||#शुक्रग्रह|| शुक्र प्रेम वासना, आकर्षण शक्ति सुंदरता आदि का कारक ग्रह है,यह शुभ ग्रह है।शुक्र जातक की जीवनी शक्ति का कारक है।इसके बली और शुभ होने से जातक प्रसन्न रहने वाला और प्रेम भावना से पूर्ण होता है।शुक्र पुरुष की कुंडली में पत्नी, प्रेमिका, दाम्पत्य जीवन, वीर्य, पुरुषार्थ, कामवासना का कारक है।इसके आलावा यह खूबसूरत वस्तुओ, अच्छे कपडे, भोगविलास,सांसारिक उपयोगो का प्रमुख कारक है।यह व्यवसाय में होटल व्यवसाय, कॉस्मेटिक, सुंदरता से सम्बन्धीय व्यवसाय का कारक है।जिन जातको का शुक्र बली होकर लग्न, पंचम भाव, पंचमेश से सम्बन्ध रखता है ऐसे जातको की ओर विपरीत लिंग के व्यक्ति बहुत जल्द आकर्षित हो जाते है।5वे भाव , भावेश से किसी पुरुष जातक की कुंडली में बलीशुक्र का सम्बन्ध होने से जातक विपरीत लिंगी के प्रेम के लिए उतावला रहता है ऐसे जातक के प्रेम प्रसंग होते भी है।पाचवे भाव, भावेश ,शुक्र पर यदि पाप ग्रहो शनि राहु में से किन्ही दो या तीनो ग्रहो का प्रभाव होने से प्रेम प्रसंग में दुःख मिलता है शनि राहु केतू ग्रह प्रेमी या प्रेमिका से जातक या जातिका को लड़ाई झगड़ा कराकर या उनके बीच गलत फेमिया कराकर या किसी अन्य तरह से अलग कर देते है।यदि ऐसी स्थिति में बली गुरु का प्रभाव् शुक्र और पंचमेश पंचम भाव पर होता है तब अलगाव नही होता।इसी तरह की स्थिति यदि सप्तम भाव भावेश, और शुक्र से बनती है तब पत्नी से अलगाव होता है।स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव, भावेश और गुरु पर शनि राहु केतु का प्रभाव, सप्तम भाव सप्तमेश पर गुरु की खुद की और अन्य शुभ ग्रहो बली शुक्र पूर्ण बली चंद्र और शुभ बुध का प्रभाव न होने से पति से अलगाव होता है। शुक्र प्रधान जातको के बाल अधिकतर घुंघराले होते है।शुक्र जातक को रोमांटिक ज्यादा बनाता है।शुक्र केंद्र या त्रिकोण का स्वामी होकर कुंडली के केंद्र 1,4,7,10 या 5, 9 त्रिकोण भाव में होने पर व 6 व् 12वे भाव में बैठने पर बली शुक्र जातक को पूर्ण तरह से अपने फल देता है।यदि पीड़ित होगा तब फल में कमी और अशुभ फल भी करेगा।जिन जातको को शुक्र के अशुभ फल मिल रहे है या शुक्र के शुभ फलो में कमी आ रही है वह जातक शुक्र के मन्त्र "ॐ शुं शुक्राय नमः" का जप करे, शुक्र यदि कुंडली में योगकारक है किसी शुभ भाव का स्वामी है तब शुक्र का रत्न ओपल पहनना शुभ रहेगा।मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन लग्न के जातको को बिना कुंडली दिखाए शुक्र का रत्न नही पहनना चाहिए क्योंकि इन लग्न की कुंडलियो में शुक्र की स्थिति मारक, और नैसर्गिक रूप से योगकारक या बहुत अनुकूल नही होती जिस कारण शुक्र का रत्न बिना कुंडली दिखाए नही पहनना चाहिए।एक बात ओर भी कभी भी नीच राशि के ग्रह का रत्न नही पहनना चाहिए।इसके आलावा शुक्र के लिये लक्ष्मी पूजन, खुशबूदार वस्तुओ का उपयोग करे, अच्छे और साफ कपडे पहने, शुक्र यंत्र को सफ़ेद चन्दन से भोजपत्र पर बनाकर शुक्रवार के दिन अभिमंत्रित करके सफ़ेद धागे में बांधकर अपने गले या हाथ की बाजु पर बंधना चाहिए।गाय की सेवा करने से शुक्र के शुभ फल में वृद्धि होती है
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