Sunday, October 1, 2017

अकस्मात धन प्राप्ति के योग


आज दूसरे भाव धन से संबंधित योगों को व्याख्या

अकस्मात धन प्राप्ति के योग👉 यदि धन भाव का स्वामी शनि 4-8 या 12 वें भाव मे हो तथा बुध सप्तम भाव मे स्वग्रही होकर बैठा हो तो अकस्मात धन प्राप्ति का योग बनता है।

अकस्मात दिवालिया योग👉 यदि धन भाव मे कर्क राशि का चंद्र हो तथा अष्टम भाव मे शनि स्वग्रही होकर स्थित हो तो परस्पर दशा अंतर्दशा में जातक का दिवालिया योग बनता है।

क्रमिक धन नाश योग👉 यदि बुध धन भाव का स्वामी होकर गुरु के साथ अष्टम भाव मे हो तो जातक पिता से अर्जित धन को नष्ट कर डालता है।

धन संग्रहक योग👉 यदि धन भाव का स्वामी मंगल हो और वह एकादश भाव मे बैठकर दूसरे भाव को देख रहा हो तो जातक धन का संग्रह करने वाला होता है। तथा अपनी बौद्धिक क्षमता से धन संचय करता है।

धन असंग्रहक योग👉 धन भाव का स्वामी गुरु स्वराशि होकर धन भाव मे हो और शुक्र द्वादश भाव मे हो तो जातक धन संग्रह नही कर पाता।

धन वृद्धि योग👉 द्वितीय भाव का स्वामी गुरु उच्च होकर नवम भाव मे हो तो धन वृद्धियोग बनता है। इस योग वाला व्यक्ति स्वयं धन संग्रह करता है और पैतृक संपत्ति का भी उपभोग करता है।

कोष वृद्धि योग👉 द्वितीय भाव का स्वामी सूर्य हो और लग्न में उच्च का गुरु हो तो कोष वृद्धि योग होता है। इस योग वाला व्यक्ति धनाढ्य होता हैं

लक्ष्मी योग👉 लग्नेश बलवान हो और नवम भाव का स्वामी स्वग्रही हो तो लक्ष्मी योग बनता है। ऐसे व्यक्ति के पेड़ अकूत संपत्ति होती है।

धन योग👉 लग्न से पांचवी राशि शुक्र की हो तथा शुक्र एवं शनि पांचवे अथवा ग्यारहवे भाव मे हो तो धन योग बनता है। ऐसे व्यक्ति जीवन मे पर्याप्त धन कमाते है।

श्री योग👉 लग्न से पांचवी राशि मिथुन या कन्या की हो तथा एकादश भाव मे मंगल व चंद्र हो तो श्री योग बनता है। इस योग वाला व्यक्ति विशेष धनवान होता है।

वित्त योग👉 लग्न से पांचवी राशि सिंह में सूर्य स्वग्रही होकर बैठा हो तथा चंद्र और गुरु ग्यारहवे भाव मे हो तो वित्त योग बनता है। ऐसे व्यक्ति सम्पन्न होते है।

अखंड धन योग👉 लग्न से पांचवी राशि धनु या मीन हो तथा एकादश भाव मे चंद्र व मंगल हो तो अखंड धन योग बनता है। ऐसे जातक निसंदेह अपार वैभव सम्पन्न होते है।

कमला योग👉 लग्न से पांचवी राशि मकर या कुम्भ हो तथा बुध व मंगल एकादश भाव मे हो तो कमला योग बनता है। ऐसे व्यक्ति को धन की कमी नही रहती है।

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