||#दशम_भाव_में_बेठे_ग्रह|| कुंडली का दशम भाव जातक के कर्म, रोजगार, पद, प्रतिष्ठा, उच्च सफलता आदि फलो से सम्बंधित भाव है।इस भाव का बली और शुभ स्थिति में होना जातक के लिए राजाओ जैसा सुख-सुविधा, नाम, प्रतिष्ठा जैसे शुभ फल देता है।केंद्र त्रिकोण के ग्रहो का बली योग दशवे भाव में बनने से इस योग के फल बहुत शानदार और प्रबल शुभ होते है।सबसे महत्वपूर्ण जीवन में रोजगार की स्थिति अच्छा होना, अच्छा और उच्च स्तरीय जीवन जीना यह हर जातक की इच्छा होती है।जिसमे दसवे भाव की विशेष भूमिका होती है।इस भाव में गुरु सूर्य ग्रहो का नवमेश पंचमेश होकर बेठना पूर्वजो और पिता की तरह से समाज में नाम, रोजगार देने वाला होता है क्योंकि गुरु पूर्वजो का कारक है तो सूर्य पिता है।सूर्य मंगल दसवे भाव में विशेष बली होते है।इस भाव में यह दोनों ग्रह राजयोगकारक है।दसवाँ भाव कुंडली का चारो केन्द्रो में सबसे बड़ा केंद्र भाव है।योगकारक और शुभ ग्रहो का शुभ होकर इस भाव पर युति दृष्टि प्रभाव इस भाव के शुभ फल की वृद्धि करके सुखद फलो में वृद्धि करता है।जन्मकुंडली के दशम भाव का विस्तार से फल देखने के लिए दशमांश कुंडली देखी जाती है।यदि दशमांश कुंडली भी लग्न कुंडली के दशम भाव के साथ शुभ और बली होने से सोने पर सुहागा जैसे फल होते है।दशमांश कुंडली में विशेष रूप से दशमांश लग्न लग्नेश, दशम भाव दशमेश, ग्रहो में विशेष रूप से सूर्य, मंगल, बुध, शनि, दशमांश कुंडली के लग्न लग्नेश, दशम भाव दशमेश से सम्बन्ध् रखने वाले ग्रहो का शुभ होना पद, प्रतिष्ठा, आदि रोजगार दशम भाव से सम्बंधित फलो को अच्छा बनाता है।जिन जातको की कुंडली का दशम भाव दशमेश निर्बल, अस्त, पीड़ित, अशुभ जैसी आदि स्थिति में होने पर दशम भाव सम्बंधित फलो में परेशानी रहना, शुभ फल न मिलना जैसी स्थिति रहती है।दशम भाव, दशमेश और इनपर ग्रहो का अशुभ प्रभाव होने से उन ग्रहो की शांति करनी या करानी चाहिए, दशमेश और जिन योगकारक ग्रहो का दशम भाव पर प्रभाव है उनके बल में वृद्धि करके दशम भाव के शुभ फलो में वृद्धि की जा सकती है।
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