||#चंद्रराशि|| जन्मकुंडली में चंद्रमा जिस राशि में बेठा होता है उसी राशि को चंद्र राशि है चंद्रराशि को जन्मराशि भी कहते है।ज्योतिष में चंद्रमा को सभी ग्रहो में सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है।जब किसी बालक का नाम कारण किया जाता है तो चंद्र राशि के आधार पर ही किया जाता है।जन्म के समय चंद्र जिस नक्षत्र में बेठा होता है उसके चरण के वर्ण से प्रारम्भ होने वाला नाम के शब्द से जातक के जन्मराशि का नाम रख दिया जाता है।चद्रमा मन का कारक होता है।इसकारण मन को नियंत्रित करने का काम चंद्र करता है।मन शान हो-अशांत हो, सुख-दुःख आदि को महसूस करना यह चंद्र की स्थिति पर ही निर्भर करता है। चंद्र राशि का महत्व चंद्र राशि का उपयोग शादी के समय लड़के-लड़की की कुंडली का मिलान करने के लिए भी जन्म राशि का प्रयोग होता है।चंद्र राशि को इतना ज्यादा महत्व इस कारण दिया गया है क्योंकि बालक के जन्म समय की गणना करने में प्राचीन समय में आजकल के अनुसार कुण्डली सॉफ्वेयर या कोई तकनीकी विधि नही थी।अब क्योंकि चंद्रमा एक राशि को लगभग सवा 2 दिन में बदल लेता है ऐसी स्थिति होने के कारण चंद्रमा का महत्व बढ़ गया और इसे चन्द्रलग्न का महत्व भी दे दिया गया।वेसे भी अन्य ग्रह की अपेक्षा चंद्र सबसे ज्यादा तेज़ गति से चलने वाला ग्रह है।यह जातक के जीवन की घटनाओ को भी सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।जन्म राशि के अनुसार आने वाले वर्ण के आधार पर अपने निवास स्थान, आजीविका या व्यापार स्थान का नाम रखना शुभ होता है।चद्रमा जिस राशि में होता है उस राशि के स्वामी का भी महत्व चंद्रमा के कारण बढ़ जाता है।चंद्र कमजोए होने पर शिव पूजा करना, चंद्र मन्त्र का जप करना, माँ की या माँ की आयु जितनी स्त्री की सेवा या देखभाल करने से, पानी का ठीक से उपयोग करने से, पानी का दान या प्याऊ लगवाने से, पुर्णिमा के दिन रात को चमकते हुए चंद्र को दूध मिला जल चढ़ाने से चंद्र की शुभता में वृद्धि होती है।
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