वास्तु के अनुसार भवन का नक्शा व् निर्माण """"""""""""""""""""""""""""""''''''
वास्तु एक भवन निर्माण की प्रकिया है कला है । प्रत्येक व्याक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर हो जिसमें वह और उसका परिवार सुख शांति व् प्रसन्नता से रह सके और यह तभी संभव है जब भवन निर्माण में वास्तु के नियमो का पालन किया गया हो क्योंकि वास्तु का उद्देश्य सुख शांति समृद्वि व् प्रसन्नता प्रदान करना होता है ।
वास्तु पांच तत्वों का समन्वय है ये पांच तत्त्व अग्नि जल वायु आकाश व् पृथ्वी होते है इन तत्वों का संतुलन ही वास्तु है और असन्तुलन वास्तु दोष होता है ।वास्तु सम्मत भवन का निर्माण तभी संभव है जब उसमे वास्तु के नियमो का पालन किया गया हो ।
किसी भी भवन निर्माण से पहले भवन का नक्शा वास्तु अनुरूप बनवाते हुये उसके सभी पहलू पर ध्यान रखा जाना आवश्यक है ।साथ ही भवन की आंतरिक साज सज्जा में भी वास्तु के नियमो का पालन किया जाना भी आवश्यक है ।तभी एक वास्तु सम्मत भवन का निर्माण किया जा सकता है
1 ऐसी भूमि का चयन करें जो वास्तु दोष से मुक्त हो ।
2 भवन निर्माण हेतु ऐसी भूमि का चयन करें जो आयताकार या समकोण हो।
वास्तु अनुसार भवन का नक्शा
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किसी भी भवन में उसके मुख्य प्रवेश द्वार का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है
A....यदि आपका भवन पूर्व मुखी है तो प्रवेश द्वार E 3,व् E 4 में बना सकते है जो आपके लिये लाभदायक होगी।
B...यदि आपका भवन पाश्चिम मुखी है तो मुख्य द्वार W 3,W 4 ,W 5,व् व W 8 ,में बनवा सकते है जो शुभ फलदायक होगी ।
C....यदि आपका भवन उत्तर मुखी है तो मुख्य प्रवेश द्वार N 3,N 4, N 5 N 8 में बनवा सकते है जो शुभ फलदायक होगी।
D. ...यदि आपका भवन दक्षिण मुखी है तो मुख्य प्रवेश द्वार S 2 ,S3, S 4 में बनवा सकते है जो शुभ फलदायक होगी।
1 ईशान कोण में पूजा का कमरा, जल का स्रोत रखा जाना चाहिये ।
2 पूर्व के मध्य में केवल स्नानघर होना चाहिये ।
3 आग्नेय कोण में रसोई घर होंना चाहिये ।
4 दक्षिण दिशा में भंडार गृह , शयन गृह होंना चाहिये ।
5 नैतृत्व कोण में मुख्य शयन रूम व् भारी सामान रखा जाना चाहिये ।
6 पाश्चिम में भोजन रूम , स्नान रूम ,व् शौचालय होंना चाहिये ।
7 वाव्यव कोण में शयन रूम बनाया जा सकता है ।
8 उत्तर दिशा में कीमती सामान भंडार, अध्ययन रूम , बनाया जा सकता है।
9 घर भवन का मध्य भाग खुला व् हल्का होंना चाहिये ।
वास्तु के नियमो को ध्यान में रखकर बनाये गये नक्शे के आधार पर भवन का निर्माण किया जाये तो वास्तु के उद्देश्य को पूरा कर सुख शान्ति सम्पति समृद्धि व् प्रसन्नता आदि को प्राप्त किया जा सकता है ।
एक इंजिनियर आर्किटेक्ट कम से कम जगह में सुंदर से सुंदर भवन का निर्माण कर सकता है लेकिन सुख शांति सम्पति वृद्धि समृद्धि व् प्रसन्नता वास्तु के नियमो को ध्यान में रखकर ही प्राप्त किया जा सकता है ।
वास्तु एक भवन निर्माण की प्रकिया है कला है । प्रत्येक व्याक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर हो जिसमें वह और उसका परिवार सुख शांति व् प्रसन्नता से रह सके और यह तभी संभव है जब भवन निर्माण में वास्तु के नियमो का पालन किया गया हो क्योंकि वास्तु का उद्देश्य सुख शांति समृद्वि व् प्रसन्नता प्रदान करना होता है ।
वास्तु पांच तत्वों का समन्वय है ये पांच तत्त्व अग्नि जल वायु आकाश व् पृथ्वी होते है इन तत्वों का संतुलन ही वास्तु है और असन्तुलन वास्तु दोष होता है ।वास्तु सम्मत भवन का निर्माण तभी संभव है जब उसमे वास्तु के नियमो का पालन किया गया हो ।
किसी भी भवन निर्माण से पहले भवन का नक्शा वास्तु अनुरूप बनवाते हुये उसके सभी पहलू पर ध्यान रखा जाना आवश्यक है ।साथ ही भवन की आंतरिक साज सज्जा में भी वास्तु के नियमो का पालन किया जाना भी आवश्यक है ।तभी एक वास्तु सम्मत भवन का निर्माण किया जा सकता है
1 ऐसी भूमि का चयन करें जो वास्तु दोष से मुक्त हो ।
2 भवन निर्माण हेतु ऐसी भूमि का चयन करें जो आयताकार या समकोण हो।
वास्तु अनुसार भवन का नक्शा
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किसी भी भवन में उसके मुख्य प्रवेश द्वार का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है
A....यदि आपका भवन पूर्व मुखी है तो प्रवेश द्वार E 3,व् E 4 में बना सकते है जो आपके लिये लाभदायक होगी।
B...यदि आपका भवन पाश्चिम मुखी है तो मुख्य द्वार W 3,W 4 ,W 5,व् व W 8 ,में बनवा सकते है जो शुभ फलदायक होगी ।
C....यदि आपका भवन उत्तर मुखी है तो मुख्य प्रवेश द्वार N 3,N 4, N 5 N 8 में बनवा सकते है जो शुभ फलदायक होगी।
D. ...यदि आपका भवन दक्षिण मुखी है तो मुख्य प्रवेश द्वार S 2 ,S3, S 4 में बनवा सकते है जो शुभ फलदायक होगी।
1 ईशान कोण में पूजा का कमरा, जल का स्रोत रखा जाना चाहिये ।
2 पूर्व के मध्य में केवल स्नानघर होना चाहिये ।
3 आग्नेय कोण में रसोई घर होंना चाहिये ।
4 दक्षिण दिशा में भंडार गृह , शयन गृह होंना चाहिये ।
5 नैतृत्व कोण में मुख्य शयन रूम व् भारी सामान रखा जाना चाहिये ।
6 पाश्चिम में भोजन रूम , स्नान रूम ,व् शौचालय होंना चाहिये ।
7 वाव्यव कोण में शयन रूम बनाया जा सकता है ।
8 उत्तर दिशा में कीमती सामान भंडार, अध्ययन रूम , बनाया जा सकता है।
9 घर भवन का मध्य भाग खुला व् हल्का होंना चाहिये ।
वास्तु के नियमो को ध्यान में रखकर बनाये गये नक्शे के आधार पर भवन का निर्माण किया जाये तो वास्तु के उद्देश्य को पूरा कर सुख शान्ति सम्पति समृद्धि व् प्रसन्नता आदि को प्राप्त किया जा सकता है ।
एक इंजिनियर आर्किटेक्ट कम से कम जगह में सुंदर से सुंदर भवन का निर्माण कर सकता है लेकिन सुख शांति सम्पति वृद्धि समृद्धि व् प्रसन्नता वास्तु के नियमो को ध्यान में रखकर ही प्राप्त किया जा सकता है ।
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