शनि शत्रु नहीं मित्र -
ज्योतिष-शास्त्र में शनि से अधिक चर्चित शायद ही कोई दूसरा विषय हो जिसे जानने या पढ़ने के लिए लोग उत्सुक रहते हों। वैसे तो नव-ग्रह में प्रत्येक का अपना अलग महत्व है प्रत्येक ग्रह हमारे जीवन के किसी ना किसी पक्ष को प्रभावित करता ही है परन्तु शनि का यहाँ एक विशेष महत्व है क्योंकि शनि को नव ग्रह में दण्डाधिकारी का पद मिला है परन्तु शनि ग्रह को लेकर समाज और लोगों के मन में बहुत सी भ्रान्तियाँ फैली हुई हैं और इसका कारन पूर्ण ज्ञान या जानकारी का न होना भी है तो आईये ज्योतिष में शनि के महत्व को जाने।
ज्योतिष में शनि का महत्व -
खगोलीय दृष्टि से शनि हमारे सोलर सिस्टम में सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है। ज्योतिष में वर्णित बारह राशियों में शनि को "मकर" और "कुम्भ" राशि का स्वामी मना गया है शनि की उच्च राशि "तुला" तथा नीच राशि "मेष" मानी गयी है शनि को एक क्रोधित ग्रह के रूप में दर्शाया गया है। शनि का वर्ण काला है। शनि की गति नवग्रहों में सबसे धीमी है इसी लिए शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है और बारह राशियों के चक्र को तीस साल में पूरा करता है।
ज्योतिष में शनि को - कर्म, आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, अनुशाशन, दूरदृष्टि, प्राचीन-वस्तु, लोहा, स्टील, कोयला, पेट्रोल, पेट्रोलयम प्रोडक्ट, मशीन, औजार, तपश्या और अध्यात्म का करक मन गया है। स्वास्थ की दृष्टि से शनि हमारे पाचन-तंत्र, हड्डियों के जोड़, बाल, नाखून,और दांतों को नियंत्रित करता है।
प्राचीन ग्रंथों में शनि को दुःख का कारक या दुःख देने वाला ग्रह माना गया है परन्तु कलयुग मशीनों का ही बोलबाला है और शनि मशीनों का कारक ग्रह है इसलिए वर्तमान समय में शनि को एक तकनीकी ग्रह के रूप में देखा जाना चहिये। तकनिकी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के जीवन में शनि का बड़ा महत्व होता है। यदि किसी की कुंडली में शनि मजबूत हो तो ऐसा व्यक्ति तकनिकी क्षेत्र में सफलता पाता है।
शनि की साढ़ेसाती- साढ़ेसाती ज्योतिष का सर्वाधिक चर्चित विषय है और शायद ही लोगों के मन में किसी अन्य ग्रह स्थिति को लेकर इतना भय रहता हो जितना के साढ़ेसाती को लेकर रहता है पर वास्तविकता पूरी तरह ऐसी नहीं होती
जब गोचरवश शनि हमारी जन्म राशि से बारहवीं राशि में आता है तो साढ़ेसाती आरम्भ हो जाती है साढ़ेसाती के दौरान शनि ढाई साल हमारी राशि से बारहवीं राशि में ढाई साल हमारी राशि में और ढाई साल हमारी राशि से अगली राशि में गोचर करता है इस तरह साडेसात साल पूरे होते हैं। जब किसी व्यक्ति के जीवन में साढ़ेसाती का प्रेवेश होता है तो संघर्ष बढ़ने लगता है कार्यों में बाधायें आने लगती हैं व्यक्ति को बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है जीवन में उतार-चढाव बहुत बढ़ जाते हैं परन्तु साढ़ेसाती के दौरान होने वाले इस संघर्ष का एक दूसरा पक्ष भी है हमारे अनेको पूर्व जन्मों में किये गए या जाने अनजाने में हुए पाप या अशुभ कर्म भी जन्मों से एकत्रित होकर हमारे वर्तमान के साथ जुड़े रहते हैं और साढ़ेसाती के दौरान शनि हमसे संघर्ष और परिश्रम कराकर उन इक्कट्ठे हुए पाप कर्मों को भष्म करके हमारे जीवन को पवित्र कर देते हैं और संघर्ष का सामना कराकर व्यक्ति के "अहंकार" रुपी शत्रु को भी नष्ट कर देते हैं इससे पता चलता है के साढ़ेसाती का हमारे जीवन में आना आवश्यक भी है ये साढ़ेसाती का एक गहन पहलु था। अब यदि ज्योतिष के तकनिकी दृष्टिकोण से देखे तो साढ़ेसाती आने पर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष तो आता है परन्तु साढ़ेसाती का फल कभी भी सब के लिए एक जैसा नहीं होता साढ़ेसाती का फल आपके लिए कैसा होगा यह पूरी तरह आपकी कुंडली की ग्रह स्थिति पर निर्भर करता है कुछ लोगों को संघर्ष का सामना करना पड़ता है तो कुछ लोग साढ़ेसाती के दौरान बहुत उन्नति भी करते हैं। साढ़ेसाती के समय यदि शनि हमारी कुंडली में अपने मित्र ग्रहों पर गोचर करे तो ऐसे में साढ़ेसाती बहुत अच्छा फल करती है।
साढ़ेसाती के उपाय - यदि शनि की साढ़ेसाती या महादशा के दौरान बाधायें आ रही हो तो ये उपाय करें अवश्य लाभ होगा –
1. ॐ शम शनैश्चराय नमः का जप करें।
2. साबुत उड़द का दान करें।
3. शनिवार को पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दिया जलायें।
4. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
वर्तमान समय में शनि वृश्चिक राशि में गोचर कर रहा है और इस समय धनु, वृश्चिक और तुला राशि पर साढ़ेसाती चल रही है तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढैया चल रही है।
26 अक्टूबर 2017 को शनि का धनु राशि में प्रवेश होगा शनि के धनु राशि में प्रवेश से साढ़ेसाती और ढैय्या के वर्तमान समीकरण और प्रभाव में बड़ा परिवर्तन होगा जिसकी पूरी जानकारी हम जल्द ही आपको देंगे।
।। श्री हनुमते नमः।।
ज्योतिष-शास्त्र में शनि से अधिक चर्चित शायद ही कोई दूसरा विषय हो जिसे जानने या पढ़ने के लिए लोग उत्सुक रहते हों। वैसे तो नव-ग्रह में प्रत्येक का अपना अलग महत्व है प्रत्येक ग्रह हमारे जीवन के किसी ना किसी पक्ष को प्रभावित करता ही है परन्तु शनि का यहाँ एक विशेष महत्व है क्योंकि शनि को नव ग्रह में दण्डाधिकारी का पद मिला है परन्तु शनि ग्रह को लेकर समाज और लोगों के मन में बहुत सी भ्रान्तियाँ फैली हुई हैं और इसका कारन पूर्ण ज्ञान या जानकारी का न होना भी है तो आईये ज्योतिष में शनि के महत्व को जाने।
ज्योतिष में शनि का महत्व -
खगोलीय दृष्टि से शनि हमारे सोलर सिस्टम में सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है। ज्योतिष में वर्णित बारह राशियों में शनि को "मकर" और "कुम्भ" राशि का स्वामी मना गया है शनि की उच्च राशि "तुला" तथा नीच राशि "मेष" मानी गयी है शनि को एक क्रोधित ग्रह के रूप में दर्शाया गया है। शनि का वर्ण काला है। शनि की गति नवग्रहों में सबसे धीमी है इसी लिए शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है और बारह राशियों के चक्र को तीस साल में पूरा करता है।
ज्योतिष में शनि को - कर्म, आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, अनुशाशन, दूरदृष्टि, प्राचीन-वस्तु, लोहा, स्टील, कोयला, पेट्रोल, पेट्रोलयम प्रोडक्ट, मशीन, औजार, तपश्या और अध्यात्म का करक मन गया है। स्वास्थ की दृष्टि से शनि हमारे पाचन-तंत्र, हड्डियों के जोड़, बाल, नाखून,और दांतों को नियंत्रित करता है।
प्राचीन ग्रंथों में शनि को दुःख का कारक या दुःख देने वाला ग्रह माना गया है परन्तु कलयुग मशीनों का ही बोलबाला है और शनि मशीनों का कारक ग्रह है इसलिए वर्तमान समय में शनि को एक तकनीकी ग्रह के रूप में देखा जाना चहिये। तकनिकी क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के जीवन में शनि का बड़ा महत्व होता है। यदि किसी की कुंडली में शनि मजबूत हो तो ऐसा व्यक्ति तकनिकी क्षेत्र में सफलता पाता है।
शनि की साढ़ेसाती- साढ़ेसाती ज्योतिष का सर्वाधिक चर्चित विषय है और शायद ही लोगों के मन में किसी अन्य ग्रह स्थिति को लेकर इतना भय रहता हो जितना के साढ़ेसाती को लेकर रहता है पर वास्तविकता पूरी तरह ऐसी नहीं होती
जब गोचरवश शनि हमारी जन्म राशि से बारहवीं राशि में आता है तो साढ़ेसाती आरम्भ हो जाती है साढ़ेसाती के दौरान शनि ढाई साल हमारी राशि से बारहवीं राशि में ढाई साल हमारी राशि में और ढाई साल हमारी राशि से अगली राशि में गोचर करता है इस तरह साडेसात साल पूरे होते हैं। जब किसी व्यक्ति के जीवन में साढ़ेसाती का प्रेवेश होता है तो संघर्ष बढ़ने लगता है कार्यों में बाधायें आने लगती हैं व्यक्ति को बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है जीवन में उतार-चढाव बहुत बढ़ जाते हैं परन्तु साढ़ेसाती के दौरान होने वाले इस संघर्ष का एक दूसरा पक्ष भी है हमारे अनेको पूर्व जन्मों में किये गए या जाने अनजाने में हुए पाप या अशुभ कर्म भी जन्मों से एकत्रित होकर हमारे वर्तमान के साथ जुड़े रहते हैं और साढ़ेसाती के दौरान शनि हमसे संघर्ष और परिश्रम कराकर उन इक्कट्ठे हुए पाप कर्मों को भष्म करके हमारे जीवन को पवित्र कर देते हैं और संघर्ष का सामना कराकर व्यक्ति के "अहंकार" रुपी शत्रु को भी नष्ट कर देते हैं इससे पता चलता है के साढ़ेसाती का हमारे जीवन में आना आवश्यक भी है ये साढ़ेसाती का एक गहन पहलु था। अब यदि ज्योतिष के तकनिकी दृष्टिकोण से देखे तो साढ़ेसाती आने पर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष तो आता है परन्तु साढ़ेसाती का फल कभी भी सब के लिए एक जैसा नहीं होता साढ़ेसाती का फल आपके लिए कैसा होगा यह पूरी तरह आपकी कुंडली की ग्रह स्थिति पर निर्भर करता है कुछ लोगों को संघर्ष का सामना करना पड़ता है तो कुछ लोग साढ़ेसाती के दौरान बहुत उन्नति भी करते हैं। साढ़ेसाती के समय यदि शनि हमारी कुंडली में अपने मित्र ग्रहों पर गोचर करे तो ऐसे में साढ़ेसाती बहुत अच्छा फल करती है।
साढ़ेसाती के उपाय - यदि शनि की साढ़ेसाती या महादशा के दौरान बाधायें आ रही हो तो ये उपाय करें अवश्य लाभ होगा –
1. ॐ शम शनैश्चराय नमः का जप करें।
2. साबुत उड़द का दान करें।
3. शनिवार को पीपल के पेड़ पर सरसों के तेल का दिया जलायें।
4. हनुमान चालीसा का पाठ करें।
वर्तमान समय में शनि वृश्चिक राशि में गोचर कर रहा है और इस समय धनु, वृश्चिक और तुला राशि पर साढ़ेसाती चल रही है तथा मेष और सिंह राशि पर शनि की ढैया चल रही है।
26 अक्टूबर 2017 को शनि का धनु राशि में प्रवेश होगा शनि के धनु राशि में प्रवेश से साढ़ेसाती और ढैय्या के वर्तमान समीकरण और प्रभाव में बड़ा परिवर्तन होगा जिसकी पूरी जानकारी हम जल्द ही आपको देंगे।
।। श्री हनुमते नमः।।
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