शनि नौकरी एवं कारोबार
शनि महाराज सबसे लम्बे समय तक किसी भी राशि में होते हैं, अत: इनका प्रभाव भी सबसे अधिक होता है . आज की युवा पीढ़ी सबसे अधिक कैरियर को लेकर चिंतित रहती है. शनि महाराज नौकरी एवं कारोबार पर किस प्रकर से अपना प्रभाव डालते हैं
शनि देव कर्म के स्वामी हैं
जिनकी कुण्डली में शनि देव की शुभ स्थिति होती है उनका करियर ग्राफ निरन्तर आगे बढ़ता रहता है . ग्रह की स्थिति जिनकी कुण्डली में अशुभ होती है उन्हें कारोबार एवं रोजी रोजगार में अनेकों तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ता है. कुण्डली में इनकी उपस्थित एवं शुभ अशुभ के आधार पर व्यक्ति के करियर एवं रोजी रोजगार के विषय में संकेत प्राप्त किया जा सकता है.
चन्द्रमा चंचलता और अस्थिरता का प्रतीक ग्रह है.इस ग्रह के साथ शनि जो कर्म के स्वामी हैं की युति बनती है या किसी प्रकार से इनका सम्बन्ध बनता है तब व्यक्ति के कारोबार एवं नौकरी में स्थिरता नहीं रहती है. मन की चंचलता और अस्थिरता के कारण एक स्थान पर टिक कर किये जाने वाले कार्य में सफलता की संभावना कम रहती है.इस प्रकार की स्थिति जिनकी कुण्डली में बनती है उन्हें कला, लेखन एवं यात्रा सम्बन्धी क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावना अच्छी रहती है.
सूर्य ग्रह के साथ शनि की युति या सम्बन्ध होने पर राजकीय क्षेत्र एवं राजनीति से लाभ प्राप्त होता है परंतु उसे काफी संघर्ष के बाद सफलता मिलती है. शनि जिस भाव में स्थित होता है उस भाव से दूसरे या सातवें घर में सूर्य होने पर भी व्यक्ति को रोजी रोजगार के क्षेत्र में कामयाबी प्राप्त करने के लिए काफी परिश्रम और संघर्ष करना होता है. शनि महाराज बृहस्पति के साथ समभाव में होते हैं
बृहस्पति की राशि धनु अथवा मीन में शनि हो अथवा इनसे सम्बन्ध हो तो शनि जब भी गोचर में धनु या मीन में प्रवेश करता है शुभ फल देता है.इस स्थिति में शनि व्यक्ति को धर्म एवं शिक्षण से सम्बन्धित कार्यों में सफलता और मान सम्मान दिलाता है.
बुध की राशि मिथुन और कन्या से जब शनि का गोचर होता है उस समय राशिश से सम्बन्ध होने पर यह व्यक्ति को व्यवसाय के क्षेत्र में सफलता दिलाता है . बुध के साथ शुभ सम्बन्ध होने पर शनि व्यक्ति को जनसम्पर्क के क्षेत्र, लेखन एवं व्यापार में कामयाबी दिलाता है. जन्म कुण्डली में शुक्र की राशि वृष या तुला में शनि उपस्थित हो तो एवं शुक्र से शनि का किसी प्रकार सम्बन्ध हो तो शनि के वृष या तुला राशि में गोचर के समय अगर व्यक्ति विलासिता एवं सौन्दर्य से सम्बन्धित क्षेत्र में नौकरी करता है अथवा कारोबार तो शनि लाभ दिलाता है.
शनि स्वराशि यानी मकर या कुम्भ में हो तो गोचर में शनि के आने पर व्यक्ति को नौकरी मिलती है अथवा अपना कारोबार शुरू करता है.इस राशि में शनि होने पर व्यक्ति को प्रबंधन के क्षेत्र में सफलता मिलती है.मनोवैज्ञानिक एवं प्रशिक्षक के रूप में कामयाबी हासिल करता है.
मंगल की राशि मेष अथवा वृश्चिक मे शनि होने पर व्यक्ति को मशीनरी, अभियंत्रकी एवं निर्माण से सम्बन्धित क्षेत्र में कामयाबी मिलती है.मंगल और शनि दोनों का गोचर इन्हें इस क्षेत्र में लाभ देता है.
अगर आप इस बात को लेकर परेशान हैं कि आपको किस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहिए तो आप अपनी कुण्डली में शनि की राशि एवं उसे प्रभावित करने वाले ग्रहों और शनि से द्वितीय भाव में स्थित ग्रहों की स्थिति का आंकलन करके अपने लिए उचित क्षेत्र की जानकारी हासिल कर सकते हैं.
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