तृतीय भाव
★★ आज अगर तीसरे भाव का विचार करे तो , 3 भाव से हम भाई का विचार करते है जब तीसरे भाव का स्वामी भाई का कारक मंगल है उससे दृष्ट या युक्त हो तो , भाइयो की संख्या में वृद्धि होती है तीसरे भाव से हम पराक्रम साहस का भी विचार करते है तो जातक साहसी है या नही इन चीजो का विचार करे तो , तीसरे भाव का स्वामी अगर तीसरे भाव मे ही हो तो जातक साहसी , और धैर्य वान होता है सूर्य और मंगल यदि तीसरे भाव मे हो तो जातक , साहसी और धैर्य वान होता है कारण ★★★ सूर्य और मंगल जो कि पराक्रमी ग्रह है यह जब पराक्रम भाव मे होंगे तो जातक को साहसी बनाते है , इस तरह ही मंगल के आधे गुण केतु रखता है तो तीसरे भाव में केतु हो तो भी जातक को बहुत साहसी बनाता है तीसरे भाव मे पापी ग्रह यदि बलबान होकर पड़े हो तो जातक को साहसी और धैर्यवान बनाते है 3 भाव मे बुध हो तो जातक धैर्यहीन होता है कारण यही है कि बुध ग्रह नपुशक ग्रह है यह 3 भाव मे धैर्यहीन बनाता है 3 भाव का स्वामी यदि धनेश से युक्त हो , तो जातक उदार दानी होता है कारण ★★★ 3 भाव बाहु स्थान है यह भाव निज सेल्फ भाव भी है यह सोच समझ कर या जानबूझकर किये गए कामो का घोतक है इस भाव का स्वामी धन भाव से जुड़ने पर यह धन का व्यय अपनी इच्छा से करेगा , तो शुभ व्यय होने पर यह दान के रूप में होगा , वैसे भी तीसरा भाव धन भाव से दूसरा होने से धन की भांति ही कार्य करता है अब यदि इन दोनों से शनि की युक्ति या दृष्टि हो जाये तो जातक बहुत ही अधिक लोभी होता है कारण ★★★ शनि के वारे में हम जानते ही है कि वो एक लोभी और स्वार्थी ग्रह है जब इसका धनेश या तीसरे भाव से सम्बद होगा तो जातक लोभी होगा lभाव
★★ आज अगर तीसरे भाव का विचार करे तो , 3 भाव से हम भाई का विचार करते है जब तीसरे भाव का स्वामी भाई का कारक मंगल है उससे दृष्ट या युक्त हो तो , भाइयो की संख्या में वृद्धि होती है तीसरे भाव से हम पराक्रम साहस का भी विचार करते है तो जातक साहसी है या नही इन चीजो का विचार करे तो , तीसरे भाव का स्वामी अगर तीसरे भाव मे ही हो तो जातक साहसी , और धैर्य वान होता है सूर्य और मंगल यदि तीसरे भाव मे हो तो जातक , साहसी और धैर्य वान होता है कारण ★★★ सूर्य और मंगल जो कि पराक्रमी ग्रह है यह जब पराक्रम भाव मे होंगे तो जातक को साहसी बनाते है , इस तरह ही मंगल के आधे गुण केतु रखता है तो तीसरे भाव में केतु हो तो भी जातक को बहुत साहसी बनाता है तीसरे भाव मे पापी ग्रह यदि बलबान होकर पड़े हो तो जातक को साहसी और धैर्यवान बनाते है 3 भाव मे बुध हो तो जातक धैर्यहीन होता है कारण यही है कि बुध ग्रह नपुशक ग्रह है यह 3 भाव मे धैर्यहीन बनाता है 3 भाव का स्वामी यदि धनेश से युक्त हो , तो जातक उदार दानी होता है कारण ★★★ 3 भाव बाहु स्थान है यह भाव निज सेल्फ भाव भी है यह सोच समझ कर या जानबूझकर किये गए कामो का घोतक है इस भाव का स्वामी धन भाव से जुड़ने पर यह धन का व्यय अपनी इच्छा से करेगा , तो शुभ व्यय होने पर यह दान के रूप में होगा , वैसे भी तीसरा भाव धन भाव से दूसरा होने से धन की भांति ही कार्य करता है अब यदि इन दोनों से शनि की युक्ति या दृष्टि हो जाये तो जातक बहुत ही अधिक लोभी होता है कारण ★★★ शनि के वारे में हम जानते ही है कि वो एक लोभी और स्वार्थी ग्रह है जब इसका धनेश या तीसरे भाव से सम्बद होगा तो जातक लोभी होगा l
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