*"मंत्र-महिमा किस मंत्र से क्या लाभ होता है.."*
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मन की मनन करने की शक्ति अर्थात एकाग्रता
प्रदान करके, जप द्वारा सभी भयों का विनाश
करके, पूर्ण रूप से रक्षा करनेवाले शब्दों को -
मंत्र कहा जाता है। ऐसे कुछ मंत्र और उनकी
शक्ति निम्न प्रकार है ::~
⚜
1. हरि ॐ
ह्रीं शब्द बोलने से यकृत पर गहरा प्रभाव पड़ता है
और हरि के साथ यदि *ॐ* मिला कर उच्चारण किया
जाए तो हमारी पाँचों ज्ञानेन्द्रियों पर अच्छी असर
पड़ती है। सात बार हरि ॐ का गुंजन करने से
मूलाधार केन्द्र पर स्पंदन होते हैं और कई रोगों
को कीटाणु भाग जाते हैं।
⚜
2. हे राम!
रमन्ते योगीनः यस्मिन् स रामः। जिसमें योगी लोग
रमण करते हैं वह है राम। रोम रोम में जो चैतन्य
आत्मा है वह है राम। ॐ राम... ॐ राम.. का हर
रोज एक घण्टे तक जप करने से रोग प्रतिकारक
शक्ति बढ़ती है, मन पवित्र होता है,निराशा,हताशा
और मानसिक दुर्बलता दूर होने से शारीरिक स्वा -
स्थ्य प्राप्त होता है।
⚜
3. सूर्यमंत्रः ॐ सूर्याय नमः।
इस मँत्र के जप से स्वास्थ्य, दीर्घायु, वीर्य एवं ओज
की प्राप्ति होती है। यह मंत्र शरीर एवं चक्षु के सारे
रोग दूर करता है। इस मंत्र के जप करने से जापक
के शत्रु उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते।
⚜
4. सारस्वत्य मंत्रः ॐ सारस्वत्यै नमः।
इस मंत्र के जप से ज्ञान और तीव्र बुद्धि प्राप्त होती है।
⚜
5. लक्ष्मी मंत्रः ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः।
इस मंत्र के जप से धन की प्राप्ति होती है और निर्धनता
का निवारण होता है।
⚜
6. गणेष मंत्रः ॐ श्री गणेषाय नमः। ॐ गं गणपतये नमः।
इन मंत्रों के जप से कोई भी कार्य पूर्ण करने में आने वाले
विघ्नों का नाश होता है।
⚜
7. हनुमान मंत्रः ॐ श्री हनुमते नमः।
इस मंत्र के जप से विजय और बल की प्राप्ति होती है।
⚜
8. सुब्रह्मण्यमंत्रः ॐ श्री शरणभवाय नमः।
इस मंत्र के जप से कार्यों में सफलता मिलती है।
यह मंत्र प्रेतात्मा के दुष्प्रभाव को दूर करता है।
⚜
9. सगुण मंत्रः ॐ श्री रामाय नमः। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
ॐ नमः शिवाय।
ये सगुण मंत्र हैं, जो कि पहले सगुण साक्षातकार कराते हैं
और अंत में निर्गुण साक्षात्कार।
⚜
10. मोक्षमंत्रः ॐ, सोsहम्, शिवोsहम्, अहं ब्रह्मास्मि।
ये मोक्ष मंत्र हैं, जो आत्म-साक्षात्कार में मदद करते हैं।
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मन की मनन करने की शक्ति अर्थात एकाग्रता
प्रदान करके, जप द्वारा सभी भयों का विनाश
करके, पूर्ण रूप से रक्षा करनेवाले शब्दों को -
मंत्र कहा जाता है। ऐसे कुछ मंत्र और उनकी
शक्ति निम्न प्रकार है ::~
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1. हरि ॐ
ह्रीं शब्द बोलने से यकृत पर गहरा प्रभाव पड़ता है
और हरि के साथ यदि *ॐ* मिला कर उच्चारण किया
जाए तो हमारी पाँचों ज्ञानेन्द्रियों पर अच्छी असर
पड़ती है। सात बार हरि ॐ का गुंजन करने से
मूलाधार केन्द्र पर स्पंदन होते हैं और कई रोगों
को कीटाणु भाग जाते हैं।
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2. हे राम!
रमन्ते योगीनः यस्मिन् स रामः। जिसमें योगी लोग
रमण करते हैं वह है राम। रोम रोम में जो चैतन्य
आत्मा है वह है राम। ॐ राम... ॐ राम.. का हर
रोज एक घण्टे तक जप करने से रोग प्रतिकारक
शक्ति बढ़ती है, मन पवित्र होता है,निराशा,हताशा
और मानसिक दुर्बलता दूर होने से शारीरिक स्वा -
स्थ्य प्राप्त होता है।
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3. सूर्यमंत्रः ॐ सूर्याय नमः।
इस मँत्र के जप से स्वास्थ्य, दीर्घायु, वीर्य एवं ओज
की प्राप्ति होती है। यह मंत्र शरीर एवं चक्षु के सारे
रोग दूर करता है। इस मंत्र के जप करने से जापक
के शत्रु उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते।
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4. सारस्वत्य मंत्रः ॐ सारस्वत्यै नमः।
इस मंत्र के जप से ज्ञान और तीव्र बुद्धि प्राप्त होती है।
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5. लक्ष्मी मंत्रः ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः।
इस मंत्र के जप से धन की प्राप्ति होती है और निर्धनता
का निवारण होता है।
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6. गणेष मंत्रः ॐ श्री गणेषाय नमः। ॐ गं गणपतये नमः।
इन मंत्रों के जप से कोई भी कार्य पूर्ण करने में आने वाले
विघ्नों का नाश होता है।
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7. हनुमान मंत्रः ॐ श्री हनुमते नमः।
इस मंत्र के जप से विजय और बल की प्राप्ति होती है।
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8. सुब्रह्मण्यमंत्रः ॐ श्री शरणभवाय नमः।
इस मंत्र के जप से कार्यों में सफलता मिलती है।
यह मंत्र प्रेतात्मा के दुष्प्रभाव को दूर करता है।
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9. सगुण मंत्रः ॐ श्री रामाय नमः। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
ॐ नमः शिवाय।
ये सगुण मंत्र हैं, जो कि पहले सगुण साक्षातकार कराते हैं
और अंत में निर्गुण साक्षात्कार।
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10. मोक्षमंत्रः ॐ, सोsहम्, शिवोsहम्, अहं ब्रह्मास्मि।
ये मोक्ष मंत्र हैं, जो आत्म-साक्षात्कार में मदद करते हैं।
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