कैरियर चयन के दिशा
निर्देश
परीक्षा का समय चल रहा है |बच्चों के बेहतर
भविष्य के लिए माता पिता हमेशा अच्छी से
अच्छी सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं।
विशेष रूप से वह विद्यार्थी जिसने हाल
ही में दसवीं या बारहवीं
की परीक्षा उत्तीर्ण
की है, उसके बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए माता
पिता को सबसे ज्यादा चिंता यह होती है कि वह कौन
से विषय का चयन करे जो उसके लिए लाभदायक हो।
हमारी कुंडली के ग्रह भविष्य
की दिशा तैयार करने में सहायक होते हैं। हमारा
आने वाला कल कैसा होगा, हमें कैसी-
कैसी समस्याएं या उपलब्धियां हासिल
होंगी.... ज्योतिष विज्ञानं इसलिए दिशा निर्देश के लिए
सर्वश्रेश्ठ माध्यम जाता है एक कुशल ज्योतिषी
काफी सहायक हो सकता है |
जन्मकुंडली में जो सर्वाधिक प्रभावी
ग्रह होता है सामान्यत: व्यक्ति उसी ग्रह से
संबंधित कार्य-व्यवसाय करता है। यदि हमें कार्य व्यवसाय के
बारे में जानकारी मिल जाती है तो शिक्षा
भी उसी से संबंधित होगी।
जन्म कुंडली में सूर्य चंद्र, बुध, गुरु, मंगल व शनि
ग्रह की विशेष भूमिका है। लग्नेश, पंचमेश व
नवमेश तथा इन भावों को भी उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु
देखना चाहिए। लग्नेश निर्बल हुआ तो बुद्धि व भाग्य व्यर्थ हो
जाएंगे, यदि पंचम भाव निर्बल हुआ तो शरीर और
भाग्य क्या करेंगे और यदि भाग्य कमजोर हुआ तो
शरीर व बुद्धि व्यर्थ होंगे।
कुंडली के सभी ग्रह अलग-अलग
क्षेत्र या विषय का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुंडली के
इन ग्रहों को परखकर, इनकी मजबूती या
कमजोरी परखने के बाद अगर अपने कॅरियर या
व्यवसाय का निर्धारण किया जाए तो निश्चित तौर पर जातक अपने उस
क्षेत्र में कभी असफल नहीं होगा।
विद्यार्थी की जन्म कुंडली से
तय करना चाहिए कि वह नौकरी करेगा या व्यवसाय।
विद्यार्थी की 20 से 40 वर्ष
की उम्र के बीच की ग्रह
दशा का अध्ययन कर यह देखना चाहिए कि कौन से ग्रहो के
महादशा है आगे किन ग्रहो कि दशा है उनका सम्बन्ध .
षड्बल , भाव ,भावेश करक , किस प्रकार के कार्य क्षेत्र एवेम
तरक्की के संकेतो का अनुमान मिल रहा है |
जन्मकुंडली के करक ग्रह ही
महत्वपूर्ण मने जाते है | अगर कारक ग्रह कमजोर हैं या
अस्त है, वृद्धावस्था में हैं तो उसके बाद वाले ग्रहों का असर
आरंभ हो जायेगा।
मंगल, शुक्र और सूर्य, शनि करियर की दशा तय करते
हैं।
बुध और गुरु उस क्षेत्र की बुद्धि और शिक्षा प्रदान
करते हैं।
ज्योतिष ग्रंथों में कैरियर चयन हेतु काफी सिद्धांत एवं
नियम है
विद्यार्थी के लग्न ,लग्नेश या लग्न नक्षत्र से किन
ग्रहो का सम्बन्ध बनता है . वही से शिक्षा और
उस पर आधारित व्यवसाय के चयन किया जा सकता है
गणित, जीवविज्ञान, कला, वाणिज्य। मुख्यत
सभी कैरियर के क्षेत्र इन चार से ही
जुड़े होते है
वैदिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू और शनि इन
सात ग्रहों का अपना अलग-अलग क्षेत्र और प्रभाव है।
लेकिन, जब इन ग्रहों का आपसी योग बनता है तो
क्षेत्र और प्रभाव बदल जाते हैं।
जन्मकुंडली का पांचवा भाव हमारे ज्ञान, शिक्षा, और
बुद्धि को दर्शाता है।
बृहस्पति , ज्ञान , शिक्षा और विवेक का नैसर्गिक कारक है।
बृहस्पति कमजोर होता है वो ग्रामर में कमजोर होते है। ऐसे
बच्चों की स्वविवेक क्षमता कम होती
है तथा मैच्योरिटी कम होती है।
बुध बुद्धि और कैचिंग-पावर का कारक होता है | जिन बच्चों
की कुंडली में बुध कमजोर होता है
उन्हें गणनात्मक विषयों में समस्याएं आती हैं
चन्द्रमाँ मन की एकाग्रता को नियंत्रित करता है अतः
कुंडली में पंचम भाव, बृहस्पति, और बुध
की स्थिति शिक्षा को नियंत्रित करती है
तथा चन्द्रमाँ की इसमें सहायक भूमिका
होती है | चन्द्रमाँ कमजोर हो तो ऐसे बच्चे पढाई में
मन नहीं लगा पाते उनकी एकाग्रता
कमजोर होती है।
विद्यार्थी की कुंडली में पंचम
भाव शिक्षा और ज्ञान का भाव होता है तथा उसका
स्वामी कौन है तथा पंचम भाव पर किन-किन ग्रहों
की दृष्टि है, ये ग्रह शुभ-अशुभ है अथवा मित्र-
शत्रु, अधिमित्र हैं |
नवम भाव एवं उसका स्वामी, नवम भाव स्थित ग्रह,
नवम भाव पर ग्रह दृष्टि आदि शुभाशुभ प्रभाव
लग्न के दशम भाव का स्वामी की नवांश
कुंडली में स्थिति |
ग्रहानुसार विषय :-----
गुरु - चिकित्सा, लेखन, अध्यापन , शिक्षा, खाद्य पदार्थ के द्वारा
आय होगी।
सूर्य के प्रबल होने पर आर्ट्स, विज्ञान , इलेक्ट्रॉनिक से
संबंधित शिक्षा |
चंद्रमा - ट्रेवलिंग, टूरिज्म, लेखक, कवि, श्रेष्ठ विचारक बनेगा तथा
बीए, एमए कर श्रेष्ठ चिंतनशील,
योजनाकार
मंगल अनुकूल है तो ऐसा जातक जीव विज्ञान , कला,
भूमि, भवन, निर्माण, खदान, केमिकल आदि से संबंधित शिक्षा |
बुध - बैंक, बीमा, कमीशन,
वित्तीय संस्थान, वाणी से संबंधित कार्य,
ज्योतिष-वैद्य, शिक्षक, वकील, सलाहकार, चार्टड
अकाउंटेंट, इंजीनियर, लेखपाल आदि का कार्य
शुक्र से जातक फैशन, सुगंधित व्यवसाय, श्रेष्ठ कलकलाकार,
मीडिया, मास कम्युनिकेशन, गायन, वादन तथा रत्नों से
संबंधित विषय
शनि ग्रह प्रबंध, लौह तत्व, तेल,
मशीनरी, -
तकनीकी क्षेत्र, गणित आदि विषय का
कारक है।
राहु - कुटिल ज्ञान को दर्शाती है।
केतु – तेजी मंदी तथा अचानक आय देने
वाले कार्य शेयर, तेजी मंदी के बाजार,
सट्टा, प्रतियोगी क्वीज, लॉटरी
आदि।
किसी कुशल ज्योतीषी के द्वारा
कुंडली के ग्रहो का परिक्षण एवेम ग्रहो को अनुकूल
बनाने के ज्योतिषीय उपयो से ज्यादा से ज्यादा सफलता
पाए |
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