Monday, August 21, 2017

आय प्राप्ति योग


आय प्राप्ति योग
आज के भगदौड़ वाले समय में व्यवसाय या नौकरी में प्रमोशन की चाह सभी के मन में देखी जा सकती है. अक्सर देखने में आता है कि कुछ व्यक्तियों को अत्यधिक परिश्रम के बावजूद भी आशानुरूप सफलता नहीं मिल पाती है और कुछ लोगों को कम मेहनत से ही अच्छी सफलता मिल जाती है. इस का एक कारण ज्योतिष में भी खोजा जा सकता है ज्योतिष अनुसार यह ग्रहों और उनके गोचर का प्रभाव और व्यक्ति के प्राब्धय के प्रभाव होता है .सफलता किसे प्राप्त होगी और कब कोई उन्नति के शिखर पर पहुंचता है इन सब बातों का विचार ज्योतिष द्वारा समझने का प्रयास किया जा सकता है.
कुण्डली विवेचना
जन्म कुण्डली द्वारा व्यक्ति की प्रगत्ति और उन्नती को समझा जा सकता है. कुण्डली में एकादश भाव को आय की प्राप्ति का भाव अर्थात लाभ भाव कहा जाता है इसलिए इस भाव पर उच्च के ग्रहों का गोचर अच्छी सफलता दिलाता है. थोडा़ और सूक्ष्म अध्ययन के लिये नवांश कुण्डली को देखा जाता है. व्यवसाय मे उन्नति के काल को निकालने के लिये दशमांश कुण्डली की विवेचना भी उतनी ही आवश्यक हो जाती है जितनी की डी-1 और डी-9 इन वर्ग कुण्डलियों में दशम भाव दशमेश का सर्वाधिक महत्व होता है. वर्ग कुण्डलियों से जो ग्रह दशम/एकादश भाव या भावेश विशेष संबध बनाते है. उन ग्रहों की दशा, अन्तरदशा में जातक को उन्नति मिलने की संभावना रहती है. इसी प्रकार बली ग्रहों की तथा शुभ ग्रहों की दशा मे भी पदोन्नती मिल सकती है.
दशा विवेचन
कुण्डली में लग्नेश, दशमेश व उच्च के ग्रहों की दशाएं व्यक्ति को जीवन में ऊँचाईयाँ प्रदान करने में सहायक होती हैं. जब इन का संबध व्यवसाय भाव या लाभ भाव के साथ होता है तो व्यक्ति को व्यवसाय या नौकरी में उन्नती व वृद्धि प्राप्त होती है. इन दशाओं का संबध यदि सप्तम या सप्तमेश से हो जाये तो शुभ फलों की प्राप्ति में अधिकता आ जाती है.
कुण्डली के दशम भाव का स्वामी नवांश कुण्डली में जिस राशि में जाये उसके स्वामी के अनुसार व्यक्ति का व्यवसाय व उस पर बली ग्रह की दशा/ गोचर उन्नति के मार्ग प्रशस्त करता है, इन ग्रहों की दशा में व्यक्ति को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के अवसर प्राप्त होते हैं. यदि इस समय व्यक्ति परिश्रम के द्वारा कार्यों को करने का प्रयास करे तो उसे निश्च्य ही सफलता मिलती है. कुण्डली में उन्नति के योग हो, पद लग्न पर शुभ प्रभाव हो, दशवे घर व ग्यारहवें घर से जुड़ी दशाएं हो व गुरु शनि का गोचर हो तो व्यक्ति को मिलने वाली उन्नति को कोई नहीं रोक सकता है.
इसके अतिरिक्त कुछ ग्रह योग व्यक्ति के जीवन संवार देते हैं. ज्योतिषशास्त्र में बताये गये कुछ उत्तम योग हैं महालक्ष्मी योग, नृप योग आदि. ज्योतिष विधा ग्रह और उनके योगों के आधार पर फल का ज्ञान देता है. महान योगों में महालक्ष्मी योग धन और एश्वर्य प्रदान करने वाला योग है. यह योग कुण्डली में तब बनता है जब धन भाव यानी द्वितीय स्थान का स्वामी बृहस्पति एकादश भाव में बैठकर द्वितीय भाव पर दृष्टि डालता है. यह धनकारक योग माना जाता है। इसी प्रकार एक महान योग है सरस्वती योग यह तब बनता है जब शुक्र बृहस्पति और बुध ग्रह एक दूसरे के साथ हों अथवा केन्द्र में बैठकर एक दूसरे से सम्बन्ध बना रहे हों, युति अथवा दृष्टि किसी प्रकार से सम्बन्ध बनने पर यह योग बनता है यह योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है उस पर विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा रहती है सरस्वती योग वाले व्यक्ति कला, संगीत, लेखन, एवं विद्या से सम्बन्धित किसी भी क्षेत्र में काफी नाम और धन कमाते हैं. इस प्रकार कुण्डली के विस्तार पूर्वक विवेचन द्वारा यह समझा जा सकत अहै कि जीवन में प्रगती व उन्नती के लिए भाग्य का साथ व कर्म की उपयोगिता बहुत आवश्यक होती है.

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