||#विवाहरेखा|| जिस तरह कुंडली सातवाँ भाव, भावेश शुक्र गुरु की स्थिति विवाह और वैवाहिक और जीवनसाथी के बारे में बताती है उसी तरह हाथ की विवाह रेखा शुक्र और गुरु पर्वत विवाह और संबंधी स्थितियों को बताते है।हाथ की कनिष्का ऊँगली(सबसे ऊँगली के नीचे एक छोटी सी रेखा होती है जिसे विवाह रेखा कहते है।इस रेखा के साथ नीचे या ऊपर चलती हुई अलग से और बारीक़ रेखाए भी हो सकती है जो प्रेम-प्रसंग की होती है यह बारीक़ रेखाएं जातक या जातिका को विपरीत लिंग के व्यक्ति की और बहुत जल्दी झुकाब, लागब कर देती है।इन रेखाओ में जो सबसे गहरी, लंबी रेखा होती है वही विवाह रेखा होती है।विवाह रेखा साफ-सुथरी, लालिमा लिए हुए, लंबी और सीधी हो साथ ही विवाह रेखा को कोई रेखा काट न रही हो, नीचे की ओर या ऊपर की ओर विवाह रेखा का झुकाब न हों, कोई नकारात्मक चिन्ह विवाह रेखा पर न होने से वैवाहिक जीवन सुखद और अच्छा बीतता है।विवाह रेखा से कुछ हल्की रेखाएं ऊपर को उठने से यह विवाह सुख में वृद्धि करती है।गुरु शुक्र पर्वत भी हाथ में बली होने चाहिए विशेष रूप से पुरुष के हाथ में शुक्र पर्वत जो अंगूठे के पास जीवन रेखा की स्थिति से बनता है और स्त्रियों के हाथ में गुरु पर्वत बली होना चाहिए जो तर्जनी ऊँगली जहाँ से शुरू होती है वहाँ होता है।विवाह रेखा सीधी हो कोई अशुभ चिन्ह या योग विवाह रेखा पर न हो साथ ही गुरु पर्वत पर क्रॉस(×) का चिन्ह होने से वैवाहिक जीवन बहुत सुखद होता है ऐसे जातक या जातिका का जीवनसाथी बुद्धिमान और संस्कारी होता है।विवाह रेखा का झुकाब नीचे की ओर हो जाता है तो यह शुभ नही होता इस स्थिति से वैवाहिक जीवन उदासपूर्ण/तनाव से ग्रस्त रहता है यदि विवाह रेखा जहाँ समाप्त होती है वहाँ विवाह रेखा का हल्का सा झुकाब नीचे को होने से जातक या जातिका को अपने जीवनसाथी से कही न कही किसी कारण से दब कर रहता पड़ता या जीवनसाथी का दबाब रहता है।विवाह रेखा को रेखा विवाह रेखा के नीचे से कोई सीधी रेखा आकर काट दे तो यह विवाह होने में देरी और बाधा पैदा करती है ऐसी काटने वाली रेखाएं बारीक़ और हल्की हो तो छोटी बाधाए आती है और जल्दी ख़त्म हो जाती है यदि मोटी और गहरी रेखाएं काटे तो बाधाए गहरी लंबे समय के लिए और गंभीर होती है।विवाह रेखा का टूटना बहुत अशुभ होता है टूटी हुई विवाह रेखा तलाक कराती है या जीवनसाथी की मृत्यु।विवाह रेखा के समाप्ति स्थान पर या समाप्ति स्थान के पास कोई रेखा काटे तो यह किसी तीसरे व्यक्ति के कारण जातक/जातिका के वैवाहिक जीवन में बिघ्न-बाधाए आती है।इन अशुभ और नकारात्मक स्थितियों के साथ यदि विवाह रेखा बली, लंबी सीधी हो गुरु पर्वत उठा हुआ हो गुरु पर्वत पर क्रॉस(×) होने से इस तरह की बाधाओ को कम कर देती है।भाग्यरेखा जो हथेली में नीचे से चलती हुई शनि पर्वत तक जाती है यदि वह चंद्र पर्वत से चालू हो रही है और ऊपर ह्रदय रेखा से जुड़कर गुरु पर्वत की ओर मुड़ गई हो तो यह भी अच्छा वैवाहिक जीवन का योग होता है (ह्रदय रेखा जो विवाह रेखा के नीचे से चालू होकर गुरु या शनि पर्वत तक या इनके आस पास तक जाती है) साथ ही इसी भाग्यरेखा संबंधी योग के साथ गुरु पर्वत पर क्रॉस(×) हो तो यह योग प्रेम विवाह कराता है।विवाह रेखा के साथ ह्रदय रेखा का भी विचार करना भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ह्रदय रेखा प्रेम, आपस में लगाब की सूचक है वैवाहिक रिश्तों में प्यार, अपनापन होना जरुरी होता है तभी वैवाहिक जीवन के सुख का असली महत्व समझ में आता है ह्रदय रेखा वही अभी ऊपर बताई है विवाह रेखा के नीचे होती है और वही से चालू होती है यदि ह्रदय रेखा अपने प्रारंभिक स्थान से चालू होकर सीधी गुरु पर्वत या गुरु पर्वत के पास तक चली जाने से या गुरु शनि पर्वत के बीच गई हो तब यह शुभ वैवाहिक जीवन के लिए शुभ स्थिति होती है ऐसे जातक दिल से किसी को भी अच्छे से समझ सकते है जो वैवाहिक जीवन के लिए जरुरी है।यदि ह्रदय रेखा शनि पर्वत के नीचे समाप्त होती है तो यह वैवाहिक के लिए ज्यादा शुभ फल नही करती क्योंकि ऐसे जातक के अंदर भावनाए ज्यादा नही होती और ऐसे जातक दिल से ज्यादा दिमाक से सोचते है लगाब और मोह इनमे कम होता है।इसके आलावा वैवाहिक जीवन सम्वन्धी कई अन्य ओर भी शुभ-अशुभ योग हाथ में होते है।इस तरह वैवाहिक जीवन और विवाह की स्थिति को हाथ की रेखा और पर्वत से जाना जा सकता है।
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