||अस्त ग्रहो को ठीक करने के लिए क्या करना चाहिए??||
जब कोई ग्रह अस्त हो जाता है तो वह अपनी शुभता, और अनुकूल फल देने के बल खो देता है।जब कोई ग्रह हो जाता है तब वह ग्रह अपने नैसर्गिक गुण खो देता है ऐसा ग्रह न अपने कारक तत्वों फल का फल दे पाता है और न उस भाव का शुभ फल जिस भाव का यह अस्त ग्रह स्वामी होता है।सूर्य के आलावा सब ग्रहो अस्त होते है क्योंकि सूर्य के प्रभाव से ही ग्रह अस्त होते है इसी कारण सूर्य एक निश्चित अंश की दुरी पर होने पर ग्रह अस्त माना जाता है।जब चंद्रमा सूर्य से 12अंशो के अंदर होता है तो अस्त हो जाता है इसी तरह मंगल सूर्य से 7अंश, बुध 13अंश, बृहस्पति 11अंश पर, शुक्र 9अंशो पर, शनि 15अंशो पर अस्त होता है।इतने अंशो पर भी ग्रह अस्त हो जाता लेकिन पूरी तरह से नही जब कोई ग्रह सूर्य से 5 से 3अंशो की दुरी पर होता है तब वह् ग्रह पूर्ण अस्त हो जाता है वह बिलकुल ही बलहीन और शुभता विहीन होता है।जब कई या कम से कम 2 से 3 या 2 ग्रह योगकारक होकर पूर्ण अस्त हो जाते है तब जातक के लिए यह स्थिति बहुत नकारात्मक हो जाती है ऐसी कुंडली का बल बहुत कम हो जाता है।6, 8, 12 भाव के स्वामियो का अस्त होना शुभ फल दायक होता है क्योंकि 6,8 12भावेश अधिकांश अशुभ फल दायक होते है जब यह अस्त हो जाते है तब इनके अशुभ फल देने की ताकत भी नष्ट हो जाती है ऐसी स्थिति में यह न शुभ फल दे पाते है और न अशुभ।एक तरह से जातक के लिए 6, 8, 9 भावेश का अस्त होना शुभ होता है।लेकिन जब 6, 8, 12 का स्वामी त्रिकोणेश भी हो तो और उसकी मूलत्रिकोण राशि त्रिकोण में आती हो तब उस ग्रह का अस्त होना शुभ नही होता। जब कोई ग्रह केंद्र या त्रिकोण का स्वामी अस्त हो गया हो तब उस ग्रह का सबसे ठीक उपाय उस ग्रह का रत्न पहनना होता है साथ ही ऐसे ग्रह का मन्त्र जप, पूजा पाठ करना भी ज्यादा से ज्यादा शुभ रहता है।ऐसे अस्त ग्रह की वस्तुओ का दान करना भी सामान्य ठीक रहता है।जब ग्रह अस्त होकर बहुत ज्यादा अशुभ फल कर रहा हो तब ऐसे ग्रह से सम्बंधित वस्तुओ का दान और जप करना अशुभ फल में कमी होकर शुभ फल की वृद्धि होती है।अस्त ग्रहो के लिए ग्रहो से सम्बंधित जड़ भी आती है अस्त ग्रह से सम्बन्धीय जड़ को शुद्ध और अभिमंत्रित करके उसको उस अस्त ग्रह से सम्बंधित रंग के सूती कपड़े और डोरे की सहायता से गले या हाथ की बाजु में पहनना ग्रह की अनुकूलता में वृद्धि करता है।अस्त ग्रहो के लिए हवन या कोई विशेष पूजा करना या कराना भी अस्त ग्रह के अनुकूलता फल में वृद्धि करता ह
जब कोई ग्रह अस्त हो जाता है तो वह अपनी शुभता, और अनुकूल फल देने के बल खो देता है।जब कोई ग्रह हो जाता है तब वह ग्रह अपने नैसर्गिक गुण खो देता है ऐसा ग्रह न अपने कारक तत्वों फल का फल दे पाता है और न उस भाव का शुभ फल जिस भाव का यह अस्त ग्रह स्वामी होता है।सूर्य के आलावा सब ग्रहो अस्त होते है क्योंकि सूर्य के प्रभाव से ही ग्रह अस्त होते है इसी कारण सूर्य एक निश्चित अंश की दुरी पर होने पर ग्रह अस्त माना जाता है।जब चंद्रमा सूर्य से 12अंशो के अंदर होता है तो अस्त हो जाता है इसी तरह मंगल सूर्य से 7अंश, बुध 13अंश, बृहस्पति 11अंश पर, शुक्र 9अंशो पर, शनि 15अंशो पर अस्त होता है।इतने अंशो पर भी ग्रह अस्त हो जाता लेकिन पूरी तरह से नही जब कोई ग्रह सूर्य से 5 से 3अंशो की दुरी पर होता है तब वह् ग्रह पूर्ण अस्त हो जाता है वह बिलकुल ही बलहीन और शुभता विहीन होता है।जब कई या कम से कम 2 से 3 या 2 ग्रह योगकारक होकर पूर्ण अस्त हो जाते है तब जातक के लिए यह स्थिति बहुत नकारात्मक हो जाती है ऐसी कुंडली का बल बहुत कम हो जाता है।6, 8, 12 भाव के स्वामियो का अस्त होना शुभ फल दायक होता है क्योंकि 6,8 12भावेश अधिकांश अशुभ फल दायक होते है जब यह अस्त हो जाते है तब इनके अशुभ फल देने की ताकत भी नष्ट हो जाती है ऐसी स्थिति में यह न शुभ फल दे पाते है और न अशुभ।एक तरह से जातक के लिए 6, 8, 9 भावेश का अस्त होना शुभ होता है।लेकिन जब 6, 8, 12 का स्वामी त्रिकोणेश भी हो तो और उसकी मूलत्रिकोण राशि त्रिकोण में आती हो तब उस ग्रह का अस्त होना शुभ नही होता। जब कोई ग्रह केंद्र या त्रिकोण का स्वामी अस्त हो गया हो तब उस ग्रह का सबसे ठीक उपाय उस ग्रह का रत्न पहनना होता है साथ ही ऐसे ग्रह का मन्त्र जप, पूजा पाठ करना भी ज्यादा से ज्यादा शुभ रहता है।ऐसे अस्त ग्रह की वस्तुओ का दान करना भी सामान्य ठीक रहता है।जब ग्रह अस्त होकर बहुत ज्यादा अशुभ फल कर रहा हो तब ऐसे ग्रह से सम्बंधित वस्तुओ का दान और जप करना अशुभ फल में कमी होकर शुभ फल की वृद्धि होती है।अस्त ग्रहो के लिए ग्रहो से सम्बंधित जड़ भी आती है अस्त ग्रह से सम्बन्धीय जड़ को शुद्ध और अभिमंत्रित करके उसको उस अस्त ग्रह से सम्बंधित रंग के सूती कपड़े और डोरे की सहायता से गले या हाथ की बाजु में पहनना ग्रह की अनुकूलता में वृद्धि करता है।अस्त ग्रहो के लिए हवन या कोई विशेष पूजा करना या कराना भी अस्त ग्रह के अनुकूलता फल में वृद्धि करता ह
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