Saturday, September 9, 2017

जाने_अपनी_कुंडली_में_ग्रहण_दोष_के_अच्छे_बुरे_प्रभाव


#जाने_अपनी_कुंडली_में_ग्रहण_दोष_के_अच्छे_बुरे_प्रभाव
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जीवन में बनता हुआ हुआ काम अचानक रूक जाता हो तो इसे ग्रहण योग का प्रभाव समझ सकते हैं. हम में से बहुत से लोगों ने महसूस किया होगा कि उनका कोई महत्वपूर्ण काम जब पूरा होने वाला होता है तो बीच में कोई बाधा आ जाती है और काम बनते बनते रह जाता है. इस स्थिति के आने पर अक्सर हम अपनी किस्मत को कोसते हैं अथवा किसी की नज़र लग गयी है ऐसा सोचते हैं.

ज्योतिष शास्त्र की नज़र में यह अशुभ ग्रहण योग का प्रभाव बहुत ही खतरनाक और कष्टदायक माना गया है. ज्योतिषविद्या के अनुसार यह योग काल सर्प योग से भी खतरनाक और अशुभ फलदायी है  कालसर्प योग में जीवन में उतार चढ़ाव दोनों आते हैं परंतु यह ऐसा योग है जिसमें सब कुछ बुरा ही होता है. इस योग से प्रभावित व्यक्ति जीवन में हमेशा निराश और हताश रहता है !
                                                                                                                                                                                                                                       जब कुंडली में ग्रहण योग बनता है तो उस स्थिति अपर समस्या जीवन को घेर लेती  है !  कुण्डली के द्वादश भावों में से किसी भाव में #सूर्य अथवा #चन्द्रमा के साथ #राहु व #केतु में से कोई एक साथ बैठा हो या फिर सूर्य या चन्द्रमा की राशी में राहु केतु में से कोई गृह हो.तो   इसेआंशिक ग्रहण योग कहेंगे , राहु अगर लग्न में किसी भी राशी का हो तो भी आंशिक सूर्य ग्रहण माना जाता है,

ग्रहण योग जिस भाव में लगता है उस भाव से सम्बन्धित चीजो या उसके रिशतो में यह अशुभ प्रभाव डालता है. उदाहरण के तौर पर देखें तो द्वितीय भाव धन का स्थान कहलता है. इस भाव में ग्रहण योग लगने से आर्थिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. व्यक्ति को धन की समस्या या कमी सदा महसूस होती है , ऐसे  पास धन आता भी है तो ठहरता नहीं है, और अगर धन मिलने की संभावना बनती है तो अचानक स्थिति बदल जाती है और धन हाथ से चला जता है,  कई बार कई ज्योतिष अपनी कुंडली अवलोकन विधा  में इस पर ध्यान नहीं दे पाते , जो बहुत ही गलत साबित होता है , फिर ग्रहण वाले जातको को माता , पिता , धन , रिश्ता , शरीर, स्वास्थ , नोकरी में निरंतर अस्थिरता रहती है !    
                                                                                                                                                                #कुछ_उपाय -    
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१- अमावस्या तथा लगातार पांच रविवार के दिन सुबह १० से पूर्व गेहू , नारियल को जल में डाले ,
२-  केवल ग्रहण दोष की पूजन विधान किसी जल वाले स्थान या नदी के किनारे करवाए
३- समय- समय पर गेहू ,काले टिल दान करे .
४- ताम्बे का साफ सिक्का घी में कर के नारीयल पर रख कर हवं कुंद या धुनी में अमावस्या के दिन डाले !


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