसके भिन्न भिन्न परिणाम होते हैं. . .
चन्द्रमाँ + सूर्य - यदि कुंडली में चन्द्रमाँ सूर्य एक साथ हों तो ये अमावश्या योग भी कहलाता है ऐसे में व्यक्ति को मानसिक अस्थिरता और की समस्या होती है व्यक्ति में एकाग्रता की कमी रहती है, ऐसा व्यक्ति जल्दी ही किसी भी बात को लेकर परेशान हो जाता है और मानसिक व्याकुलता की समस्या बहुत रहती है।
चन्द्रमाँ + मंगल - कुंडली में चन्द्रमाँ मंगल का योग होने पर व्यक्ति कुछ अहंवादी स्वभाव का होता है किसी के आधीन रहकर कार्य करना उसे पसंद नहीं होता अपनी मर्जी का मालिक होता है, ऐसा व्यक्ति जिस काम को करने का ठान ले उसे करने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा देता है अर्थात मेहनती और प्रयत्नशील होता है।
चन्द्रमाँ + बुध - कुंडली में चन्द्रमाँ बुध एक साथ होने पर ऐसा व्यक्ति अस्थिर मति होता है अर्थात ऐसे व्यक्ति की बुद्धि किसी बात पर स्थिर नहीं रहती, ऐसा व्यक्ति बहुत कन्फ्यूज माइंडेड होता है और ऐसे व्यक्ति को किसी भी निर्णय को लेने में बहुत समस्या और संशय होता है।
चन्द्रमाँ + बृहस्पति - कुंडली में चन्द्रमाँ बृहस्पति एक साथ होना बहुत शुभ है ये गजकेसरी योग भी कहलाता है, ये योग यदि शुभ स्थिति में बना हो तो व्यक्ति को जीवन में अच्छी धन समृद्धि प्राप्त होती है, व्यक्ति सत्वक और शांत मन का व्यक्ति होता है और धर्म पर श्रद्धा रखने वाला होता है।
चन्द्रमाँ + शुक्र - कुंडली में चन्द्रमाँ शुक्र का योग होने पर व्यक्ति बहुत महत्वकांशी स्वभाव का होता है ऐसा व्यक्ति ऐश्वर्य और विलासितापूर्ण जीवन जीने का इच्छुक होता है इस योग में व्यक्ति को रचनात्मक और कलात्मक कार्यों में बहुत रुचि होती है और ये योग व्यक्ति को जीवन में अच्छी समृद्धि देने में भी सहायक होता है।
चन्द्रमाँ + शनि - कुंडली में चन्द्रमाँ शनि का योग होने पर व्यक्ति मानसिक स्थिरता और जल्दी तनाव होने की समस्या बहुत होती है, एकाग्रता कमजोर होती है, ऐसे में व्यक्ति को घबराहट या डर लगने जैसी समस्याएं भी रहती हैं।
चन्द्रमाँ + राहु - कुंडली में चन्द्रमाँ राहु एक साथ होना एक नकारात्मक योग है इसे ग्रहण योग भी कहते हैं इस योग में व्यक्ति एंग्जायटी और डिप्रेशन की समस्या का शिकार होता है इमोशनल सेंसिविटी बहुत होती है बात बात पर नकारात्मक सोचने की आदत होती है और ऐसे में व्यक्ति के मन में हमेशा शांति की कमी बनी रहती है।
चन्द्रमाँ + केतु - कुंडली में चन्द्रमाँ केतु एक साथ होने पर भी व्यक्ति को बहुतसी मानसिक समस्याएं होती हैं, मानसिक स्थिरता नहीं बन पाती घबराहट और ओवर थिंकिंग की समस्या रहती है और व्यक्ति मानसिक शांति की कमी का अनुभव करता है।
कमजोर चन्द्रमाँ के नकारात्मक परिणाम से बचने और चन्द्रमाँ को सकारात्मक और बली करने के लिए हम कुछ उपाय बता रहे हैं जो आपके लिए सहायक होंगे -
उपाय -
1. ॐ सोम सोमाय नमः का जाप करें (एक माला रोज)
2. चाँदी की एक ठोस गोली का लॉकेट गले में धारण करें।
3. सफ़ेद चन्दन का तिलक मस्तक पर लगाएं।
4. प्रातः काल जल्दी उठकर सूर्य दर्शन अवश्य करें।
5. किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श के बाद मोती भी धारण कर सकते हैं।
6. प्रतिदिन शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें।
।। श्री हनुमते नमः
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