स्त्री रोग योग-:
1. लग्न में शनि, मंगल या केतु हो|
2. सप्तमेश 8, 12वें भाव में हो|
3. सप्तमेश और दुतीयेश पापग्रहो से युक्त हो|
4. नीच का चन्द्रमा सातवें भाव में हो|
5. सातवें भाव में बुध पापग्रहो से दृष्टी हो|
रोग योग:-
षष्ठेश सूर्य के साथ 1 या 8वें भाव में हो, तो मुखरोग|
षष्ठेश चन्द्र के साथ 1 या 8वें भाव में हो, तो तालुरोग|
12वें भाव में गुरू और चन्द्र साथ हों|
मंगल और शनि का योग 6 या 12वें भाव में हो|
लग्नेश रवि का योग 6, 8 व 12वें स्थान में हो|
मंगल और शनि लग्न स्थान या लग्नेश को देखते हों|
सूर्य ,मंगल तथा शनि-तीनों जिस स्थान में हो, उस स्थान वाले अगं पर रोग होता है|
पापी मंगल पापराशि में हो|
शुक्र और मंगल में सूर्य का योग हो|
अष्टमेश और लग्नेश साथ हो|
छठे स्थान पर शनि की पुणॅ दृष्टी हो|
चन्द्र और शनि एक साथ कर्क राशि में हो|
छठे भाव में चन्द्र, शनि और बुध हों, तो जातक कोढ़ी होता है|
अष्टमेश नीच ग्रहों के बीच में हो|
सूर्य पापग्रह द्रारा दृष्ट हो|
1. लग्न में शनि, मंगल या केतु हो|
2. सप्तमेश 8, 12वें भाव में हो|
3. सप्तमेश और दुतीयेश पापग्रहो से युक्त हो|
4. नीच का चन्द्रमा सातवें भाव में हो|
5. सातवें भाव में बुध पापग्रहो से दृष्टी हो|
रोग योग:-
षष्ठेश सूर्य के साथ 1 या 8वें भाव में हो, तो मुखरोग|
षष्ठेश चन्द्र के साथ 1 या 8वें भाव में हो, तो तालुरोग|
12वें भाव में गुरू और चन्द्र साथ हों|
मंगल और शनि का योग 6 या 12वें भाव में हो|
लग्नेश रवि का योग 6, 8 व 12वें स्थान में हो|
मंगल और शनि लग्न स्थान या लग्नेश को देखते हों|
सूर्य ,मंगल तथा शनि-तीनों जिस स्थान में हो, उस स्थान वाले अगं पर रोग होता है|
पापी मंगल पापराशि में हो|
शुक्र और मंगल में सूर्य का योग हो|
अष्टमेश और लग्नेश साथ हो|
छठे स्थान पर शनि की पुणॅ दृष्टी हो|
चन्द्र और शनि एक साथ कर्क राशि में हो|
छठे भाव में चन्द्र, शनि और बुध हों, तो जातक कोढ़ी होता है|
अष्टमेश नीच ग्रहों के बीच में हो|
सूर्य पापग्रह द्रारा दृष्ट हो|
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