चौदह मुखी रुद्राक्ष
चौदह मुखी रुद्राक्ष पर चौदह धारिया होती हैं | चौदह मुखी रुद्राक्ष रुद्र के नेत्र से प्रकट हुआ रुद्राक्ष माना जाता है | यह अत्यंत दुर्लभ रुद्राक्षों की श्रेणी में आता है | परम प्रभावशाली तथा अल्प समय में ही शिवजी को प्रसन्न करनेवाला यह चौदह मुखी रुद्राक्ष साक्षात् देवमणि है | पुराणों में इसके बारे में कहा गया है कि यह चौदह विद्या, चौदह मनु, चौदह लोक, चौदह इंद्र का साक्षात् देव स्वरूप है | चौदह मुखी को वृक्ष से उत्पन्न सर्वदेवमय, विशिष्ट एवं दुर्लभ रुद्राक्ष माना जाता है | चतुवर्गों का फल चाहनेवालों को चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए | यह रुद्राक्ष भगवान शिव, तीनों लोकों के स्वामी देवों के देव महादेव का ही स्वरूप एवं उनके रुद्राक्षों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है | चौदह मुखी रुद्राक्ष का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि भगवान शिव स्वयं चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण किया करते थे, इसीलिए चौदह मुखी ही एकमात्र ऐसा रुद्राक्ष है, जिसका एक दाना धारण करने से ही मनुष्य खुद साक्षात् शिव स्वरूप हो जाता है | पौराणिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार एक चौदह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से मनुष्य देवताओं से पूजित होकर सीधे स्वर्ग जाता है तथा जन्मों के संस्कार से अलग होकर पूर्णता की प्राप्ति करता है | चौदह मुखी रुद्राक्ष की शक्तिया अपार हैं |
परमात्मा शिव ने मानव के कष्टों के निवारण हेतु इन्हें उत्पन्न किया है | रूद्राक्ष धारण करने के पश्चात ही मानव का मन अपने शरीर में समाहित इन ग्यारह रूद्रों पर विजय प्राप्त कर पाएगा | इनके धारण से ही मानव के मन द्वारा कल्याणकारी कर्म संभव हो पाएंगे | जिन का फल मानव शरीर को सुख और कल्याण के रूप में प्राप्त होगा | जब मानव रूद्राक्ष पर रूद्रा अभिषेक कर ग्रहण करता है तो उसकी शक्तियां अपार हो जाती हैं |
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