#किस_व्यवसाय_से_लाभ_होगा ।
लाभेश अर्थात ग्यारहवें भाव का मालिक नवांश मे जिस राशि मे होगा उस राशि के मालिक केlनवांशपति कहेंगे।
यदि लाभेश का नवांशपति लग्नेश से युति-दृस्टि करे तो जातक को अपने प्रयास ,मेहनत व शारिरीक रूप-रंग-व्यवहार से अच्छे धन की प्राप्ति होती है।
यदि द्वितीयेश से युति-दृस्टि करे तो जातक को वाणी, भोजन या खाने-पीने की वस्तु(दवाई भी ) भूमि ,कृषि-कार्य वाहन से अथवा सोने चांदी- रत्न या धन से धन कमाना जैसे ब्याज ,फाइनेंस इत्यादी के कार्यो से धन लाभ कराता है ।
यदि तृतीयेश से युति-दृस्टी करे तो जातक भाइयो व मित्रो के सहयोग से व पुत्र ,विद्या बुद्धि व यात्रा तथा प्रकाश ,लेखन , संचार माध्यमो से अच्छा धन कमाता है।
यदि चतुर्थेश से युति-दृस्टि करे तो माता के नाम पर कार्य करने या भूमि मकान ,वाहन से जुडे कार्यो से अथवा अपने किसी बंधु के सहयोग व मामा मौसी , स्पर्धा ,शत्रु से धन लाभ कराता है।
पंचम भाव या भावेश ये युति-दृष्टी साझेदारी ,पत्नी-ससुराल ,बुद्धि -विवेक-योजना , सट्टा -शेयर से धन लाभ देता है ।
छटे भाव या भावेश से युति-दृष्टी बीमा कंपनी , शमशान ,चुनाव गुप्तकार्यो , निम्न व गंदे कार्यो से तथा नौकर ,संघर्ष व मुकदमे से धन लाभ कराता है।
सातवे भाव या भावेश से युति-दृष्टी धार्मिक कार्यो ,न्याय ,कानून ,पूजा-पाठ व पत्नी तथा साझेदारी से धन लाभ कराता है ।
अस्टम भाव या भावेश ये दृष्टी-युति संबंध सत्ता,सरकार व पद प्राप्ति से व वसीयत ,भविष्य निधि कार्यो से धन लाभ कराता है ।
नवम भाव या नवमेश से युति-दृष्टी होने पर पिता या पिता से जुडे कार्यो से धन लाभ या दान -पुण्य तथा धार्मिक संस्था से जुडे कार्यो से धन लाभ व धन की निरंतर वृद्धि कराता है ।
दशम भाव व दशमेश ये युति-दृष्टी जातक को उच्चअधिकारियो के साथ जुडकर काम करने या सरकरी नौकरी व बाहरी व्यक्तियो से स्थानो से संपर्क करने से धन लाभ कराता है।
ग्यारहवें भाव या भावेश ये युति-दृस्टी होने पर यह बडे भाई बहनो व बैंक ,व्यापार ,बिजनेस से धन लाभ कराता है।
बारहवें भाव या भावेश से युति-दृष्टी होने पर अस्पताल, जेल ,विदेश, आश्रम , से व खरीद-बेच , किसी वस्तु के उत्पादन से बैंको व धातुओ से जुडे कार्यो से धन लाभ कराता है।
लाभेश अर्थात ग्यारहवें भाव का मालिक नवांश मे जिस राशि मे होगा उस राशि के मालिक केlनवांशपति कहेंगे।
यदि लाभेश का नवांशपति लग्नेश से युति-दृस्टि करे तो जातक को अपने प्रयास ,मेहनत व शारिरीक रूप-रंग-व्यवहार से अच्छे धन की प्राप्ति होती है।
यदि द्वितीयेश से युति-दृस्टि करे तो जातक को वाणी, भोजन या खाने-पीने की वस्तु(दवाई भी ) भूमि ,कृषि-कार्य वाहन से अथवा सोने चांदी- रत्न या धन से धन कमाना जैसे ब्याज ,फाइनेंस इत्यादी के कार्यो से धन लाभ कराता है ।
यदि तृतीयेश से युति-दृस्टी करे तो जातक भाइयो व मित्रो के सहयोग से व पुत्र ,विद्या बुद्धि व यात्रा तथा प्रकाश ,लेखन , संचार माध्यमो से अच्छा धन कमाता है।
यदि चतुर्थेश से युति-दृस्टि करे तो माता के नाम पर कार्य करने या भूमि मकान ,वाहन से जुडे कार्यो से अथवा अपने किसी बंधु के सहयोग व मामा मौसी , स्पर्धा ,शत्रु से धन लाभ कराता है।
पंचम भाव या भावेश ये युति-दृष्टी साझेदारी ,पत्नी-ससुराल ,बुद्धि -विवेक-योजना , सट्टा -शेयर से धन लाभ देता है ।
छटे भाव या भावेश से युति-दृष्टी बीमा कंपनी , शमशान ,चुनाव गुप्तकार्यो , निम्न व गंदे कार्यो से तथा नौकर ,संघर्ष व मुकदमे से धन लाभ कराता है।
सातवे भाव या भावेश से युति-दृष्टी धार्मिक कार्यो ,न्याय ,कानून ,पूजा-पाठ व पत्नी तथा साझेदारी से धन लाभ कराता है ।
अस्टम भाव या भावेश ये दृष्टी-युति संबंध सत्ता,सरकार व पद प्राप्ति से व वसीयत ,भविष्य निधि कार्यो से धन लाभ कराता है ।
नवम भाव या नवमेश से युति-दृष्टी होने पर पिता या पिता से जुडे कार्यो से धन लाभ या दान -पुण्य तथा धार्मिक संस्था से जुडे कार्यो से धन लाभ व धन की निरंतर वृद्धि कराता है ।
दशम भाव व दशमेश ये युति-दृष्टी जातक को उच्चअधिकारियो के साथ जुडकर काम करने या सरकरी नौकरी व बाहरी व्यक्तियो से स्थानो से संपर्क करने से धन लाभ कराता है।
ग्यारहवें भाव या भावेश ये युति-दृस्टी होने पर यह बडे भाई बहनो व बैंक ,व्यापार ,बिजनेस से धन लाभ कराता है।
बारहवें भाव या भावेश से युति-दृष्टी होने पर अस्पताल, जेल ,विदेश, आश्रम , से व खरीद-बेच , किसी वस्तु के उत्पादन से बैंको व धातुओ से जुडे कार्यो से धन लाभ कराता है।
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