लग्नगत सूर्य के फल
(१) लग्न मे सू्र्य यदि पुरूष राशि मे स्थित हो तो कष्ट प्रद होता है| किन्तु यदि लग्न मे स्त्री राशि मे होतो जातक को सांसारिक सुख प्राप्ति होती है।
(२) लग्न मे धनु राशि का सूर्य जातक को विद्वान , विधिवेता,कुशल अभिनेता,बैरिस्टर,न्यायधीश या उच्च पद पर आसीन किसी सरकारी कामकाज से जुडा होता है किन्तु स्त्री का सुख प्राप्त न होना अनेक स्त्रीयो से संबंध होना ,संतान सुख न होना ,ऐसी समस्याये सामने आती है।
(३) लग्न मे कर्क राशि का सूर्य जातक को धनवान बनाता है| स्त्री सुख प्रदान करता है तथा संतान युक्त होता है| परन्तु संसारिक जीवन मे मान सम्मान कम होता है| कोई विशेस अधिकार प्राप्त नही होते।
(४) दक्षिणायन का सूर्य (कर्क से धनु तक) जातक को भाग्यशाली बनाता है| इन राशियो मे सूर्य विश्व का विकास करता है| दक्षिणायन का सूर्य जातक मे दैविय वृत्तियो का समावेश रखता है।
(५) उत्तरायण का सूर्य (मकर से मिथन तक) होने पर जातक मे वाद विवाद की आदत होती है| ऐसा जातक अपना अधिकार प्राप्त करने की ओर प्रवृत होता है।
(६) लग्न का सूर्य जातक को चिडचिडे स्वभाव का ,जिद्दी तथा बेइमान लोगो के साथ जुडने वाला बनाता है| जिसके कारण सराकर का दंड भी भोगता है।
(७) यदि लग्न मे सूर्य हो तो जातक के ऊपर यदि किसी प्रकार का कोई शासकीय धन शेष हो या सरकार द्वारा संचालित किसी प्रतिष्ठान से संबंधित धन राशि शेष हो तो उसे वापस करने मे देरी करता है| कई बार लालची या ईष्यालु अधिकारियो द्वारा धन संबंधी आरोप भी लगाया जाता है।
(८) यदि लग्न मे सूर्य हो जातक को सरकार द्वारा किसी प्रकार की पूछताछ या अभियोग का पात्र बनना पडता है।
(९) लग्न का सूर्य जातक को राजनीती मे सक्रीय बनाता है| या फिर अधिकारियो से अच्छे संबंध रखत है।
(१०) लग्न का सूर्य जातक को क्षीण काय अर्थात दुर्बल शरीर वाला व स्त्रीयो के कारण बदनाम होता है| जातक की संतान दुष्ट होती है| या कठिनाई से संतान प्राप्ति होती है| यदि तुला राशि का सूर्य हो तो जातक बाजारू स्त्रीयो मे रूची रखता है| जातक सम्मान से रहित ,ईष्या करने वाला और कमजोर आँखो वाला या बुरी नजर वाला होता है।
(११) यदि लग्न मे सूर्य हो तो जातक घने बाल वाला ,कार्य मे आलस्य युक्त बुद्धि वाला ,क्रोधी ,उग्र ,ऊँची देह वाला अर्थात लम्बा ,अंहकार ,शुष्क दृष्टी वाला ,कठोर देहधारी ,क्षमा से रहित तथा निर्दयी होता है|
(१) लग्न मे सू्र्य यदि पुरूष राशि मे स्थित हो तो कष्ट प्रद होता है| किन्तु यदि लग्न मे स्त्री राशि मे होतो जातक को सांसारिक सुख प्राप्ति होती है।
(२) लग्न मे धनु राशि का सूर्य जातक को विद्वान , विधिवेता,कुशल अभिनेता,बैरिस्टर,न्यायधीश या उच्च पद पर आसीन किसी सरकारी कामकाज से जुडा होता है किन्तु स्त्री का सुख प्राप्त न होना अनेक स्त्रीयो से संबंध होना ,संतान सुख न होना ,ऐसी समस्याये सामने आती है।
(३) लग्न मे कर्क राशि का सूर्य जातक को धनवान बनाता है| स्त्री सुख प्रदान करता है तथा संतान युक्त होता है| परन्तु संसारिक जीवन मे मान सम्मान कम होता है| कोई विशेस अधिकार प्राप्त नही होते।
(४) दक्षिणायन का सूर्य (कर्क से धनु तक) जातक को भाग्यशाली बनाता है| इन राशियो मे सूर्य विश्व का विकास करता है| दक्षिणायन का सूर्य जातक मे दैविय वृत्तियो का समावेश रखता है।
(५) उत्तरायण का सूर्य (मकर से मिथन तक) होने पर जातक मे वाद विवाद की आदत होती है| ऐसा जातक अपना अधिकार प्राप्त करने की ओर प्रवृत होता है।
(६) लग्न का सूर्य जातक को चिडचिडे स्वभाव का ,जिद्दी तथा बेइमान लोगो के साथ जुडने वाला बनाता है| जिसके कारण सराकर का दंड भी भोगता है।
(७) यदि लग्न मे सूर्य हो तो जातक के ऊपर यदि किसी प्रकार का कोई शासकीय धन शेष हो या सरकार द्वारा संचालित किसी प्रतिष्ठान से संबंधित धन राशि शेष हो तो उसे वापस करने मे देरी करता है| कई बार लालची या ईष्यालु अधिकारियो द्वारा धन संबंधी आरोप भी लगाया जाता है।
(८) यदि लग्न मे सूर्य हो जातक को सरकार द्वारा किसी प्रकार की पूछताछ या अभियोग का पात्र बनना पडता है।
(९) लग्न का सूर्य जातक को राजनीती मे सक्रीय बनाता है| या फिर अधिकारियो से अच्छे संबंध रखत है।
(१०) लग्न का सूर्य जातक को क्षीण काय अर्थात दुर्बल शरीर वाला व स्त्रीयो के कारण बदनाम होता है| जातक की संतान दुष्ट होती है| या कठिनाई से संतान प्राप्ति होती है| यदि तुला राशि का सूर्य हो तो जातक बाजारू स्त्रीयो मे रूची रखता है| जातक सम्मान से रहित ,ईष्या करने वाला और कमजोर आँखो वाला या बुरी नजर वाला होता है।
(११) यदि लग्न मे सूर्य हो तो जातक घने बाल वाला ,कार्य मे आलस्य युक्त बुद्धि वाला ,क्रोधी ,उग्र ,ऊँची देह वाला अर्थात लम्बा ,अंहकार ,शुष्क दृष्टी वाला ,कठोर देहधारी ,क्षमा से रहित तथा निर्दयी होता है|
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