नवांस कुंडली और विवाहिक जीवन
मित्रों वर्ग कुंडलियों में नवांश कुंडली का अध्ययन
विवाहिक जीवन का अध्ययन करने के लिय किया जता
है | किसी जातक का विवाहिक जीवन कैसा
रहेगा उसकी जीवनसाथी के
साथ कैसी निभेगी , दोनों में कितना प्रेम
रहेगा और उनका ग्रहस्थी जीवन कैसा
रहेगा उसके लिय मुख्य रूप से नवमांश का अध्ययन किया जाता है
\
जन्मकुंडली में जब भी नवमांसपति
यानी की नवमांश कुंडली के
लग्न का स्वामी लग्न कुंडली के ग्रह के
साथ मित्रता का सम्बन्ध बना रहा होता है तो जातक का अपने
जीवन साथी के साथ सम्बन्ध
सही बने रहने के योग बनते है | ये
ही नवमांश पति जब जन्मकुंडली में केंद्र
या त्रिकोण भाव में हो तो शादी भी
जल्दी होने और मधुर सम्बन्ध शादी के
बाद बने रहने के योग बने रहते है \
किसी भी लडकी
की कुंडली में नवमांश में मंगल
की अच्छी सिथ्ती उसके
अच्छे ग्रहस्थी सुख का योग बनती है
तो किसी लकड़े की कुंडली में
नवमांश में शुक्र की अच्छी
सिथ्ती अच्छे ग्रहस्थी
जीवन के योग बना देती है | यहाँ
अच्छी सिथ्ती से अभिप्राय है
की ये ग्रह नवमांश में अपनी राशि मित्र
राशि या उंच राशि में हो और त्रिक भाव में न हो |
नवमांश पति यदि जन्म कुंडली में अच्छी
सिथ्ती में शुभ ग्रहों से युक्त या द्रिस्ट होकर सिथत
हो तो जातक को ससुराल से लाभ , अच्छा जीवन
साथी दिलाने के योग बना देता है लेकिन पाप ग्रहों से
प्रभावित होने पर सिथ्ती विपरीत होने के
चांस ज्यादा रहते है |
किसी भी जातक के विवाहिक
जीवन का अध्ययन करते समय
जन्मकुंडली के सप्तमेश की नवमांश में
सिथ्ती देखनी आवश्यक
होती है उसकी सिथ्ती के
अनुसार ही जातक को विवाहिक सुख मिलने के योग
बनते है | \
नवमांश कुंडली का प्रयोग ग्रहों का बल देखने में
भी अहम भूमिका निभाती है |
यदि किसी जातक का नवमांश पति सूर्य है तो
पत्नी गुस्से वाली , आत्मिक रूप से
बली , किसी क अहसान न लेने
वाली होती है \
चन्द्र के नवमांश पति होने पर स्वभाव से मधुर , दिल से कुछ
चंचल , मानशिक रूप से बली होती है |
मंगल के नवमांश पति होने पर साहसी ,
अपनी बाजुओं की ताकत पर विस्वास रखने
वाली और आत्मविश्वास से भरी हुई
होती है |
बुद्ध के नवमांश पति होने से बुद्धिमान, वाक् चातुर्य में
प्रवीन होती है |
गुरु होने पर धार्मिक , घर परिवार की चिंता करने
वाली और पति धर्म का पालन करने वाली
होती है \
शुक्र होने पर सुंदर , चंचल , पति को पूर्ण शारीरिक
सुख देने वाली होती है |
शनी के नवमांश पति होने पर आलस्य
वाली , कार्य में देरी करने वाली
होती है | \
नवमांश पति के राहू या केतु के साथ होने पर पति का मान सम्मन
न करने वाली , हठी स्वभाव
की होती है \
उपरलिखित गुण अवगुण ग्रह के बल के उपर निर्भर करेंगे
की इसका कितना प्रभाव उसके उपर है \ \
इस प्रकार मित्रों यदि हम जन्मकुंडली के दुसरे चोथे
सप्तम भाव के साथ यदि नवमांश कुंडली का विवाहिक
जीवन के लिय गहनता से अध्ययन करे तो फलित में
सच्चाई के काफी नजदीक जाकर निष्कर्ष
पर पहुँच सकते है
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