ऐसे व्यक्ति की होती है जबर्दस्त किस्मत जिनकी कुंडली में यह ग्रह स्तिथी होती है वह व्यक्ति अत्यंत भाग्यशाली और हर तरह से सुखी होता है .....
1.नवम भाव का स्वामी भाग्येश कुंडली में अपनी उच्च की राशी या स्वराशी का होकर केंद्र व त्रिकोण भाव में स्तिथ हो तो ऐसी कुंडली में महाभाग्यशाली योग बनता है ,ऐसे व्यक्ति पृथ्वी पर जन्म लेते ही अपने भाग्य से सब कुछ धन ,संपदा ,वैभव ,नाम व पिता का भी नाम रोशन करतें हैं ,साथ ही अपने कुल का भी नाम रोशन करते हैं ,ऐसा व्यक्ति कुलदीपक भी होता है |
2.पहले भाव का स्वामी लग्नेश अपनी उच्च या स्वराशी का होकर लग्न भाव या केंद्र मे स्तिथ हो तो ऐसा व्यक्ति शूरवीर योद्धा होता है ऐसे व्यक्ति अपनी मेहनत व साहस के दम पर अपना भाग्य लिखते हैं ,उन्नती की ऊँचाईयों को छूते हैं |
3.पंचम भाव का स्वामी स्व राशी अथवा अपनी उच्च राशी का होकर पंचम भाव में अथवा केंद्र में स्तिथ हो तो ऐसा व्यक्ती अपनी ज्ञान ,विद्या ,बुद्धि द्वारा जूएँ ,सट्टे ,लाटरी से खूब धन अर्जन करता हुआ एक खुशहाल व समृद्ध जीवन जीता है,ऐसे व्यक्ती के पुत्र योग्य तथा अत्यंत धनवान ,बुद्धिमान होतें हैं |
नोट - जो भी ग्रह लग्नेश ,पंचमेश ,भाग्येश आदि योग कारक हों इन ग्रहों की डिग्री अच्छी हो तथा किसी भी पाप ग्रह के साथ युति ना हो ना ही किसी भी पापी व क्रूर ग्रहों की इन पर दृष्टी हो अन्यथा फल विपरीत हो सकतें हैं अथवा फल में न्यूनता आ सकती है ऐसा भी संभव हो की शुभ फल ना भी मिले |
योगकारक ग्रह अच्छी डिग्री और शुभ ग्रहों से युत अथवा दृष्ट हों तो अति उत्तम फल मिलतें हैं |
1.नवम भाव का स्वामी भाग्येश कुंडली में अपनी उच्च की राशी या स्वराशी का होकर केंद्र व त्रिकोण भाव में स्तिथ हो तो ऐसी कुंडली में महाभाग्यशाली योग बनता है ,ऐसे व्यक्ति पृथ्वी पर जन्म लेते ही अपने भाग्य से सब कुछ धन ,संपदा ,वैभव ,नाम व पिता का भी नाम रोशन करतें हैं ,साथ ही अपने कुल का भी नाम रोशन करते हैं ,ऐसा व्यक्ति कुलदीपक भी होता है |
2.पहले भाव का स्वामी लग्नेश अपनी उच्च या स्वराशी का होकर लग्न भाव या केंद्र मे स्तिथ हो तो ऐसा व्यक्ति शूरवीर योद्धा होता है ऐसे व्यक्ति अपनी मेहनत व साहस के दम पर अपना भाग्य लिखते हैं ,उन्नती की ऊँचाईयों को छूते हैं |
3.पंचम भाव का स्वामी स्व राशी अथवा अपनी उच्च राशी का होकर पंचम भाव में अथवा केंद्र में स्तिथ हो तो ऐसा व्यक्ती अपनी ज्ञान ,विद्या ,बुद्धि द्वारा जूएँ ,सट्टे ,लाटरी से खूब धन अर्जन करता हुआ एक खुशहाल व समृद्ध जीवन जीता है,ऐसे व्यक्ती के पुत्र योग्य तथा अत्यंत धनवान ,बुद्धिमान होतें हैं |
नोट - जो भी ग्रह लग्नेश ,पंचमेश ,भाग्येश आदि योग कारक हों इन ग्रहों की डिग्री अच्छी हो तथा किसी भी पाप ग्रह के साथ युति ना हो ना ही किसी भी पापी व क्रूर ग्रहों की इन पर दृष्टी हो अन्यथा फल विपरीत हो सकतें हैं अथवा फल में न्यूनता आ सकती है ऐसा भी संभव हो की शुभ फल ना भी मिले |
योगकारक ग्रह अच्छी डिग्री और शुभ ग्रहों से युत अथवा दृष्ट हों तो अति उत्तम फल मिलतें हैं |
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