दसमुखी रुद्राक्ष
यह रूद्राक्ष साक्षात जर्नादन भगवान का स्वरूप माना जाता है। दशमुखी रूद्राक्ष दशों दिशाओं से आने वाली सकारात्मक ऊर्जा का संचारण करता है। इस रूद्राक्ष को धारण करके अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त किये जा सकते है।
1-इस रूद्राक्ष को धारण करने से यश,धन कीर्ति और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
2- बुद्धि विवेक व स्मरण शक्ति को तेज करने में यह रूद्राक्ष काफी उपयोगी सिद्ध होता है।
3- दशमुखी रूद्राक्ष को पहने से सन्यासियों व योगियों को आत्म ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलती है।
4- जो लोग असमय बीमारियों का शिकार हो जाते हैं उन्हें यह रूद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
5- इस रूद्राक्ष को धारण करने से तमाम प्रकार लौकिक परलौकिक इच्छायें पूरी होती है।
6- नवग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए दसमुखी रूद्राक्ष धारण करना अत्यन्त शुभ माना जाता है।
7- दशमुखी रूद्राक्ष एक प्रकार से रक्षा कवच का काम करता है,इसे गले में धारण करने से नजर टोना-टोटका इत्यादि नकारात्मक ऊर्जा से यह रक्षा करता है।
धारण विधिः- घी का दीपक जलाकर अक्षत पंुज में रख दिया जाये। उसके सामने 10 मुखी का रूद्राक्ष को रख दे। भगवान जर्नादन का ध्यान करके गंगा जल से परिमार्जित कर दे। तत्पश्चात "ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मन्त्र का 108 बार जप करे। जप करते हुये भगवान जर्नादन की मानसी पूजा करने के बाद "ऊँनमो नारायण" का जाप करते हुए रूद्राक्ष को सिर के सहस्रार चक्र के ऊपर रख कर भगवान का ध्यान करे। उसके बाद "त्रेलोक्य विक्रानताय नमस्तेस्तु त्रिविक्रम" कहकर रूद्राक्ष को गले या भुजा में धारण करें। यह साधना किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से त्रयोदशी तिथि तक नित्य करनी चाहिए। उसके पश्चात ही रूद्राक्ष को धारण करना चाहिए।
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