वास्तु क्या है और सम्पूर्ण ब्रमहाणङ किन तत्वो से मिलकर बना है इसमें वास्तु दोष क्यों और कैसे उत्पन्न होता है तथा ब्रमहाणङ जिन तत्वो से मिलकर बना है उनका स्थान क्या है और उनके कौन कौन से देवी देवता है ??
सम्पूर्ण ब्रमहाणङ पंच तत्वो से मिलकर बनता है सम्पूर्ण ब्रमहाणङ मे पाये जाने वाला छोटा से छोटा कण भी वास्तु है ।ये पंच तत्व आग ,जल ,वायु ,आकाश व पृथ्वी होते है । इन तत्वो का संतुलन ही वास्तु तथा असंतुलन ही वास्तु दोष होता है इन सभी पंच तत्वो का अपना अलग अलग स्थान व अपने देवी देवता भी होते है शास्त्र के अनुसार इन तत्वो के देवी देवता की पूजा अचॅना करके इन तत्वो की शुद्धि की जा सकती है ।
1...जल तत्व ..पृथ्वी मे सबसे अधिक माञा मे पाया जाने वाला तत्व जल होता है ।ईशान कोण को जल तत्व का स्थान माना गया है जो उत्तर व पूर्व से मिलकर बनता है इस तत्व के देवता शिव जी है जल तत्व के द्वारा ही हमे ज्ञान की प्राप्ति होती है साथ ही मन की शांति भी इसी तत्व से मिलती है । इसलिए इस कोण को आध्यात्मिक कार्य के लिए सर्वोत्तम माना गया है ।
2...अगनि तत्व ...आग्नेय कोण को अगनि तत्व का स्थान माना गया है जो पूर्व व दझिण दिशा से मिलकर बनता है इस तत्व के देवता सूर्य देव है जो उर्जा प्रदान करते है अगनि से हमारा स्वास्थ्य सम्बन्धित होता है निरोगी काया के लिए भगवान सूर्य की उपासना करनी चाहिये 3....आकाश तत्व ...आकाश तत्व के स्वामी भगवान विष्णु जी है यह तत्व प्रेम से सम्बन्ध रखता है ।
4..वायु तत्व ...वायव्य कोण को वायु तत्व का स्थान माना गया है जो गति प्रदान करता है वायु तत्व माता पार्वती के आधिन होता है यह तत्व उत्तर और पश्चिम से मिलकर बना होता है ।
5...पृथ्वी तत्व ...नैतृतव कोण को पृथ्वी तत्व का स्थान माना गया है यह कोण दझिण व पश्चिम से मिलकर बना होता है इस तत्व के देवता गणेश जी है जो स्थायित्व प्रदान करते है जिंदगी मे स्थायित्व व विघ्ननाश के लिए गणेश जी की उपासना करे ।
प्रकृति द्वारा निरथारित इन तत्वो व देवी देवताओ का स्थान निश्चिंत है । वास्तु का उद्देश्य सुख शांति सम्पत्ति वृद्धि विकास व प्रसन्नता प्रदान करना होता है और यह तभी सम्भव है जब इन तत्वो मे संतुलन बना हो असंतुलन की स्थिति मे वास्तु दोष उत्पन्न होता है जिससे हमे शारिरीक मानसिक आर्थिक व अन्य समस्या का सामना करना होता है ।
सम्पूर्ण ब्रमहाणङ पंच तत्वो से मिलकर बनता है सम्पूर्ण ब्रमहाणङ मे पाये जाने वाला छोटा से छोटा कण भी वास्तु है ।ये पंच तत्व आग ,जल ,वायु ,आकाश व पृथ्वी होते है । इन तत्वो का संतुलन ही वास्तु तथा असंतुलन ही वास्तु दोष होता है इन सभी पंच तत्वो का अपना अलग अलग स्थान व अपने देवी देवता भी होते है शास्त्र के अनुसार इन तत्वो के देवी देवता की पूजा अचॅना करके इन तत्वो की शुद्धि की जा सकती है ।
1...जल तत्व ..पृथ्वी मे सबसे अधिक माञा मे पाया जाने वाला तत्व जल होता है ।ईशान कोण को जल तत्व का स्थान माना गया है जो उत्तर व पूर्व से मिलकर बनता है इस तत्व के देवता शिव जी है जल तत्व के द्वारा ही हमे ज्ञान की प्राप्ति होती है साथ ही मन की शांति भी इसी तत्व से मिलती है । इसलिए इस कोण को आध्यात्मिक कार्य के लिए सर्वोत्तम माना गया है ।
2...अगनि तत्व ...आग्नेय कोण को अगनि तत्व का स्थान माना गया है जो पूर्व व दझिण दिशा से मिलकर बनता है इस तत्व के देवता सूर्य देव है जो उर्जा प्रदान करते है अगनि से हमारा स्वास्थ्य सम्बन्धित होता है निरोगी काया के लिए भगवान सूर्य की उपासना करनी चाहिये 3....आकाश तत्व ...आकाश तत्व के स्वामी भगवान विष्णु जी है यह तत्व प्रेम से सम्बन्ध रखता है ।
4..वायु तत्व ...वायव्य कोण को वायु तत्व का स्थान माना गया है जो गति प्रदान करता है वायु तत्व माता पार्वती के आधिन होता है यह तत्व उत्तर और पश्चिम से मिलकर बना होता है ।
5...पृथ्वी तत्व ...नैतृतव कोण को पृथ्वी तत्व का स्थान माना गया है यह कोण दझिण व पश्चिम से मिलकर बना होता है इस तत्व के देवता गणेश जी है जो स्थायित्व प्रदान करते है जिंदगी मे स्थायित्व व विघ्ननाश के लिए गणेश जी की उपासना करे ।
प्रकृति द्वारा निरथारित इन तत्वो व देवी देवताओ का स्थान निश्चिंत है । वास्तु का उद्देश्य सुख शांति सम्पत्ति वृद्धि विकास व प्रसन्नता प्रदान करना होता है और यह तभी सम्भव है जब इन तत्वो मे संतुलन बना हो असंतुलन की स्थिति मे वास्तु दोष उत्पन्न होता है जिससे हमे शारिरीक मानसिक आर्थिक व अन्य समस्या का सामना करना होता है ।
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