Tuesday, September 5, 2017

ज्योतिष में मंगल को साहस धैर्य का कारक माना गया है


श्री हरि जय सिया राम
मंगल = ज्योतिष में मंगल को साहस धैर्य का कारक माना गया है यह मिल्ट्री सेना पुलिस आदि में मंगल बलबान हो तो यह ले जाता है वेसे मंगल क्रोधी है यह चोट लड़ाई झग़डा आदि का भी कारक है मांगलिक दोष मंगल से ही होता है पर मंगल चोट लगाना न्याय के लिए लड़ना आदि बाते भी मंगल की है यह सत्रु राशि में हो तो कोई बड़ा दोष नहीं है मंगल रक्त विकार भी उत्पन करता है यह रक्त का कारक है और मांगलिक दोष की बाते करे तो वो ज्यादा स्त्री जातक की कुंडली में देखा जाता है या ज्यादा प्रभाव करता है वेसे मंगल  अगर असुभ हो तो लड़ाई -झग़डा - क्रूरता _ अपने खुद की मर्ज़ी ज्यादा करना और अहकार आदि असुभ बाते होती है हद से ज्यादा गुस्सा आदि आदि अब मांगलिक दोष कैसे बनता है कुंडली में जब मंगल 1_4_7_8_12 भाव में हो  तो यह संतान की गर्भ में हानि भी कर सकता है अब मांगलिक दोष का विचार करे तो मंगल रक्त  का कारक है ज्यादा गुस्सा सबभाव क्रूर हो तो अब मंगल अगर मांगलिक दोष मनायेगा अगर सत्रु आदि राशि में तो स्त्री जातक को माशीक धर्म में खराबी और स्वाभाव में क्रूरता जिद आदि होंगे गर्भ धारण की सक्ति प्रसव क्रिया आदि में खराबी आदि देगा तो ज्यादा यह स्त्री जातक को प्रभावित करता है और मांगलिक का एक यह भी कारन है की यह  इसकी दृस्टी 1_4_7_8_12 भाव में होगा तो जीवन साथी की आयु  का नुकशान करेगी और मंगल की दृस्टी  दृस्टी उनकी आयु के अंगो पर होगी अब लिखने को तो और भी बहुत है पर आज बात मंगल के  राशियों में होने की 1 नंबर मतलब मेष राशि उसके अनुसार समझ लेना चाहिए
1= इस अपनी राशि और मूल त्रिकोण राशि है इसमें मंगल होने से सबभाव में क्रूरता और तानासहाई के गुण अपने आप आ जाते है इस राशि में मंगल  हो तो जातक का लड़कियो के प्रति विशेष झुकाव रहता है जो मनोबल का भी कम करता है
2=इस राशि में मंगल के प्रभाव से जातक बहुत अधिक कड़वा बोलने वाला होता है उसकी संतान उसकी उम्मीदों पे खरी नहीं उतरती  दूसरे की संतान और परिवार को देख कर ईर्ष्या की भावना पैदा हो जाती है
3= इस राशि में मंगल होने से जातक एक से अधिक कार्य करना चाहता है पर एक से अधिक कार्य होने से पुख्ता सफलता नहीं मिल पाती है
4= अपनी नीच राशि में मंगल हो जातक किराये के मकान में रहता है सरीर के किसी अंग् में कमजोरी होती है सपने  बड़े बड़े होते है पर माँ लक्ष्मी की कम कृपा से चिड़चिड़ा  हीनभावना आदि का शिकार हो जाता है
5= इस राशि में मंगल हो  मिलजुलकर काम करने में परेशानी होती है अपने कुल और धर्म की परम्पराओ में कम विश्वाश रखता है अपनी बिरादरी में कम मान समान मिलता है
6= इस राशि में मंगल हो व्यक्ति का सबभाव बहुत ज्यादा खर्चीला होता है खर्च करने की आदत उसका बजट बिगाड़ देती है
7= इस राशि में मंगल हो जातक को परिस्थितिया अक्सर घर से वाहर ही रखती है ज्यादा यात्राओ के कारण परेशानी पत्नी का हेल्थ की परेशानी आदि हो सकती है
8= अपनी राशि में मंगल से जातक खान पान का ना धयान रखे शरीर में संक्रमण पेट की खराबी दुर्घटना चोट आदि हो सकती है
9=इस राशि में मंगल से कठोर बोलने की आदत ज्यादा क्रोध से अपना ही नुकशान हो बुजर्गो से विरोध कम मान समान सीधा बोलने की आदत आदि बाते हो सकती है
10= अपनी उच्च राशि में मंगल अपनी शालीनता और शिष्टाचार के कारण व्यबसाय में नुक्सान उठाता है दिखवे करनी की आदत के कारण खर्च भी ज्यादा करता है
11=इस राशि में जातक से शरीर जल्दी ढलना सुरु हो जाता  है जातक अपनी उम्र से ज्यादा दीखता है शरीर की सफाई खानपान में कम ध्यान देने की आदत हो सकती है
12= इस राशि में मंगल से जातक रोग पीड़ा व्यवहार में धोका मानशिक कष्ठ हों सकता है l

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