Saturday, August 5, 2017

ज्योतिषीय दृष्टि में घबराहट या अधिकनर्वस होने की समस्या


घबराहट या जल्दी नर्वस होना बहुत सेलोगो के लिए एक बड़ी समस्या बनीरहती है जिसमे व्यक्ति के मन में किसीभी बात को लेकर बहुत जल्दी घबराहटउत्पन्न हो जाती है और व्यक्ति बहुतजल्दी नर्वस हो जाता है उदाहरण केतौर पर कुछ लोगों को भीड़ में याअधिक लोगों के बीच होने पर घबराहटमहसूस होने लगती है तो बहुत सेव्यक्तियों को इंटरवियु या किसी भीकॉम्पटीशन या एग्जाम पर जाते समयबहुत घबराहट होती है इस प्रकार कुछलोग सफर पर जाते समय या किसी बड़ेसमारोह आदि में जाने पर घबराहटमहसूस करते हैं इस समस्या के कारणहमेशा मन में एक भय की स्थिति भीबनी रहती है तो आईये जानते हैं कौनसेग्रह योग व्यक्ति व्यक्ति को घबराहट औरजल्दी नर्वस होने की समस्या देते हैं।

ज्योतिषीय दृष्टि में घबराहट या अधिकनर्वस होने की समस्या के लिए चन्द्रमा, सूर्य तथा कुंडली के लग्न और लग्नेश(प्रथम भाव का स्वामी ग्रह) कोमहत्वपूर्ण माना गया है माना गया है परइनमे भी चन्द्रमाँ  का सर्वाधिक महत्वहोता है। चन्द्रमाँ को ज्योतिष में मन काकारक माना गया है हमारी मानसिकस्थिति, भावनात्मक गतिविधियां, विचारऔर मानसिक शक्ति को चन्द्रमाँ हीनियंत्रित करता है यदि कुंडली में चन्द्रमाँनीच राशि (वृश्चिक) में हो राहु–केतु याशनि के साथ हो इनसे दृष्ट हो अमावश्याका हो या कुंडली के छटे, आठवे भाव मेंहोने से पीड़ित हो तो ऐसे में पीड़ित याकमजोर चन्द्रमाँ के कारण व्यक्ति कोमानसिक अस्थिरता, स्ट्रेस और डिप्रेशनआदि समस्याएं तो होती ही हैं परपीड़ित या कमजोर चन्द्रमाँ ही घबराहटऔर जल्दी नर्वस हो जाने की समस्याउत्पन्न करता है कुंडली में चन्द्रमाँपीड़ित होने पर व्यक्ति की मानसिकशक्ति भी कमजोर हो जाती है जिससेव्यक्ति को नकारात्मक सोच, अपनेआप ही विपरीत परिस्थितियों कीकल्पना करना घबराहट और जल्दीनर्वस हो ने की समस्या अक्सर ही बनीरहती है और छोटी छोटी बातों से भीव्यक्ति बहुत घल्दी नर्वस हो जाता है।इसके अलावा सूर्य को इच्छा शक्ति, आत्मविश्वास और आंतरिकसकारात्मक ऊर्जा का कारक माना गयाहै यदि कुंडली में सूर्य नीच राशि (तुला) में हो राहु या शनि से पीड़ित हो या पापभावों में होने से कमजोर स्थिति में हो तोऐसे में व्यक्ति का आत्मविश्वास औरइच्छाशक्ति बहुत कमजोर पड़ जाती हैऔर जिस कारण व्यक्ति परिस्थितियोंका सामना करने से घबराता है औरजल्दी नर्वस हो जाता है। इसी प्रकारलग्न और लग्नेश भी व्यक्ति केआत्मविश्वास और आंतरिकसकारात्मक ऊर्जाओं को नियंत्रिककरते हैं इसलिए लग्न में कोई पाप योग( ग्रहण योग, गुरु चांडाल योग आदि) बनने पर या लग्नेश नीचस्थ या पापभाव (6,8,12) में होकर पीड़ित होनेपर  भी व्यक्ति आत्मविश्वास औरआंतरिक सकारात्मक ऊर्जाओं की कमीके कारण घबराहट और जल्दी नर्वसहोने की समस्या का सामना करता है।तो उपरोक्त के अनुसार वैसे तो चन्द्रमा, सूर्य और लग्नेश तीनो की ही यहाँसंयुक्त भूमिका होती है पर विशेष रूपसे पीड़ित चन्द्रमाँ ही घबराहट औरनर्वस होने की समस्या का मुख्य कारणहोता है।

यदि कुंडली में चन्द्रमाँ या सूर्य पीड़ितहोने से उपरोक्त समस्याएं उत्पन्न हो रहीहों तो निम्नलिखित उपाय इसमेंलाभदायक होंगे –

ॐ सोम सोमाय नमः कानियमित जाप करें।आदित्य ह्रदय स्तोत्र काप्रतिदिन पाठ करना इस समस्याके लिए अमृत तुल्य है।प्रतिदिन सूर्य को ताम्र पत्र सेजल दें।हनुमान चालीसा का प्रतिदिनपाठ करें।किसी योग्य ज्योतिषी कीसलाह के बाद कुंडली के लग्नेशग्रह का रत्न धारण करें।चाँदी की एक ठोस गोली (5 से10 ग्राम तक) का लॉकेट गले मेंधारण करें।


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