Friday, November 3, 2017

द्वितीय भाव में चंद्र का फल


द्वितीय भाव में चंद्र का फल
〰〰〰〰〰〰〰〰
यदि द्वितीय भाव मे चंद्र अपनी उच्च राशि मे स्थित हो तो जातक मणि, मोती आदि बहुमूल्य रत्नों के कोष से युक्त होता है।

यदि द्वितीय भाव मे चंद्र अपने उच्च नवमांश मे स्थित हो तो ऐसे जातक के पास सोना-चांदी से युक्त कोष होता है।

यदि द्वितीय भाव मे चंद्र षडवर्ग शुद्ध हो तो जातक विविध प्रकार के धन कोष से युक्त होता है।

यदि द्वितीय भाव मे चंद्र अपनी नीच राशी मे स्थित हो जातक अवांछित कार्यो में अपना धन खर्च करके धन कोष (बचत या संचित राशि) नष्ट कर देता है।

यदि नीच नवमांश में स्थित चंद्र द्वितीय भाव मे हो तो जातक की खर्च करने की क्षमता नही होती वह संचित धन से रहित होता है।

यही चंद्र यदि पाप ग्रहों के वर्ग में गया हो तो जातक को आजीवन धन सम्बंधित भय बना रहता है।

यदि द्वितीय भाव मे चंद्र अपने मित्र ग्रह की राशि मे स्थित हो तो ऐसे जातक के बेटे धनी होते है।

यदि द्वितीय भाव मे चंद्र अपने मित्र ग्रह के नवमांश मे स्थित हो तो जातक खेती बाड़ी से धन कमाने वाला होता है।

यदि द्वितीय भाव मे चंद्र वर्गोत्तम नवमांश में स्थित हो तो जातक मित्रो के धन से सुख भोगता है।

यदि द्वितीय भाव मे चंद्र शत्रु राशि मे स्थित हो तो जातक चोरी करके धन कमाता है।

यदि शत्रुग्रह के नवमांश में स्थित हो तो जातक विविध कुकर्म करके धन कमाता है।

यही चंद्र अपनी मूल त्रिकोण राशि मे स्थित हो तो जातक की पत्नी धन कमाने वाली होती है वह पत्नी के धन को भोगता है।

No comments:

Post a Comment