Thursday, October 12, 2017

हृदय में रोग

हृदय में रोग
ग्रहों के प्रभाव हृदय आघात एवं हृदय गति
जब भी यूरेनस किसी व्यक्ति की कुंडली में पंचम, या एकादश भाव में हो,
या सिंह, या कुंभ राशि पर हो एवं अश्भ ग्रहों के प्रभाव से दूषित हो रहा हो, तो यह हृदय रोग, या हृदय गतिरोध का कारण हो सकता है।
शनि की मकर एवं कुंभ दोनों ही राशियां हैं एवं ये दोनों राशियां कर्क राशि एवं सिंह राशि से सप्तम राशि होती है। अतः शनि भी हृदय रोग के लिए जिम्मेदार समझा जाने वाला ग्रह है। पर क्योंकि शनि की क्रिया प्रणाली धीरे-धीरे चलती है, अतः यह एकाएक रोग को अंजाम देने वाला ग्रह नहीं होता, बल्कि धीरे-धीरे रोग को अंजाम देता है।
शनि एवं बुध दोनों ही नस के कारक माने जाते हैं, अतः शनि मुख्य रूप से धमनी के छेद को संकरा बना कर रोग को अंजाम देता है। इसी ग्रह के प्रभाव में धमनी धीरे-धीरे संकरी होती चली जाती है एवं एक समय ऐसा आ जाता है कि छेद बंद हो जाता है, जिससे रक्त का प्रवाह रुक जाता है एवं इसी स्थिति को दिल का दौरा पड़ना कहा जाता है
यहां पर सबसे आश्चर्य की बात यह होती है कि शनि अगर रक्त के मार्ग के प्रवाह में अवरोध पैदा करता है, तो चिंता की बात नहीं, क्योंकि शनि को अशुभ ग्रह के नाम से जाना जाता है एवं इसे मृत्युकारक ग्रह के रूप में देखा जाता है।
पर आश्चर्य तो उस समय होता है,
जब इस काम में देव गुरु एवं शुभ ग्रह समझे जाने वाले बृहस्पति का सहयोग प्राप्त होता है। खून में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने पर वह रक्त नलिका के किनारों पर चिपकना शुरू कर देता है एवं धीरे-धीरे खून के प्रवाह के रास्ते में अवरोध पैदा कर देता है। कोलेस्ट्रोल ज्यादा चर्बीयुक्त भोजन के प्रभाव से बढ़ता है एवं चर्बी का कारक बृहस्पति होता है।
अतः किसी व्यक्ति की कुंडली में हृदय रोग के लिए जिम्मेदार राशि कर्क, सिंह, वृश्चिक, मीन, मकर, कुंभ, इनके अधिपति चंद्र, सूर्य, मंगल, यूरेनस, गुरु, शनि के अलावा राहु, केतु होंगे
इसी तरह से कुंडली के चतुर्थ एवं पंचम भाव एवं इनके स्वामी ग्रह, इनमें से ज्यादा से ज्यादा ग्रह एवं भाव में राशि दूषित होगी, तो हृदय रोग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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