Wednesday, August 2, 2017

जन्म कुंडली से जानेें साधना में सफलता को योग



जन्म कुंडली से जानेें साधना में सफलता को योग
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प्रथम भाव या चंद्रमा पर शनि की दृष्टि हो तो जातक सफल साधक होता है.
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चंद्रमा नवम भाव में किसी भी ग्रह की दृष्टि से रहित हो तो व्यक्ति श्रेष्ट सन्यासी होता है.
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दशम भाव का स्वामी सातवे घर में हो तो तांत्रिक साधना में सफलता मिलती है
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नवमेश यदि बलवान होकर गुरु या शुक्र के साथ हो तो सफलता मिलती ही है.
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दशमेश दो शुभ ग्रहों के मध्य हो तब भी सफलता प्राप्त होती है .
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यदि सभी ग्रह चंद्रमा और ब्रहस्पति के मध्य हो तो तंत्र के बजाय मंत्र साधना ज्यादा अनुकूल रहती है .
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केन्द्र या त्रिकोण में सभी ग्रह हो तो प्रयत्न करने पर सफलता मिलती ही है.
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गुरु, मंगल और बुध का सम्बन्ध बनता हो तो सफलता मिलती है .
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शुक्र व बुध नवम भाव में हो तो ब्रह्म साक्षात्कार होता है.
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सूर्य उच्च का होकर लग्न के स्वामी के साथ हो तो व्यक्ति श्रेष्ट साधक होता है .
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लग्न के स्वामी पर गुरु की दृष्टि हो तो मन्त्र मर्मज्ञ होता है.
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दशम भाव का स्वामी दशम में ही हो तो साकार साधनों में सफलता मिलती है.
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दशमेश शनि के साथ हो तो तामसी साधनों में सफलता मिलती है.
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राहु अष्टम का हो तो व्यक्ति अद्भुत व गोपनीय तंत्र में प्रयत्नपूर्वक सफलता पा सकता है.
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पंचम भाव से सूर्य का सम्बन्ध बन रहा हो तो शक्ति साधना में सफलता मिलती है.
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नवम भाव में मंगल का सम्बन्ध तो शिवाराधक होकर सफलता पाता है

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