आपकी जन्म कुंडली में स्पष्ट लिखा हुआ होता है आप नौकरी करेंगे या बिजनेस यह कुंडली देखकर पता लगाया जा सकता है। व्यापार-व्यवसाय का प्रतिनिधि ग्रह बुध होता है। बुध की अच्छी-बुरी स्थिति देखकर पता लगाया जाता है कि आप किस तरह का व्यापार करेंगे। जन्मकुंडली का दशम स्थान कर्म स्थान होता है। इसलिए दशम स्थान में जो ग्रह स्थित हो उसके गुण-स्वभाव के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय होता है आइये जानते हैं दशम भाव में ग्रहों के अनुसार क्या स्थिति बनती है.. यदि दशम भाव में एक से अधिक ग्रह हों तो जो ग्रह सबसे बलवान होता है उसके अनुसार व्यक्ति का व्यापार होता है यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो तो दशमेश यानी दशम ग्रह की राशि का जो स्वामी होता है उसके अनुसार व्यवसाय होता है दशमेश जिन ग्रहों के साथ होता है उनके अनुसार व्यक्ति व्यापार करता है जिन ग्रहों की दशम स्थान पर दृष्टि हो, उनका व्यापार किया जाता है। लग्नेश का भी व्यापार-व्यवसाय पर प्रभाव पड़ता है सूर्य के साथ जो ग्रह स्थित हो सूर्य के साथ जो ग्रह स्थित हो जो ग्रह लग्न में स्थित हों या अपनी दृष्टि से लग्न एवं लग्नेश को प्रभावित कर रहे हों, उनके अनुसार व्यापार होता है सूर्य के साथ जो ग्रह स्थित हो वह भी व्यवसाय पर असर दिखाता है। एकादश भाव या एकादशेश जहां स्थित हो उस राशि की दिशा से लाभ होता है पार्टनरशिप में व्यापार सफल होगा या नहीं यह सप्तम भाव से तथा निजी व्यापार का विचार दशम भाव से किया जाता है बुध संबंधित भाव एवं भावेश की स्थिति अनुकूल होने पर व्यापार से लाभ होता है बुध का दशम भाव से संबंध व्यक्ति को व्यापार की ओर प्रवृत्त करता है। छठे, आठवें और 12हवें भाव में कोई ग्रह न हो और यदि हो तो स्वराशि या उच्च राशि में हो तो व्यक्ति स्वयं के प्रयासों से बहुत बड़ा व्यापारी बनता है लग्नेश एवं भाग्येश अष्टम में न हों। शनि दशम या अष्टम में न हों तो व्यक्ति अकेला ही बिजनेस लीडर बनता है यदि बुध, शुक्र, चंद्र एक-दूसरे से द्वितीयस्थ या द्वादशस्थ हों तो जातक अपने पारिवारिक व्यवसाय को आगे बढ़ाता है।
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