शनि सम्बन्धी कुछ विशेष ग्रह योग

1. जन्मकुंडली में यदि शनि मकर, कुम्भ या तुला राशि में होकर केंद्र (1,4,7,10) में हो तो ऐसा व्यक्ति उच्च पद को प्राप्त करता है और अपने करियर में विशेष उन्नति करता है।
2. शनि यदि कुंडली के आठवें भाव में हो तो आयु को बढ़ाता है परन्तु ऐसे व्यक्ति को पाचन तंत्र और ज्वाइंट्स पेन से सम्बंधित समस्याएं बनी रहती हैं।
3. यदि शनि कुंडली के बारहवे भाव में शत्रु राशि या नीच राशि में हो तो ऐसे व्यक्ति के पास धन स्थिर नहीं रह पाता और धन की हमेशा कमी बनी रहती है।
4. यदि शनि और शुक्र साथ हों तो ऐसे व्यक्ति को सौंदर्य सम्बन्धी कार्य (कॉस्मैटिक, ब्यूटीप्रोडक्ट, ज्वैलरी, रेडीमेड गारमेंट्स आदि) में सफलता मिलती है।
5. यदि शनि कुंडली के नवम भाव में उच्च राशि में हो या नवम में बैठकर बृहस्पति से दृष्ट हो तो व्यक्ति आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ता है।
6. यदि शनि कुंडली के सप्तम भाव में हो या सप्तम भाव को देखता हो तो विवाह में विलम्ब कराता है।
7. कुंडली में शनि, मंगल का योग हो या शनि से नवम-पंचम मंगल हो तो तकनीकी कार्यों (इंजीनियरिंग आदि ) में सफलता मिलती है।
8. कुंडली में शनि और बृहस्पति का योग बहुत शुभ होता है ऐसा व्यक्ति अपने कार्यों से विशेष कीर्ति प्राप्त करता है।
9. यदि किसी राजनेता की कुंडली में शनि बहुत कमजोर या पीड़ित हो तो उसे जनता का अच्छा समर्थन नहीं मिल पाता।
10. शनि चन्द्रमाँ का योग मानसिक तनाव और मन के अस्थिर रहने की समस्या देकर एकाग्रता की कमी करता है। और ऐसा व्यक्ति अपने कार्यों को पैंडिंग बहुत रखता है और केयर्लैस स्वाभाव का होता है।
11. शनि यदि नीच राशि में हो या कुंडली के छटे आठवें भाव में हो तो कमर दर्द और घुटनो के दर्द की समस्या देता है।
12. कुंडली में शनि का बलि अर्थात मजबूत होना व्यक्ति को प्राचीन वस्तुओं के व्यवसाय से भी लाभ कराता है।
13. गोचर में शनि का हमारी राशि से आठवीं राशि में आना स्वास्थ में समस्याएं देता है।
14. जिन लोगो की कुंडली में शनि में कमजोर या पीड़ित हो उन्हें लोहा, स्टील, कांच, पेट्रोल और केमिकल प्रोडक्ट से जुड़े व्यवसाय नहीं करने चाहिये।
15. जो व्यक्ति श्री कृष्णा, शिव और हनुमान जी की पूजा करते हैं कर्म प्रधान होते हैं माता-पिता, बुजुर्गों और मजदूरों का सम्मान करते हैं उन पर शनि का दुष्प्रभाव नगण्य होता है।
।।श्री हनुमते नमः।

1. जन्मकुंडली में यदि शनि मकर, कुम्भ या तुला राशि में होकर केंद्र (1,4,7,10) में हो तो ऐसा व्यक्ति उच्च पद को प्राप्त करता है और अपने करियर में विशेष उन्नति करता है।
2. शनि यदि कुंडली के आठवें भाव में हो तो आयु को बढ़ाता है परन्तु ऐसे व्यक्ति को पाचन तंत्र और ज्वाइंट्स पेन से सम्बंधित समस्याएं बनी रहती हैं।
3. यदि शनि कुंडली के बारहवे भाव में शत्रु राशि या नीच राशि में हो तो ऐसे व्यक्ति के पास धन स्थिर नहीं रह पाता और धन की हमेशा कमी बनी रहती है।
4. यदि शनि और शुक्र साथ हों तो ऐसे व्यक्ति को सौंदर्य सम्बन्धी कार्य (कॉस्मैटिक, ब्यूटीप्रोडक्ट, ज्वैलरी, रेडीमेड गारमेंट्स आदि) में सफलता मिलती है।
5. यदि शनि कुंडली के नवम भाव में उच्च राशि में हो या नवम में बैठकर बृहस्पति से दृष्ट हो तो व्यक्ति आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ता है।
6. यदि शनि कुंडली के सप्तम भाव में हो या सप्तम भाव को देखता हो तो विवाह में विलम्ब कराता है।
7. कुंडली में शनि, मंगल का योग हो या शनि से नवम-पंचम मंगल हो तो तकनीकी कार्यों (इंजीनियरिंग आदि ) में सफलता मिलती है।
8. कुंडली में शनि और बृहस्पति का योग बहुत शुभ होता है ऐसा व्यक्ति अपने कार्यों से विशेष कीर्ति प्राप्त करता है।
9. यदि किसी राजनेता की कुंडली में शनि बहुत कमजोर या पीड़ित हो तो उसे जनता का अच्छा समर्थन नहीं मिल पाता।
10. शनि चन्द्रमाँ का योग मानसिक तनाव और मन के अस्थिर रहने की समस्या देकर एकाग्रता की कमी करता है। और ऐसा व्यक्ति अपने कार्यों को पैंडिंग बहुत रखता है और केयर्लैस स्वाभाव का होता है।
11. शनि यदि नीच राशि में हो या कुंडली के छटे आठवें भाव में हो तो कमर दर्द और घुटनो के दर्द की समस्या देता है।
12. कुंडली में शनि का बलि अर्थात मजबूत होना व्यक्ति को प्राचीन वस्तुओं के व्यवसाय से भी लाभ कराता है।
13. गोचर में शनि का हमारी राशि से आठवीं राशि में आना स्वास्थ में समस्याएं देता है।
14. जिन लोगो की कुंडली में शनि में कमजोर या पीड़ित हो उन्हें लोहा, स्टील, कांच, पेट्रोल और केमिकल प्रोडक्ट से जुड़े व्यवसाय नहीं करने चाहिये।
15. जो व्यक्ति श्री कृष्णा, शिव और हनुमान जी की पूजा करते हैं कर्म प्रधान होते हैं माता-पिता, बुजुर्गों और मजदूरों का सम्मान करते हैं उन पर शनि का दुष्प्रभाव नगण्य होता है।
।।श्री हनुमते नमः।
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