Monday, October 2, 2017

चंद्रमा


=(चंद्रमा)= भारतीय ज्योतिष में चंद्रमा को माँ कहते है या रानी भी  कहते है जन्म के समय जिस राशि में चंद्रमा हो जातक की वहीँ जन्म राशि होती है चंद्रमा सबसे तेज़ चलने वाला ग्रह है ज्योतिष में चन्द्रमा के ऊपर ही हम प्रतिदिन की राशि देखते है तो जब जातक का जन्म होता है जिस राशि में चन्द्रमा हो वहीँ राशि जातक की होती है या यह कह लो जिस नक्षत्र में हो और जिस चरण में हो उसी के अनुसार जातक की वृति होती है इन नक्षत्रो में  गण्ड मूल नक्षत्र आदि होते है तो जब जातक का जन्म होता है तो सबसे पहले तो उसको माँ की जरूरत होती है तो माँ को विचार भी चन्द्रमा से किया जाता है चंद्रमा उच्च का हो सुभ ग्रहो से दृस्ट हो तो जातक को माँ का पूरा सुख मिलता है और माँ को ज्यादा प्रशव पीड़ा नहीं होती इसके विपरीत जब चन्द्रमा नीच का या पाप ग्रहो से पीड़ित हो तो जातक को माँ का सुख नहीं मिलता और प्रशव पीड़ा भी माता को ज्यादा होती है 4 भाव पीड़ित हो राहु शनि सूर्य जेसे ग्रहो से चंद्रमा पीड़ित हो तो माँ को गम्भीर रोग भी हो सकता है माँ की आयु का स्थान जातक की कुंडली में 11 है और मारक स्थान 10 वा है यदि यह पीड़ित होतो भी इनकी दशा अंतर्दशा में माँ की मौत हो सकती है बालक को जब जनम मिलता है  तो सबसे ज्यादा उसके लिए यह भी जरुरी होता है की उसका कोई अरिष्ठ ना मतलब लम्बी आयु पाये जब चंद्रमा पीड़ित हो तो जातक का अरिष्ठ कर सकता है मतलब जन्म के थोड़े समय या 12 साल के अंदर तक मौत दे देता है बाल अरिष्ठ को देखते समय चन्द्रमा के साथ बुध को भी देखना चाहिए क्योंकि कुमार  ग्रह बुध ही है जब यह आयु घोतक अंगो का स्वामी होके पीड़ित हो तो भी अचानक और बहुत जल्दी मौत दे देता है चंद्रमा को जब आप देखो गे तो आप की आँखों को सीतलता मिलेगी तो उससे क्या उसका मतलब की वो जलीय ग्रह है और आँखों का भी कारक है जब चंद्रमा बहुत ज्यादा पीड़ित हो  2 या 12 घर के स्वामी के साथ  तो वो जातक जन्म से ही अँधा होता है या जल्दी ही आँखे  चली जाती है क्योंकि यह आँख का कारक है जब यह शुक्र के साथ बलबान हो पेंटर जलीय चीजो से लाभ भी करवाता है चंद्रमा के विषय में एक बात और  है की यह मन का कारक है  मतलब हमारी भावनाये सोच की सीमा तो यह भी आप सभी जानते होंगे की मन के हारे सब हार मन के जीते सब जीत तो चन्द्रमा जिसका बलबान होता है उनके सोचने की सक्ति अधिक या यह बोल दे की मानशिक रूप से मजबूत होता है चंद्रमाँ बलहीन हो तो मानशिक रूप से कमजोर और मानशिक  परेशानी ज्यादा चन्द्रमा के साथ बुध भी कमजोर हो तो  जातक पागल हो जाता है चंद्रमा लग्न भी होता है मतलब हम चन्द्र कुंडली से भी लग्न कुंडली की तरह  फलादेश कर सकते है तो यह बलबान तो मान _समान पैसा आदि संब हो दरिद्र योग होते है उनमे भी कही ना कहि चंद्रमा पीड़ित होता है सबभाव हम चन्द्रमा और 4 भाव पे पड़ने वाले प्रभाव से जातक का सबभाव का पता लगता है मंगल आदि हिंसक  ग्रहो का प्रभाव हो तो जातक हिंसक  होता है दया रहित चन्द्रमा जब पीड़ित होगा तो मानशिक रूप से कमजोर होगा जातक तो  गुस्सा अधिक आएगा तो क्रोधी वृति भी चंद्रमा के पीड़ित होने से आते है l

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