Saturday, August 12, 2017

जन्म पत्रिका में कौनसे योग देते है सच्चा प्रेम ?




जन्म पत्रिका में कौनसे योग देते है सच्चा प्रेम ?
कब प्रेम संबंध शारीरिक स्तर पर भी होते है ?
क्या कुण्डली में ऐसी स्थितियाँ भी है जो संबंधों में बदनामी ,लोकनिंदा तनाव भी देंगी ?
क्या ये संबंध दुनियाँ से छिपे रह सकते है ?
क्या प्रेम संबंधों में अलगाव (Break up) तो नही है ?
क्या एक से अधिक भी प्रेम संबंध होंगे ?
क्या प्रेम संबंध विवाह में परिणित होगें ?
भारतीय ज्योतिष पद्धति के द्वारा हम इन सभी स्थितियों को जन्म पत्रिका के माध्यम से देख भी सकते है ।और विश्लेषित भी कर सकते है और उस समय विशेष की गणना भी कर सकते है । जब इनमे से कोई भी स्थिति हमारे जीवन मे घटित होगी ???
जन्म पत्रिका में कौनसी स्थितियाँ बनाती है प्रेम संबंध :-----
जन्म कुण्डली का पंचम भाव (5 th house) हमारी कला कौशल के साथ प्रेम का ,भावनाओं का और दिल से किये गए कार्य का होता है ।
जन्म कुंडली मे चंद्रमा , शुक्र और मंगल प्रमुख ग्रह है जो अपने आपसी सम्बन्धो के आधार पर व्यक्ति को एक विशेष आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करते है ।तथा जातक को प्रेम करने को वशीभूत करते है ।
चंद्रमा मन का कारक है । जन्म पत्रिका में मजबूत चंद्रमा विचारो को शक्ति प्रदान करता है । मन में कल्पनाशीलता ओर भावनाएँ जगाता है।और जातक परम्पराओ को तोड़कर दुनिया की परवाह किये बगैर आगे बढ़ता है ।
जब कुण्डली में चंद्रमा का संबध किसी भी प्रकार से शुक्र से होता है तो व्यक्ति प्यार में कल्पनाओ की उड़ान भरता है और शीघ्र ही विपरीत लिंग की तरफ आकर्षित हो जाता है ।
जन्म कुंडली में मंगल + शुक्र का संबंध जब जन्म कुंडली में 1, 2, 3, 5, 7, 11,12 भावो में बनता है तब व्यक्ति आकर्षण का केंद्र होता है और साथ ही स्वयं भी विपरीत लिंग की ओर शीघ्र ही आकर्षित होता है।
जन्म कुंडली में जब इन स्थितियों के साथ पंचम भाव तथा पमचमेश से संबंध बनाने वाले किसी भी ग्रह की अथवा चंद्रमा , शुक्र, मंगल से संबंधित दशाएँ अन्तरदशाएँ आती है तो जातक प्रेम करता है ।
जब पंचम भाव अथवा पंचमेश का शुभ संबंध केंद्र त्रिकोण से अथवा एकादश भाव (11 th house) से शुभ भावों में होता है तो ये सच्चा ओर आदर्श प्रेम संबध होता है ।
अगर इन संबंधों में द्वादश भाव भी सम्मलित हो जाता है तो ये प्रेम शारीरिक स्तर पर भी हो जाता है ।!
जब इन सम्बन्धो में अष्टम भाव या अष्टमेश सम्मलित होता है तोे संबंधों में बदनामी , लोकनिंदा , तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है ।
जब प्रेम संबंधों में सप्तम भाव अथवा सप्तमेश का समावेश होता है तो ये संबंध अन्य स्थितियों के सकारात्मक होने पर विवाह में परिणित हो जाते है।
शुभ गुरु और शनि प्रेम संबंधों ओर विवाह की स्थितियों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है
यहां तक कि इनसे गुरु का सबंध कभी भी प्रेम संबंधों को दुनियां के समक्ष उजागर तक नही होने देता ।
सभी वर्ग कुंडलियों , अष्टक वर्ग, ग्रहो के किसी विशेष बल , कुण्डली में बने विशेष संबंधों ओर योगायोगों का , संबंधित शुभ अशुभ दशाओ अन्तरदशाओं , संबंधित शुभ अशुभ गोचर का गहन अध्ययन तथा विश्लेशण करने के बाद ही कहा जा सकता है कि ::----
प्रेम संबधो का कोई दर्दनाक अंत होगा या ये संबंध विवाह के रूप में जीवन को महकाएँगे !!
जन्म कुंडली में सच्चाई जैसी दिखती है वैसी नही होती उसे तो गहराई से ही निकाला जाता है ।
कुछ आसान , आवश्यक और सही समय पर किये गए सही उपाय , कुछ जन्म पत्रिका के अनुसार सकारात्मक ग्रहो का सहयोग और कुछ सही मार्ग का चयन और सही दिशा में किया गया परिश्रम । सुखी और खुशियों से भरा जीवन दे सकता है .....

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