Saturday, August 5, 2017

अंगारक योग


अंगारक योग

 मंगल राहु केतु के योग से बनने वाला योग है। जब मंगल की युति राहु या केतु से होती है तब अंगारक योग बनता है। ज्योतिषशास्त्र में इस योग को अशुभ फल देने वाला बताया गया है। लेकिन वास्तव में यह योग सदैव ही अशुभ फल नही देता। इस योग के शुभ-अशुभ फल इस योग की स्थिति पर निर्भर करते है कि यह योग किस प्रकार और कैसी स्थिति में बन रहा है। उसी के अनुसार उतनी ही मात्रा में इस योग के शुभ-अशुभ फल होते है।
यदि मंगल शुभ होकर अशुभ राहु या अशुभ केतु से सम्बन्ध बनाता है तो इस योग के अशुभ फल ही प्राप्त होंगे। इसके विपरीत मंगल और राहु-केतु तीनो कुंडली में शुभ स्थिति में स्थित होकर योग बनाते है तो इस योग के अधिकतर शुभ फल ही प्राप्त होते है।
मंगल कुंडली में योगकारक होकर शुभ और बली स्थिति में स्थित हो राहु-केतु भी शुभ स्थिति में स्थिति हो तथा मंगल का राहु-केतु से सम्बन्ध हो तब भी इस योग के अशुभ फल अधिक मात्रा में प्राप्त न होकर शुभ फल ही प्राप्त होंगे। इसका कारण यह कि राहु-केतु स्वयं योगकारी ग्रहों के साथ सम्बन्ध बनाकर स्वयं योगकारी हो जाते है।
इसी तरह मंगल राहु-केतु का सम्बन्ध(योग) कुंडली में बन रहा हो और इस योग पर अधिक से अधिक शुभ बली ग्रहो का प्रभाव हो तो इस योग के शुभ फल प्राप्त हो जाते है। इसके विपरीत मंगल राहु-केतु का योग कुंडली में बन रहा हो तथा इस योग के साथ शनि भी युति या दृष्टि सम्बन्ध बना ले तो इस योग की अशुभता बहुत अधिक बढ़ जाती है। मंगल के वर्गोत्तम, उच्च, स्वराशि में होने पर इस योग के अशुभ फलो में बहुत कमी होगी ऐसी स्थिति में मंगल राहु-केतु से अधिक बलवान होगा। यही अंगारक योग कर्क राशि में बने तो ऐसी स्थिति में यह योग बहुत काफी मात्रा में अशुभ फल दे सकता है क्योंकि कर्क राशि में मंगल होने से नीच का होकर निर्बल होगा।
इसी प्रकार अन्य प्रकार से भी इस योग पर विचार करना चाहिए।मंगल राहु-केतु योग सप्तम भाव में अधिक अशुभफल दायी होता है कारण ये स्थान वैवाहिक जीवन का है इस भाव में अंगारक योग वैवाहिक जीवन को दूषित करता है।
इस योग में अंतिम बात यही कहना चाहता हूँ कि पहले कुंडली में यह देख लेना आवश्क है कि कोई भी योग किस प्रकार से कैसी स्थिति में बन रहा है क्योंकि कुंडलियो में योग तो बनते ही है लेकिन वह योग कैसी स्थिति में, किस प्रभाव से बन रहे है, कुंडली में इन योग बनाने वाले ग्रहो की स्थिति क्या है, योग बनाने वाले ग्रहो पर किन ग्रहो का प्रभाव है आदि।इस बात का विचार करना अधिक आवश्यक है तभी किसी भी शुभ-अशुभ योग के फलो की उचित जानकारी प्राप्त कर की जा सकती है।
किसी जातक को अंगारक योग के साथ जोड़े जाने वाले अशुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब कुंडली में अंगारक योग बनाने वाले मंगल व राहु अथवा केतु दोनों ही अशुभ हों
कुंडली में मंगल तथा राहु केतु में से किसी के शुभ होने की स्थिति में जातक को अधिक अशुभ फल प्राप्त नहीं होते…
कुडली में मंगल तथा राहु केतु दोनों के शुभ होने की स्थिति में इन ग्रहों का संबंध अशुभ फल देने वाला अंगारक योग न बना कर शुभ फल देने वाला अंगारक योग बनाता है …
उदाहरण के लिए किसी कुंडली के तीसरे घर में अशुभ मंगल का अशुभ राहु अथवा अशुभ केतु के साथ संबंध हो जाने की स्थिति में ऐसी कुंडली में निश्चय ही अशुभ फल प्रदान करने वाले अंगारक योग का निर्माण हो जाता है|
जिसके चलते इस योग के प्रबल प्रभाव में आने वाले जातक अधिक आक्रामक तथा हिंसक होते हैं …
कुंडली में कुछ अन्य विशेष प्रकार के अशुभ प्रभाव होने पर ऐसे जातक भयंकर अपराधी जैसे …
पेशेवर हत्यारे तथा आतंकवादी आदि बन सकते हैं …
दूसरी ओर किसी कुंडली के तीसरे घर में शुभ मंगल का शुभ राहु अथवा शुभ केतु के साथ संबंध हो जाने से कुंडली में बनने वाला अंगारक योग शुभ फलदायी होगा
जिसके प्रभाव में आने वाले जातक उच्च पुलिस अधिकारी सेना अधिकारी, कुशल योद्धा आदि बन सकते हैं |
जो अपनी आक्रमकता तथा पराक्रम का प्रयोग केवल मानवता की रक्षा करने के लिए और अपराधियों को दंडित करने के लिए करते हैं |

1 comment:

  1. nice article .please tell me, I'm Gemini ascendant and have angarak yoga (mars +rahu) in 6 th house in scorpio..is it good or bad? They are exactly 5degrees apart.see more -https://bit.ly/2I5Kaie

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