Thursday, September 14, 2017

बृहस्पति का कुंडली के भावो पर प्रभाव का फल

||#बृहस्पति का कुंडली के भावो पर प्रभाव का फल||                 बृहस्पति वृद्धिकारक ग्रह है।इसका प्रभाव जिस भी भाव पर पड़ता विशेष रूप से दृष्टि प्रभाव उस भाव के शुभ फल की वृद्धि होकर जातक को शुभ फल मिलते है।सामान्य रूप से यह बृहस्पति जिस भाव मे बेठे होंगे उस भाव के फल की कुछ हानि करते है।अपने कारक भाव 2, 5, 9, 10, 11 भाव में अकेले बैठने पर इन भाव संबंधी शुभ फल में कमी करते है।कुंडली के 12भावो पर बृहस्पति की दृष्टि प्रभाव शुभ और भाव स्थित स्थिति प्रभाव भाव के फल में कुछ हानि/शुभ फल में कमी करती है।बृहस्पति योगकारक शुभ भावपति होकर दृष्टि जिस भाव पर डालता है उस भाव के फल से जातक संतुष्ट रहता है।।                                लग्न पर बृहस्पति की दृष्टि अच्छा व्यक्तित्व, अच्छा शरीर,स्वास्थ्य, रूप आदि शुभ फल देता है।लग्न में बृहस्पति के बैठने पर यह यदि अशुभ हो तो जातक को यह मोटापे का शिकार बना देता है।दूसरे भाव पर बृहस्पति की दृष्टि धनवृद्धि, परिवार सुख कारक होती है।यहाँ बृहस्पति के बैठने पर धन थोडा मेहनत से मिलता है शुभ अशुभ स्थिति के अनुसार।तीसरे भाव पर बृहस्पति की दृष्टि भाई-बहन होने पर उनका अच्छा सुख और सहयोग देती है।इस भाव में इसके फल माध्यम हो जाते है।चोथे भाव पर शुभ दृष्टि माँ का सुख, चतुर्थेश मंगल बलि हो तो मकान संपत्ति का सुख अच्छा सुख रहता है।इस भाव में बृहस्पति के बैठने से अधिकांश जातको का घर किसी मंदिर या धार्मिक स्थल के पास होता है।पाचवे भाव में गुरु की दृष्टि संतान सुख, बुद्धि, अच्छी शिक्षा , अच्छी सोच समझ प्रदान करती है।इस भाव में बृहस्पति अकेला बेठा हो तब संतान कुछ देर से हो सकती है।छठे भाव पर दृष्टि शत्रुओ की वृद्धि करने वाली हो सकती है यहां गुरु बेठा हो तो शत्रुओ पर जातक हावी रहता है शत्रुओ से बृहस्पति जातक को बचाता है।सातवे भाव पर दृष्टि वैवाहिक सुख की वृद्धि और गुणी जीवनसाथी देती है इस भाव में बेठने पर शादी बृहस्पति शादी होने में देर कराता है।आठवे भाव पर दृष्टि आयु की दृष्टि करती है यहाँ बैठने पर भी फल सामान्य रहता है न ज्यादा अच्छा न ज्यादा शुभ।नवे भाव पर शुभ और बली दृष्टि जातक को भाग्यशाली बनाती है भाग्य की वृद्धि करती है पूर्वजो की कृपादृष्टि जातक को प्राप्ति होती है।इस भाव में अकेला बैठने पर यह बनते कार्यो में कुछ देर कराता है फिर भी इसका इस भाव में बेठना जातक के लिए हर तरह से शुभ होता है।दशम भाव पर दृष्टि रोजगार में वृद्धि करने वाली होती है जातक को अच्छी पोस्ट पर नोकरी या व्यापार होने पर ठीक तरह से चलता रहता है।दशमेश की स्थिति भी सही होनी चाहिए पीड़ित या पाप ग्रहो से दूषित नही होनी चाहिए।यहाँ बैठने पर कैरियर में धीरे धीरे उन्नति कराता है शुभ होने पर, अकारक होकर इस भाव में बृहस्पति की स्थिति फल को सामान्य तक ही रखती है।ग्यारहवे भाव में शुभ और बली दृष्टि होने पर आय में समय समय पर वृद्धिकारक होती है कई तरह के लाभ की स्थिति बनी रहती है।बारहवे भाव में दृष्टि ज्यादा शुभ नही क्योंकि बारहवां भाव खर्चे, नुकशान आदि का होता है दृष्टि होने से इन सब में वृद्धि होगी जो ठीक नही।इस भाव में बेठना खर्चे पर नियंत्रण कराता है।हानि होने पर उसको रोकता है।।                                                                            नोट- यदि किसी भी भाव में यह अपनी राशि धनु या मीन में बैठेगा तो उस भाव के फल की वृद्धि करेगा।

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