धनतेहरस पर शुक्र चन्द्रमाँ का समृद्धिदायक शुभ संयोग ये होगा खरीददारी का शुभ समय -
दीपावली भारतीय संस्कृति और हिन्दू सनातन परम्पराओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विराट स्वरुप वाला पर्व है जिसे पँच पर्व (धनतेहरस, छोटी दीवाली, दीपावली, गौवर्धन, भैया दूज) के रूप में मनाया जाता है पर इसमें भी पंचपर्व के प्रथम दिन का बड़ा विशेष महत्व है जिसे हम "धन त्रियोदशी" या "धनतेहरस" के रूप में मनाते हैं, धनतेहरस के दिन से ही दीवाली के पर्व का आरम्भ हो जाता है, पौराणिक दृष्टि से तो धन तेहरस का विशेष महत्व है ही पर आज के अर्थ-प्रधान समय में समृद्धि प्रदान करने वाले दिन के रूप में धनतेहरस का महत्व बहुत बढ़ गया है। ..............
धनतेहरस का महत्व -
हिन्दू वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि को धन-त्रियोदशी या धनतेहरस के रूप में मनाया जाता है इस बार धनतेहरस का पर्व 17 अक्टूबर मगलवार के दिन मनाया जायेगा, इस दिन घर में नयी वस्तुएं विशेष कर बर्तन, आभूषण, सजावट का सामन नवीन वस्त्र आदि खरीद कर लाने की परम्परा है। .............. अब धनतेहरस के वास्तविक महत्त्व को समझते हैं पौराणिक व्याख्यानों के अनुसार सतयुग में समुन्द्र मंथन के समय कार्तिक कृष्ण त्रियोदशी के ही दिन समुन्द्र से "भगवान धन्वंतरि" का प्राकट्य हुआ था भगवान् धन्वतरि अपने एक हाथ में अमृत कलश और दूसरे हाथ में आयुर्वेद का ग्रन्थ लेकर अनन्त समृद्धि स्वर्ण रजत आभूषण आदि के साथ प्रकट हुए थे तो भगवान् धन्वंतरि के प्राकट्योत्सव के रूप में ही धन त्रियोदशी का पर्व मनाया जाता है उनके नाम धन्वंतरि से ही इस पर्व का नाम धनतेहरस पड़ा, धन्वंतरि को आयुर्वेद के प्रवर्तक और चिकित्सा का देवता माना गया है इसलिए इस दिन आयुर्वेदाचार्य और चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और सबके अच्छे स्वास्थ की कामना करते हैं
धनतेहरस का दूसरा महत्व यम दीपदान को लेकर है इस दिन संध्या के समय प्रदोषकाल में मुख्यद्वार पर यमराज के के निमित्त दीपदान किया जाता है अर्थात दीप प्रज्वलित किया जाता है और स्वस्थ व दीर्घायु की कामना की जाती है यमराज को मृत्यु का देवता माना गया है जो कर्मबन्धनों के अनुरूप व्यक्ति को परिणाम देते हैं धनतेहरस के दिन संध्याकाल में यम-देव के निमित्त दीप प्रज्वलित करने से परिवार के सदश्यों की अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा होती है तथा दीर्घायु प्राप्त होती है। .........
अब धनतेहरस के वर्तमान स्वरुप की बात करते हैं जो आज के समय में बहुत विशेष महत्व रखता है धनतेहरस को समृद्धि प्रदान करने वाला दिन माना गया है क्योंकि इस दिन भगवान् धन्वतरि अमृत से भरा स्वर्ण कलश और स्वर्ण रजत आभूषणों के साथ प्रकट हुए थे इसलिए धनतेहरस का सम्बन्ध जीवन की धन और समृद्धि से जोड़ा गया है इसी लिए धनतेहरस के दिन नए बर्तन, सोना, चाँदी और आभूषणों को खरीदना बाहुत शुभ और समृद्धि देने वाला माना गया है प्राचीन मान्यताओं के अनुसार धनतेहरस पर की गयी खरीददारी से घर की समृद्धि में तेरह गुना वृद्धि होती है इस लिए धनतेहरस पर नवीन वस्तुओं को घर में लाना बहुत ही शुभ और समृद्धि देने वाला माना गया है ……….. धनतेहरस पर विशेष रूप से नये बर्तन, सोना, चाँदी, आभूषण, नए वस्त्र, और गृह-सज्जा का समान खरीदना शुभ माना गया है। .......... इसके अलावा धनतेहरस का दिन एक परमसिद्ध मुहूर्त भी होता है अतः इस दिन नये कार्यों का आरंभ (ऑफिस ओपनिंग, नीवपूजन, गृहप्रवेश, नए घर की बुकिंग, बिजनेस डील आदि) और नए वाहन की खरीददारी भी बहुत शुभ मानी गयी है
इस धनतेहरस पर विशेष - इस बार धनतेहरस पर ज्योतिषीय दृष्टि से जो एक विशेष योग बन रहा है वो हैं शुक्र और चन्द्रमाँ का योग इस समय शुक्र हालाँकि अपनी नीच राशि में है परन्तु शुक्र और चन्द्रमाँ को समृद्धि का एक बहुत शुभ योग माना गया है, शुक्र को धन, ऐश्वर्य वैभव, ज्वैलरी, लग्जरी, लग्जुरियस आइटम्स और सजावटी समान का ग्रह माना गया है और चन्द्रमाँ तो शुभ में वृद्धि और तेज गति का कारक माना गया है इसलिए जब भी गोचर में शुक्र और चन्द्रमाँ एक साथ होते हैं तो उस समय में बाजार के तेजी आती है सजावटी सामान, ज्वैलरी, लग्जुरियस आइटम्स, की बिक्री बढ़ती है, इस बार धनतेहरास पर दोपहर 12 बजकर 18 मिंट पर चन्द्रमाँ के कन्या राशि में प्रवेश करने पर शुक्र और चन्द्रमाँ का शुभ संयोग बन जायेगा जो दीपावली के दिन तक बना रहेगा, तो इस बार धन तेहरस पर शुक्र चन्द्रमाँ का शुभ योग बनना बाजार में खरीददारी को तो बढ़ाएगा ही और लोगो के मन में इस बार इस बार नयी वस्तुओं की खरीददारी को लेकर अधिक उत्साह रहेगा पर इसके साथ साथ शुक्र चन्द्रमाँ के योग में की गयी खरीददारी से घर में समृद्धि भी आएगी क्योंकि ज्योतिषीय दृष्टि से शुक्र चन्द्रमाँ के एक साथ होने पर की गयी खरीददारी व्यक्ति के जीवन में समृद्धि को बढाती है।
धनतेहरस पर खरीददारी के शुभ मुहूर्त -
धनतेहरस का दिन नवीन वस्तुओं की खरीददारी के लिए बहुत शुभ होता है पर इसमें भी यदि विशेष शुभ चौघड़िया मुहूर्तों में खरीददारी की जाये तो यह विशेष समृद्धिदायक होता है 17 अक्टूबर मंगलवार को धनतेहरस के दिन प्रातः 9:18 बजे से दोपहर 1:28 बजे के मध्य चर, लाभ और अमृत के शुभ चौघड़िया मुहूर्त रहेंगे जो खरीददारी करने के लिए बहुत शुभ समय होगा 17 अक्टूबर को धनतेहरस के दिन दोपहर 3 बजे से 4:30 बजे तक राहुकाल रहेगा अतः दोपहर 3 से 4:30 बजे के मध्य खरीददारी से बचें
इसके बाद रात्रि के समय 7:16 से 8:53 के मध्य लाभ चौघड़िया में खरीददारी करना भी शुभ होगा।
शुभ मुहूर्त - प्रातः 9:18 बजे से दोपहर 1:28
रात्रि के समय 7:16 से 8:53 के मध्य
शाम को करें दीपदान -
धनतेहरस वाले दिन संध्या के समय प्रदोषकाल में अपने घर के पूजा स्थल के पास गेहूं की छोटी सी ढेरी बनाकर उसके ऊपर घी का एक दीपक भगवान धन्वंतरि के निमित्त प्रज्वलित करें और पूरे परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और सामृद्धि की प्रार्थना करें इसके बाद घर के मुख्यद्वार पर या घर की दक्षिण दिशा में एक दीपक यमदेव के निमित्त प्रज्वलित करें और परिवार के सदस्यों की दुर्घटनाओं और अकाल मृत्यु से रक्षा की प्रार्थना करें धनतेहरस पर इस प्रकार भगवान् धन्वंतरि और यमदेव के निमित्त दीपदान करने से घर में स्वास्थ और समृद्धि का आगमन होता है।
।। श्री हनुमते नमः।।
दीपावली भारतीय संस्कृति और हिन्दू सनातन परम्पराओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विराट स्वरुप वाला पर्व है जिसे पँच पर्व (धनतेहरस, छोटी दीवाली, दीपावली, गौवर्धन, भैया दूज) के रूप में मनाया जाता है पर इसमें भी पंचपर्व के प्रथम दिन का बड़ा विशेष महत्व है जिसे हम "धन त्रियोदशी" या "धनतेहरस" के रूप में मनाते हैं, धनतेहरस के दिन से ही दीवाली के पर्व का आरम्भ हो जाता है, पौराणिक दृष्टि से तो धन तेहरस का विशेष महत्व है ही पर आज के अर्थ-प्रधान समय में समृद्धि प्रदान करने वाले दिन के रूप में धनतेहरस का महत्व बहुत बढ़ गया है। ..............
धनतेहरस का महत्व -
हिन्दू वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि को धन-त्रियोदशी या धनतेहरस के रूप में मनाया जाता है इस बार धनतेहरस का पर्व 17 अक्टूबर मगलवार के दिन मनाया जायेगा, इस दिन घर में नयी वस्तुएं विशेष कर बर्तन, आभूषण, सजावट का सामन नवीन वस्त्र आदि खरीद कर लाने की परम्परा है। .............. अब धनतेहरस के वास्तविक महत्त्व को समझते हैं पौराणिक व्याख्यानों के अनुसार सतयुग में समुन्द्र मंथन के समय कार्तिक कृष्ण त्रियोदशी के ही दिन समुन्द्र से "भगवान धन्वंतरि" का प्राकट्य हुआ था भगवान् धन्वतरि अपने एक हाथ में अमृत कलश और दूसरे हाथ में आयुर्वेद का ग्रन्थ लेकर अनन्त समृद्धि स्वर्ण रजत आभूषण आदि के साथ प्रकट हुए थे तो भगवान् धन्वंतरि के प्राकट्योत्सव के रूप में ही धन त्रियोदशी का पर्व मनाया जाता है उनके नाम धन्वंतरि से ही इस पर्व का नाम धनतेहरस पड़ा, धन्वंतरि को आयुर्वेद के प्रवर्तक और चिकित्सा का देवता माना गया है इसलिए इस दिन आयुर्वेदाचार्य और चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं और सबके अच्छे स्वास्थ की कामना करते हैं
धनतेहरस का दूसरा महत्व यम दीपदान को लेकर है इस दिन संध्या के समय प्रदोषकाल में मुख्यद्वार पर यमराज के के निमित्त दीपदान किया जाता है अर्थात दीप प्रज्वलित किया जाता है और स्वस्थ व दीर्घायु की कामना की जाती है यमराज को मृत्यु का देवता माना गया है जो कर्मबन्धनों के अनुरूप व्यक्ति को परिणाम देते हैं धनतेहरस के दिन संध्याकाल में यम-देव के निमित्त दीप प्रज्वलित करने से परिवार के सदश्यों की अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं से रक्षा होती है तथा दीर्घायु प्राप्त होती है। .........
अब धनतेहरस के वर्तमान स्वरुप की बात करते हैं जो आज के समय में बहुत विशेष महत्व रखता है धनतेहरस को समृद्धि प्रदान करने वाला दिन माना गया है क्योंकि इस दिन भगवान् धन्वतरि अमृत से भरा स्वर्ण कलश और स्वर्ण रजत आभूषणों के साथ प्रकट हुए थे इसलिए धनतेहरस का सम्बन्ध जीवन की धन और समृद्धि से जोड़ा गया है इसी लिए धनतेहरस के दिन नए बर्तन, सोना, चाँदी और आभूषणों को खरीदना बाहुत शुभ और समृद्धि देने वाला माना गया है प्राचीन मान्यताओं के अनुसार धनतेहरस पर की गयी खरीददारी से घर की समृद्धि में तेरह गुना वृद्धि होती है इस लिए धनतेहरस पर नवीन वस्तुओं को घर में लाना बहुत ही शुभ और समृद्धि देने वाला माना गया है ……….. धनतेहरस पर विशेष रूप से नये बर्तन, सोना, चाँदी, आभूषण, नए वस्त्र, और गृह-सज्जा का समान खरीदना शुभ माना गया है। .......... इसके अलावा धनतेहरस का दिन एक परमसिद्ध मुहूर्त भी होता है अतः इस दिन नये कार्यों का आरंभ (ऑफिस ओपनिंग, नीवपूजन, गृहप्रवेश, नए घर की बुकिंग, बिजनेस डील आदि) और नए वाहन की खरीददारी भी बहुत शुभ मानी गयी है
इस धनतेहरस पर विशेष - इस बार धनतेहरस पर ज्योतिषीय दृष्टि से जो एक विशेष योग बन रहा है वो हैं शुक्र और चन्द्रमाँ का योग इस समय शुक्र हालाँकि अपनी नीच राशि में है परन्तु शुक्र और चन्द्रमाँ को समृद्धि का एक बहुत शुभ योग माना गया है, शुक्र को धन, ऐश्वर्य वैभव, ज्वैलरी, लग्जरी, लग्जुरियस आइटम्स और सजावटी समान का ग्रह माना गया है और चन्द्रमाँ तो शुभ में वृद्धि और तेज गति का कारक माना गया है इसलिए जब भी गोचर में शुक्र और चन्द्रमाँ एक साथ होते हैं तो उस समय में बाजार के तेजी आती है सजावटी सामान, ज्वैलरी, लग्जुरियस आइटम्स, की बिक्री बढ़ती है, इस बार धनतेहरास पर दोपहर 12 बजकर 18 मिंट पर चन्द्रमाँ के कन्या राशि में प्रवेश करने पर शुक्र और चन्द्रमाँ का शुभ संयोग बन जायेगा जो दीपावली के दिन तक बना रहेगा, तो इस बार धन तेहरस पर शुक्र चन्द्रमाँ का शुभ योग बनना बाजार में खरीददारी को तो बढ़ाएगा ही और लोगो के मन में इस बार इस बार नयी वस्तुओं की खरीददारी को लेकर अधिक उत्साह रहेगा पर इसके साथ साथ शुक्र चन्द्रमाँ के योग में की गयी खरीददारी से घर में समृद्धि भी आएगी क्योंकि ज्योतिषीय दृष्टि से शुक्र चन्द्रमाँ के एक साथ होने पर की गयी खरीददारी व्यक्ति के जीवन में समृद्धि को बढाती है।
धनतेहरस पर खरीददारी के शुभ मुहूर्त -
धनतेहरस का दिन नवीन वस्तुओं की खरीददारी के लिए बहुत शुभ होता है पर इसमें भी यदि विशेष शुभ चौघड़िया मुहूर्तों में खरीददारी की जाये तो यह विशेष समृद्धिदायक होता है 17 अक्टूबर मंगलवार को धनतेहरस के दिन प्रातः 9:18 बजे से दोपहर 1:28 बजे के मध्य चर, लाभ और अमृत के शुभ चौघड़िया मुहूर्त रहेंगे जो खरीददारी करने के लिए बहुत शुभ समय होगा 17 अक्टूबर को धनतेहरस के दिन दोपहर 3 बजे से 4:30 बजे तक राहुकाल रहेगा अतः दोपहर 3 से 4:30 बजे के मध्य खरीददारी से बचें
इसके बाद रात्रि के समय 7:16 से 8:53 के मध्य लाभ चौघड़िया में खरीददारी करना भी शुभ होगा।
शुभ मुहूर्त - प्रातः 9:18 बजे से दोपहर 1:28
रात्रि के समय 7:16 से 8:53 के मध्य
शाम को करें दीपदान -
धनतेहरस वाले दिन संध्या के समय प्रदोषकाल में अपने घर के पूजा स्थल के पास गेहूं की छोटी सी ढेरी बनाकर उसके ऊपर घी का एक दीपक भगवान धन्वंतरि के निमित्त प्रज्वलित करें और पूरे परिवार के अच्छे स्वास्थ्य और सामृद्धि की प्रार्थना करें इसके बाद घर के मुख्यद्वार पर या घर की दक्षिण दिशा में एक दीपक यमदेव के निमित्त प्रज्वलित करें और परिवार के सदस्यों की दुर्घटनाओं और अकाल मृत्यु से रक्षा की प्रार्थना करें धनतेहरस पर इस प्रकार भगवान् धन्वंतरि और यमदेव के निमित्त दीपदान करने से घर में स्वास्थ और समृद्धि का आगमन होता है।
।। श्री हनुमते नमः।।
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