||#ग्रहो से सम्बंधित #वृक्ष_की_जड़ पहनने से ग्रहो की अनुकूलता||
ग्रहो के शुभ प्रभाव में वृद्धि करने और उनके शुभ फल प्राप्ति के लिए ग्रहो के रत्न पहन लिए जाते है खास तोर से उन ग्रहो के जो ग्रह योगकारक होकर या कोई शुभ भाव का स्वामी होकर शुभ फल देने वाला ग्रह हो लेकिन उसकी स्थिति कुंडली में ख़राब होने से वह नकारात्मक फल दे रहा होता है जिस कारण उसकी शुभता और सकारात्मक फल प्राप्ति के लिए उस ग्रह का रत्न पहनकर उसकी शुभता और शुभ फल देने की क्षमता में वृद्धि कर दी जाती है।रत्न महंगे आते है और इनकी पहचान न होने से अज्ञानता के कारण कई बार फर्जी रत्न भी हम ले आते है जिसका कोई महत्व नही होता।इसी कारण ग्रहो से सम्बंधित पेड़ की जड़ पहनना ग्रहो की शुभता और सकारात्मक शक्ति में वृद्धि करता है।। **सूर्य के लिए बेल वृक्ष की जड़ पहनी जाती है।इसे रविवार के दिन किसी लाल सूती कपडे में पहनकर धुप-दीपक से सूर्य के मन्त्र से अभिमंत्रित करके लाल धागे की सहायता से गले या हाथ की बाजु पर पहना जा सकता है।। **चंद्रमा के लिए खिरनी की जड़ को सफ़ेद सूती कपडे और सफ़ेद धागे की सहायता से धुप दीप और चन्द्र मन्त्र से अभिमंत्रित करके सोमवार की शाम में गले या बाजु में पहन जाता है।। **मंगल के लिए अनंतमूल की जड़ को लाल कपडे में धुप-दीप और मंगल के मन्त्र से अभिमंत्रित करके लाल धागे की सहायता से गले या हाथ की बाजु में धारण किया जाता है।। **बुध के लिए विधारा की जड़ को हरे सूती कपडे में धुप-दीप और बुध मन्त्र से अभिमंत्रित करके गले या हाथ की बाजु में पहना जाता है।। **इसी तरह गुरु के लिए बभनेठी या केले के वृक्ष की जड़ को पीले सूती धागे की सहायता से पीले धागे में धुप दीपक और गुरु मन्त्र से अभिमंत्रित करके गले या बाजु में पहना जाता है।। **शुक के लिए मजीठ की जड़ को सफ़ेद सूती कपडे और सफ़ेद धागे की सहायता से धुप-दीपक और शुक्र मन्त्र से अभिमंत्रित करके गले या बाजु में पहन सकते है।। **शनि के लिए काले धतूरे के बीजो को काले कपडे और काले धागे की सहायता से इसी तरह धुप-दीप और शनिमंत्र से अभिमन्त्रित करके गले या हाथ की बाजु में पहना जाता है।शनि के पुरानी कील का छल्ला बनवाकर गंगा जल से छल्ले को गंगा जल से धोकर शनिवार को शाम में पहन सकते है।।। **राहु के लिए सफ़ेद चन्दन वृक्ष की जड़ को काले या नीले कपड़े में बांधकर धुप-दीप और राहु मन्त्र से अभिमंत्रित करके काले या नीले धागे से गले या हाथ की बाजु में पहनना जाता है।। **केतु के लिए असगन्ध की जड़ को काले सूती कपडे में बांधकर काले धागे की सहायता से धुप-दीपक और केतु मन्त्र से अभिमंत्रित करके शनिवार की शाम को पहनना चाहिए।। किसी भी जड़ को धारण करने से पहले उसे गंगाजल और कच्चे दूध से पंचमृत से शुद्ध जरूर कर लेना चाहिए उसके बाद ही उसे धारण करे।
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