Monday, November 13, 2017

कुंडली में है गुरुचाण्डाल योग तो उत्पन्न होती हैं ये समस्याएं- बचने के लिए करें ये उपाय

कुंडली में है गुरुचाण्डाल योग तो उत्पन्न होती हैं ये समस्याएं- बचने के लिए करें ये उपाय -  

ज्योतिष में ग्रहों की भिन्न भिन्न युतियों से बनने वाले अनेकों योगो का वर्णन किया गया है जिनमे से कुछ योग बहुत सकारात्मक परिणाम देने वाले होते हैं तो कुछ ग्रहयोग विपरीत और नकारात्मक परिणाम देने वाले होते हैं, गुरु-चाण्डाल योग फलित ज्योतिष में एक बहुत ही प्रसिद्ध योग है जिसका जिक्र अधिकांशतः कुंडली  विश्लेषण के अन्तर्गत मिलता ही रहता है गुरु चाण्डाल योग को एक नकारात्मक और विपरीत परिणाम देने वाला योग माना गया है जिसके जन्मकुंडली में होने से बहुत सी समस्याएं और संघर्ष उत्पन्न होते हैं। ...................

वास्तव में गुरु चाण्डाल योग बृहस्पति और राहु की युति से बनने वाला योग है जब कुंडली में "बृहस्पति" और "राहु" एक साथ स्थित हों तो इसे ही गुरु चाण्डाल योग कहते हैं इस योग में सत्व का कारक बृहस्पति तामसिक ग्रह राहु से पीड़ित हो जाता है और बृहस्पति हमारे जीवन चक्र के बहुत महत्वपूर्ण घटकों का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए इस योग के बनने पर व्यक्ति को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, यदि कुंडली में गुरु-चाण्डाल योग बन रहा हो तो सबसे पहले तो कुंडली के जिस भाव में यह योग बन रहा हो उसे हानि पहुंचता है अर्थात कुंडली के जिस भाव में गुरु चाण्डाल योग बन रहा हो उस भाव से सम्बंधित वस्तुओं या घटकों को लेकर जीवन में संघर्ष उत्पन्न होता है इसके अलावा गुरु चाण्डाल योग बनने पर व्यक्ति की विवेक क्षमता क्षीण हो जाती है व्यक्ति बुद्धिमान होने पर भी अधिक विवेकशील नहीं होता अर्थात अपनी बुद्धि का सही प्रयोग नहीं कर पाता और अच्छे निर्णय नहीं ले पाता ऐसे व्यक्ति को हमेशा एक अच्छे सलाहकार की आवश्यकता होती है,
कुंडली में गुरु चाण्डाल योग बनने पर व्यक्ति क्रोधित व इरिटेटिड स्वभाव का होता है इस योग में व्यक्ति के विवेक अर्थात बृहस्पति को राहु ग्रस लेता है इसलिए ऐसा व्यक्ति अधिकतर क्रोध में अपशब्दों का प्रयोग कर बैठता है, गुरु चाण्डाल योग बनने पर व्यक्ति की शिक्षा में भी बहुत बाधाएं आती हैं तथा इस योग के नकारात्मक प्रभाव के कारण व्यक्ति को धर्म कार्य करने में और अपने अच्छे कार्यों को पूरा करने में बहुत बाधाएं आती है तथा व्यक्ति को अच्छे लोगों व अच्छे गुरु की संगती नहीं मिल पाती।  स्वास्थ पर भी यह योग नकारात्मक प्रभाव डालता है गुरु चाण्डाल बनने पर व्यक्ति को लीवर से सम्बंधित समस्याएं, पीलिया, स्वर्ण क्षमता अर्थात कम सुनाई देने की समस्या और फेट से जुडी समस्याएं भी होती हैं। गुरु चाण्डाल योग होने पर व्यक्ति प्रबंध शक्ति कमजोर होती है अर्थात परिस्थितियों को मैनेज करने में समस्या आती है बृहस्पति को संतान का नैसर्गिक कारक माना गया है इसलिए गुरु-चाण्डाल योग बनने पर संतान सुख में भी बाधा की सम्भावना होती है या संतान के साथ वैचारिक ताल मेल नहीं बैठ पाता।

उपाय -

यदि कुंडली में गुरु चाण्डाल योग होने पर बाधाओं का सामना हो रहा हो तो निम्लिखित उपाय इस योग के नकारात्मक परिणाम को कम करने में अवश्य सहायक होंगे -

1. ॐ ग्राम ग्रीम ग्रौम सः गुरवे नमः का नियमित जाप करें (एक माला रोज)

2. प्रत्येक बृहस्पतिवार को भीगी हुई चने की दाल और गुड़ गाय को खिलाएं।

3. मस्तक पर हल्दी का तिलक लगाएं।

4. प्रत्येक शनिवार को साबुत उडद गरीब व्यक्ति को दान करें।

5. प्रतिदिन पक्षियों को भोजन दें।

6. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

7. ज्योतिषीय सलाह के बाद बृहस्पति का रत्न सुनैहला भी पहन सकते हैं .
 


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