मारक या मारकेश ग्रह।
मारक ग्रह के बारे में तो सुना ही होगा, क्योंकि प्रत्येक कुंडली में कुछ ग्रह मारक का काम करते हैं, माना जाता है कि जब भी इन ग्रहों की दशा या अंतर्दशा आती है तो उस समय यह ग्रह जातक को कष्ट देते हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि सभी को एक जैसा ही कष्ट और परेशानी दें, यह सब अलग-2 लग्नो के हिसाब से कष्ट देते हैं, और यह प्रत्येक कुंडली में शुभ अशुभ ग्रह, ग्रहों की अच्छी व बुरी दृष्टि पर ही निर्भर करता है इसलिए घबराना नहीं चाहिए।
आप अपनी कुंडली चेक कर जान सकते हैं कि कौन सा ग्रह आपके लिए मारक मतलब कष्टकारक होंगे।
कुंडली में लग्न से गिनने पर दूसरा घर और सातवां घर मारक स्थान या भाव कहलाते हैं, (कुछ विद्वान 12वें घर को भी मारक मानते है) इन घरों में जो भी राशि आती है उनके स्वामी मारकेश कहलाते हैं।
----------------------------------------------------------
मारकेश की दशा/अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा में मानसिक व शारीरिक कष्ट, चोट लगना, दुर्घटना होना, कोई लंबी बीमारी, मानसिक तनाव, अपयश, कार्यों में बाधाएं और अड़चने, वैवाहिक जीवन में क्लेश, बिना वजह क्लेश, डर व घबराहट, आत्म विश्वास की कमी आदि परेशानियां हो सकती है।
सौम्य और शुभ ग्रह यदि मारकेश हैं तो इतने कष्टकारी नहीं होते किन्तु यदि पापी और क्रूर ग्रह मारकेश हैं तो फिर कुछ कष्ट अवस्य देते हैं।
चंद्रमा और सूर्य यदि मारकेश हों तो मारकेश होकर भी मारकेश नहीं होते मतलब अशुभ फल नहीं देते।
---------------------------------------------------------
उपाय- यदि मारकेश की दशा/अंतर /प्रत्यंतर चल रहा हो तो घबराना नहीं चाहिए क्योंकि जहां चाह वहां राह होती है, अगर ज्योतिष में कुछ बुरे योग हैं तो वहां उपाय भी हैं।
शिव आराधना से लाभ मिलता है, शिवजलाभिषेख करें।
—मारक ग्रहों की दशा मे उनके उपाय करना चाहिए.
—महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है:–
ॐ हौं ॐ जूं ॐ स: भूर्भुव: स्वःत्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतातॐ भूर्भुव: स्वः ॐ जूं स: हौं ॐ।।
—-इस विषय में राम रक्षा स्त्रोत, महामृत्युंजय मन्त्र, लग्नेश और राशीश के मन्त्रों का अनुष्ठान और गायत्री मन्त्रों द्वारा इनमे कुछ वृद्धि की जा सकती है।
मारक ग्रह के बारे में तो सुना ही होगा, क्योंकि प्रत्येक कुंडली में कुछ ग्रह मारक का काम करते हैं, माना जाता है कि जब भी इन ग्रहों की दशा या अंतर्दशा आती है तो उस समय यह ग्रह जातक को कष्ट देते हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि सभी को एक जैसा ही कष्ट और परेशानी दें, यह सब अलग-2 लग्नो के हिसाब से कष्ट देते हैं, और यह प्रत्येक कुंडली में शुभ अशुभ ग्रह, ग्रहों की अच्छी व बुरी दृष्टि पर ही निर्भर करता है इसलिए घबराना नहीं चाहिए।
आप अपनी कुंडली चेक कर जान सकते हैं कि कौन सा ग्रह आपके लिए मारक मतलब कष्टकारक होंगे।
कुंडली में लग्न से गिनने पर दूसरा घर और सातवां घर मारक स्थान या भाव कहलाते हैं, (कुछ विद्वान 12वें घर को भी मारक मानते है) इन घरों में जो भी राशि आती है उनके स्वामी मारकेश कहलाते हैं।
----------------------------------------------------------
मारकेश की दशा/अंतर्दशा या प्रत्यंतर दशा में मानसिक व शारीरिक कष्ट, चोट लगना, दुर्घटना होना, कोई लंबी बीमारी, मानसिक तनाव, अपयश, कार्यों में बाधाएं और अड़चने, वैवाहिक जीवन में क्लेश, बिना वजह क्लेश, डर व घबराहट, आत्म विश्वास की कमी आदि परेशानियां हो सकती है।
सौम्य और शुभ ग्रह यदि मारकेश हैं तो इतने कष्टकारी नहीं होते किन्तु यदि पापी और क्रूर ग्रह मारकेश हैं तो फिर कुछ कष्ट अवस्य देते हैं।
चंद्रमा और सूर्य यदि मारकेश हों तो मारकेश होकर भी मारकेश नहीं होते मतलब अशुभ फल नहीं देते।
---------------------------------------------------------
उपाय- यदि मारकेश की दशा/अंतर /प्रत्यंतर चल रहा हो तो घबराना नहीं चाहिए क्योंकि जहां चाह वहां राह होती है, अगर ज्योतिष में कुछ बुरे योग हैं तो वहां उपाय भी हैं।
शिव आराधना से लाभ मिलता है, शिवजलाभिषेख करें।
—मारक ग्रहों की दशा मे उनके उपाय करना चाहिए.
—महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है:–
ॐ हौं ॐ जूं ॐ स: भूर्भुव: स्वःत्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतातॐ भूर्भुव: स्वः ॐ जूं स: हौं ॐ।।
—-इस विषय में राम रक्षा स्त्रोत, महामृत्युंजय मन्त्र, लग्नेश और राशीश के मन्त्रों का अनुष्ठान और गायत्री मन्त्रों द्वारा इनमे कुछ वृद्धि की जा सकती है।
No comments:
Post a Comment