Thursday, November 23, 2017

शिव आराधना कब और कैसे करें

शिव आराधना कब और कैसे करें

राहु सता रहा हो, मारकेश चल रहा हो, मृत्यु तुल्य कष्ट हो,विवाह न हो रहा हो, विवाह हो गया और विवाह में परेशानियां हो

, मन अशान्त हो, मानसिक परेशानी हो, आर्थिक दिक्कत हो, समाज में सम्मान न मिल रहा हो तो शिव पूजा के उपाय किये जाते हैं

परन्तु शिव पूजा कब की जाये और कैसे की जाये, यह हममें से बहुत कम लोग जानते हैं

इसलिए शिव पूजा का फल नहीं प्राप्त होता है।

शिव पुराण के अनुसार शिव सिद्धि हेतु शिव-पार्वती संवाद :-

भगवन शिव ने पार्वतीजी से कहा :- “एकांत स्थान पर सुखासन में बैठ जाएँ. मन में ईश्वर का स्मरण करते रहें. अब तेजी से सांस अन्दर खींचकर फिर तेजी से पूरी सांस बाहर छोड़कर रोक लें. श्वास इतनी जोर से बाहर छोड़ें कि इसकी आवाज पास बैठे व्यक्ति को भी सुनाई दे.

 इस प्रकार सांस बाहर छोड़ने से वह बहुत देर तक बाहर रुकी रहती है. उस समय श्वास रुकने से मन भी रुक जाता है और आँखों की पुतलियाँ भी रुक जाती हैं. साथ ही आज्ञा चक्र पर दबाव पड़ता है और वह खुल जाता है. श्वास व मन के अल्प कालिक रुकने से अपने आप ही ध्यान होने लगता है और आत्मा का प्रकाश दिखाई देने लगता है. यह विधि शीघ्र ही आज्ञा चक्र को जाग्रत कर देती है.

फिर शिवजी ने पार्वतीजी से कहा :-

रात्रि में एकांत में बैठ जाएँ आँखों बंद करें. हाथों की अँगुलियों से आँखों की पुतलियों को दबाएँ. इस प्रकार दबाने से तारे-सितारे दिखाई देंगे.

कुछ देर दबाये रखें फिर धीरे-धीरे अँगुलियों का दबाव कम करते हुए छोड़ दें तो आपको सूर्य के सामान तेजस्वी गोला दिखाई देगा. इसे तैजस ब्रह्म कहते हैं. इसे देखते रहने का अभ्यास करें.

 कुछ समय के अभ्यास के बाद आप इसे खुली आँखों से भी आकाश में देख सकते हैं. इसके अभ्यास से समस्त विकार नष्ट होते हैं, मन शांत होता है और परमात्मा का बोध होता है.

ऊँ नम: शिवाय का महत्व व जाप पूजा पद्धति :-

ऊँ नम: शिवाय का जप जब आद्रा नक्षत्र हो और चतुर्दशी तिथि हो तो जप अक्षत फलदायक होता है। शिव पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। दूसरी चीज जब आर्द्रा नक्षत्र हो और सूर्य की संक्रांति हो तो जप अक्षत फलदायक होता है। कोई भी समस्या हो,

आपको फल मिलेगा लेकिन शिव पुराण में एक बात का और उल्लेख है कि कलयुग में कर्म भी करने पड़ेंगे। आपके कर्म निष्फल न हो इसलिए कर्म के समय जप करने से आपको भोले बाबा की कृपा प्राप्त होगी। हर नक्षत्र के चार पग होते हैं, मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम पग में आप जाप करते है तो हजारों समस्याओं से बच जाते हैं ।

No comments:

Post a Comment