सरकारी नौकरी और ग्रहयोग -
बात चाहे एक या दो दशक पहले की हो या आज की सरकारी नौकरी को लेकर अधिकांश लोगों के मन में प्रश्न बना ही रहता है सरकारी नौकरी के लिये आज भी अधिकांश युवा प्रयासरत रहते हैं कुछ सफल हो पाते हैं और कुछ को केवल संघर्ष का सामना होता है तो आईये जानते हैं कौनसे ग्रह और ग्रहस्थितियां सरकारी नौकरी या सरकार से जुड़कर कार्य करने में हमारी सहायता करती हैं -
"ज्योतिष में सूर्य को सरकार और सरकारी कार्यों का कारक माना गया है अतः सरकारी नौकरी के लिये "सूर्य" की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है इसके आलावा कुंडली का "दसवां" भाव हमारी आजीविका या करियर की स्थिति को दिखता है, "शनि" आजीविका या नौकरी का नैसर्गिक कारक है तथा कुंडली का "छटा' भाव नौकरी को दर्शाता है अतः उपरोक्त घटकों का सूर्य के साथ शुभ सम्बन्ध बनने पर सरकारी नौकरी के योग बनते हैं" -
1. यदि सूर्य बलि होकर दशम भाव में बैठा हो या दशम भाव पर सूर्य की दृष्टि हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है।
2. यदि कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ हो या शनि पर सूर्य की दृष्टि पड़ती हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है।
3. यदि सूर्य बलि होकर कुंडली के छटे भाव में हो तो भी सरकारी नौकरी का योग बनता है।
4. सूर्य कुंडली के बारहवे भाव में हो तो भी सरकारी नौकरी का योग बनता है।
5. यदि शनि "सिंह राशि" में हो और सूर्य ठीक स्थिति में हो तो भी सरकारी नौकरी का योग बनता है।
6. यदि कुंडली में सूर्य स्व-राशि(सिंह) या उच्च-राशि(मेष) में होकर बलि हो तो भी सरकारी नौकरी या सरकार से जुड़कर कोई कार्य करने का योग होता है।
7. सूर्य और बृहस्पति का योग भी यदि शुभ भाव में बना हो तो सरकार में कोई उच्च पद दिलाता है।
8. कुंडली में सूर्य और षष्टेश का योग भी सरकारी नौकरी में सहायक होता है।
" सरकारी नौकरी या सरकार से जुड़े कार्यों में सूर्य की स्थिति का ही सबसे ज्यादा महत्व होता है अतः कुंडली में सूर्य का नीच राशि(तुला) में होना, राहु से पीड़ित होना, अष्टम भाव में होना, डिग्री में कमजोर होना या अन्य प्रकार से पीड़ित होना सरकारी नौकरी या सरकार से जुड़े कार्यों में बाधक होता है और इससे मेहनत करने पर भी संतोषजनक परिणाम नहीं मिल पाते अतः ऊपर बताये गये योगो में सूर्य का बलवान होना बहुत आवश्यक है”
कमजोर सूर्य के लिए उपाय – आदित्य हृदय स्तोत्र का नित्य पाठ करें, सूर्य को रोज जल अर्पित करें, ॐ घृणिः सूर्याय नमः का जाप करें।
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