Tuesday, September 5, 2017

कुंडली में जानिए आपकी पत्नी कैसी होगी


कुंडली में जानिए आपकी पत्नी कैसी होगी

हर पुरुष की तमन्ना होती है कि उसे सुंदर पत्नी मिले। इसीलिए हर पुरुष अपनी होने वाली पत्नी के बारे में जानने के लिए उत्साहित रहता है लेकिन वह सोच नहीं पाता कि वह ऐसा कैसे करें? ये सब जानने के लिए अपनाइए ये आसान सा तरीका। जी हां इस तरीके से आप खुद ही जान लेंगे कि आपकी पत्नी सुंदर होगी या सामन्य रुप रंग की। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली का सातवां घर विवाह स्थान होता है। अगर कुण्डली में शुक्र पहले घर में बैठा हो या गुरू से सातवें घर में शुक्र बैठा है तो सुंदर पत्नी प्राप्त होती है।

सातवें घर में जो राशि है उस राशि के स्वामी ग्रह को शुक्र देख रहा हो या गुरू सातवें घर में बैठा है तो सुंदर जीवनसाथी प्राप्त होता है। कुंडली में अगर शुक्र सातवें घर में तुला, वृष या कर्क राशि में बैठा है तो आपकी पत्नी गोरे रंग की होगी और उसके नयन नक्श आकर्षक होंगे।

से जाने प्रेम विवाह कब होगा

वैलेंटाइन डे को आज का युवा वर्ग प्रेम के इजहार के पर्व के रूप में मनाने लगा है। कुछ प्रेम के इजहार को विवाह में भी बदल लेते हैं। आपके भावी जीवन साथी की जन्म कुंडली में यदि आपके अनुकूल स्थितियां हों तो प्रेम विवाह के बाद दाम्पत्य जीवन पूर्ण सुखी व सफल रहता है और भाग्योन्नति होती है।

जन्म कुंडली का पंचम भाव प्रणय संबंध और सप्तम भाव विवाह से संबंधित होता है। शुक्र सप्तम भाव का कारक है। अत: जब पंचमेश, सप्तमेश और शुक्र का शुभ संयोग होता है तो दोनों में घनिष्ठ स्नेह होता है।

दोनों की राशियां एक दूसरे से समसप्तक हों या एक से अधिक ग्रह समसप्तक हों जैसे एक का चंद्रमा लग्न में तथा दूसरे का सप्तम भाव में हो।

दोनों के शुभ ग्रह समान भाव में हों अर्थात एक की कुंडली में शुभ ग्रह यदि लग्न, पंचम, नवम या केंद्र में हों तथा दूसरे के भी इन्हीं भावों में हों।

दोनों के लग्नेश और राशि स्वामी एक ही ग्रह हों। जैसे एक की राशि मीन हो और दूसरे की जन्म लग्न मीन होने पर दोनों का राशि स्वामी गुरु होगा।

दोनों के लग्नेश, राशि स्वामी या सप्तमेश समान भाव में या एक दूसरे के सम-सप्तक होने पर रिश्तों में प्रगाढ़ता प्रदान करेंगे।

दोनों की कुंडलियों के ग्रहों में समान दृष्टि संबंध हो। जैसे एक के गुरु चंद्र में दृष्टि संबंध हो तो दूसरे की कुंडली में भी यही ग्रह दृष्टि संबंध बनाएं।

सप्तम एवं नवम भाव में राशि परिवर्तन हो तो शादी के बाद भाग्योदय होता है। सप्तमेश ग्यारहवें या द्वितीय भाव में स्थित हो तथा नवमांश कुंडली में भी सप्तमेश 2, 5 या 11वें भाव में हो तो ऐसी ग्रह स्थिति वाले जीवन साथी से आर्थिक लाभ होता है।

उपरोक्त ग्रह स्थितियों में से जितनी अधिक ग्रह स्थितियां दोनों की कुंडलियों में पाई जाएंगी, उनमें उतना ही अधिक सामंजस्य होकर गृहस्थ जीवन सुखी रहेगा।

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