प्रशासनिक अधिकारी बनने के योग
कुण्डली में बनने वाले योग ही बताते है कि व्यक्ति की आजीविका का क्षेत्र क्या रहेगा। प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश की लालसा अधिकांश लोगों में रहती है, बनते बिरले ही हैं। आई. ए. एस. जैसे उच्च पद की प्राप्ति के लिये व्यक्ति की कुण्डली में सर्वप्रथम शिक्षा का स्तर सर्वोत्तम होना चाहिए। कुंडली के दूसरे, चतुर्थ, पंचम एवं नवम भाव व भावेशों के बली होने पर जातक की शिक्षा उत्तम होती है। शिक्षा के कारक ग्रह बुध, गुरु व मंगल बली होने चाहिए, यदि ये बली हैं तो विशिष्ट शिक्षा मिलती है और जातक के लिए सफलता का मार्ग खोलती है। आईये देखें कि कौन से योग प्रशासनिक अधिकारी के कैरियर में आपको सफलता दिला सकते हैं:
* छठा, पहला व दशम भाव व भावेश बली हों तो प्रतियोगी परीक्षा में सफलता अवश्य मिलती है। सफलता के लिये समर्पण, एकाग्रता एवं परिश्रम की आवश्यकता होती है। इसका बोध तीसरे भाव एवं तृतीयेश के बली होने पर होता है। यदि ये बली हैं तो जातक में समर्पण, एकाग्रता एवं परिश्रम करने की क्षमता होती है और व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा में सफलता की मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
* सूर्य को राजा और गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है। ये दोनों ग्रह मुख्य रूप से प्रशासनिक प्रतियोगिताओं में सफलता और उच्च पद प्राप्ति में सहायक हैं। जनता से अधिक वास्ता पड़ता है इसलिए शनि का बली होना अत्यन्त आवश्यक है। शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच की कड़ी है। मंगल को स्याही व बुध को कलम कहा जाता है और ये बली हों तो जातक अपनी कलम का लोहा नौकरी में अवश्य मनवाता है।
* किसी भी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में सफलता के लिये लग्न, षष्टम, तथा दशम भावो/ भावेशों का शक्तिशाली होना तथा इनमे पारस्परिक संबन्ध होना आवश्यक है। ये भाव/ भावेश जितने समर्थ होगें और उनमें पारस्परिक सम्बन्ध जितने गहरे होगें उतनी ही उंचाई तक व्यक्ति जा सकेगा।
* सफलता के लिये पूरी तौर से समर्पण तथा एकाग्र मेहनत की आवश्यकता होती है। इन सब गुणों का बोध तीसरा घर कराता है, जिससे पराक्रम के घर के नाम से जाना जाता है। तीसरा भाव इसलिये भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दशम घर से छठा घर है। इस घर से व्यवसाय के शत्रु देखे जाते है।
* इसके बली होने से व्यक्ति में व्यवसाय के शत्रुओं से लडऩे की क्षमता आती है। यह घर उर्जा देता है। जिससे सफलता की उंचाईयों को छूना संभव हो पाता है।
* कुण्डली के सभी ग्रहों में सूर्य को राजा की उपाधि दी गई है तथा गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है। ये दो ग्रह मुख्य रुप से प्रशासनिक प्रतियोगिताओं में सफलता और उच्च पद प्राप्ति में सहायक ग्रह माने जाते हैं। जिनमें इनका योग बनता है, ऐसे अधिकारियों के मुख्यकार्य मुख्य रुप से जनता की सेवा करना है।
* उनके लिये शनि का महत्व अधिक हो जाता है क्योकि शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच के सेतू है। कई प्रशासनिक अधिकारी नौकरी करते समय भी लेखन को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में सफल हुए है। यह मंगल व बुध की कृपा के बिना संभव नहीं है। मंगल को स्याही व बुध को कलम कहा जाता है।
* प्रशासनिक अधिकारी मे चयन के लिये सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बलिष्ठ होने चाहिए। मंगल से व्यक्ति में साहस, पराक्रम व जोश आता है जो प्रतियोगिताओं में सफलता की प्राप्ति के लिये अत्यन्त आवश्यक है।
* व्यक्ति को आई.ए.एस. बनने के लिये दशम, छठे, तीसरे व लग्न भाव/भावेशों की दशा मिलनी अच्छी होगी।
* भाव एकादश का स्वामी नवम घर में हो या दशम भाव के स्वामी से युति या दृष्ट हो तो व्यक्ति के प्रशासनिक अधिकारी बनने की संभावना बनती है।
* पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र होने पर उसपर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तथा सूर्य भी अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति इन्ही ग्रहों की दशाओं में उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
* लग्नेश और दशमेश स्वग्रही या उच्च के होकर केन्द्र या त्रिकोण में हो और गुरु उच्च का या स्वग्रही हो तो भी व्यक्ति की प्रशासनिक अधिकारी बनने की प्रबल संभावना होती है।
* प्रशासनिक अधिकारी बनकर सफलता पाने के लिए सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बली होने चाहिए।
* मंगल से जातक में साहस एवं पराक्रम आता है जोकि अत्यन्त आवश्यक है। सूर्य से नेतृत्व करने की क्षमता मिलती है, गुरु से विवेक सम्मत निर्णय लेने की क्षमता मिलती है और चन्द्र से शालीनता आती है एवं मस्तिष्क स्थिर रहता है।
* यदि कुण्डली में अमात्यकारक ग्रह बली है अर्थात् स्वराशि, उच्च या वर्गोत्तम में है एवं केन्द्र में हो या तीसरे या दसवें हो तो अत्यन्त उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
* एकादशेश नौवें भाव में हो या दशमेश के साथ युत में हो या दृष्ट हों तो जातक में प्रशासनिक अधिकारी बनने की संभावना अधिक होती है।
* पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र हो औरउस पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो एवं सूर्य अच्छी स्थिति में हो तो जातक इन दशाओं में उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
* लग्नेश और दशमेश स्वराशि या उच्च का होकर केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो और गुरु उच्च या स्वराशि में हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
* लग्न में सूर्य और बुध हो और गुरु की शुभ दृष्टि इन पर हो तो जातक प्रशासनिक सेवा में उच्च पद प्राप्त करने में सफल रहता है।
* आई.ए.एस. बनने के लिये तृतीयेश, षष्ठेश, दशमेश व एकादशेश की दशा मिलनी सोने में सुहागा होता है अर्थात् सफलता निश्चित है।
* तीसरे, छठे, दसवें, एकादश में सर्वाष्टक वर्ग की संख्या बढ़ते क्रम में हो तो प्रशासनिक सेवाओं में धन, यश एवं उन्नति तीनों एक साथ मिलते हैं। ऐसे अधिकारी की सभी प्रशंसा करते हैं।
उक्त ज्योतिष योग कुण्डली में विचार कर आप जातक के प्रशासनिक सेवाओं में सफलता का निर्णय करके जातक को उचित सलाह देकर यश एवं धन के भागी बन सकते हैं। ये योग इस क्षेत्र में अच्छा कैरियर बनाते हैं।
कुण्डली में बनने वाले योग ही बताते है कि व्यक्ति की आजीविका का क्षेत्र क्या रहेगा। प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश की लालसा अधिकांश लोगों में रहती है, बनते बिरले ही हैं। आई. ए. एस. जैसे उच्च पद की प्राप्ति के लिये व्यक्ति की कुण्डली में सर्वप्रथम शिक्षा का स्तर सर्वोत्तम होना चाहिए। कुंडली के दूसरे, चतुर्थ, पंचम एवं नवम भाव व भावेशों के बली होने पर जातक की शिक्षा उत्तम होती है। शिक्षा के कारक ग्रह बुध, गुरु व मंगल बली होने चाहिए, यदि ये बली हैं तो विशिष्ट शिक्षा मिलती है और जातक के लिए सफलता का मार्ग खोलती है। आईये देखें कि कौन से योग प्रशासनिक अधिकारी के कैरियर में आपको सफलता दिला सकते हैं:
* छठा, पहला व दशम भाव व भावेश बली हों तो प्रतियोगी परीक्षा में सफलता अवश्य मिलती है। सफलता के लिये समर्पण, एकाग्रता एवं परिश्रम की आवश्यकता होती है। इसका बोध तीसरे भाव एवं तृतीयेश के बली होने पर होता है। यदि ये बली हैं तो जातक में समर्पण, एकाग्रता एवं परिश्रम करने की क्षमता होती है और व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा में सफलता की मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
* सूर्य को राजा और गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है। ये दोनों ग्रह मुख्य रूप से प्रशासनिक प्रतियोगिताओं में सफलता और उच्च पद प्राप्ति में सहायक हैं। जनता से अधिक वास्ता पड़ता है इसलिए शनि का बली होना अत्यन्त आवश्यक है। शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच की कड़ी है। मंगल को स्याही व बुध को कलम कहा जाता है और ये बली हों तो जातक अपनी कलम का लोहा नौकरी में अवश्य मनवाता है।
* किसी भी प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में सफलता के लिये लग्न, षष्टम, तथा दशम भावो/ भावेशों का शक्तिशाली होना तथा इनमे पारस्परिक संबन्ध होना आवश्यक है। ये भाव/ भावेश जितने समर्थ होगें और उनमें पारस्परिक सम्बन्ध जितने गहरे होगें उतनी ही उंचाई तक व्यक्ति जा सकेगा।
* सफलता के लिये पूरी तौर से समर्पण तथा एकाग्र मेहनत की आवश्यकता होती है। इन सब गुणों का बोध तीसरा घर कराता है, जिससे पराक्रम के घर के नाम से जाना जाता है। तीसरा भाव इसलिये भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दशम घर से छठा घर है। इस घर से व्यवसाय के शत्रु देखे जाते है।
* इसके बली होने से व्यक्ति में व्यवसाय के शत्रुओं से लडऩे की क्षमता आती है। यह घर उर्जा देता है। जिससे सफलता की उंचाईयों को छूना संभव हो पाता है।
* कुण्डली के सभी ग्रहों में सूर्य को राजा की उपाधि दी गई है तथा गुरु को ज्ञान का कारक कहा गया है। ये दो ग्रह मुख्य रुप से प्रशासनिक प्रतियोगिताओं में सफलता और उच्च पद प्राप्ति में सहायक ग्रह माने जाते हैं। जिनमें इनका योग बनता है, ऐसे अधिकारियों के मुख्यकार्य मुख्य रुप से जनता की सेवा करना है।
* उनके लिये शनि का महत्व अधिक हो जाता है क्योकि शनि जनता व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच के सेतू है। कई प्रशासनिक अधिकारी नौकरी करते समय भी लेखन को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में सफल हुए है। यह मंगल व बुध की कृपा के बिना संभव नहीं है। मंगल को स्याही व बुध को कलम कहा जाता है।
* प्रशासनिक अधिकारी मे चयन के लिये सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बलिष्ठ होने चाहिए। मंगल से व्यक्ति में साहस, पराक्रम व जोश आता है जो प्रतियोगिताओं में सफलता की प्राप्ति के लिये अत्यन्त आवश्यक है।
* व्यक्ति को आई.ए.एस. बनने के लिये दशम, छठे, तीसरे व लग्न भाव/भावेशों की दशा मिलनी अच्छी होगी।
* भाव एकादश का स्वामी नवम घर में हो या दशम भाव के स्वामी से युति या दृष्ट हो तो व्यक्ति के प्रशासनिक अधिकारी बनने की संभावना बनती है।
* पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र होने पर उसपर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तथा सूर्य भी अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति इन्ही ग्रहों की दशाओं में उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
* लग्नेश और दशमेश स्वग्रही या उच्च के होकर केन्द्र या त्रिकोण में हो और गुरु उच्च का या स्वग्रही हो तो भी व्यक्ति की प्रशासनिक अधिकारी बनने की प्रबल संभावना होती है।
* प्रशासनिक अधिकारी बनकर सफलता पाने के लिए सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बली होने चाहिए।
* मंगल से जातक में साहस एवं पराक्रम आता है जोकि अत्यन्त आवश्यक है। सूर्य से नेतृत्व करने की क्षमता मिलती है, गुरु से विवेक सम्मत निर्णय लेने की क्षमता मिलती है और चन्द्र से शालीनता आती है एवं मस्तिष्क स्थिर रहता है।
* यदि कुण्डली में अमात्यकारक ग्रह बली है अर्थात् स्वराशि, उच्च या वर्गोत्तम में है एवं केन्द्र में हो या तीसरे या दसवें हो तो अत्यन्त उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
* एकादशेश नौवें भाव में हो या दशमेश के साथ युत में हो या दृष्ट हों तो जातक में प्रशासनिक अधिकारी बनने की संभावना अधिक होती है।
* पंचम भाव में उच्च का गुरु या शुक्र हो औरउस पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो एवं सूर्य अच्छी स्थिति में हो तो जातक इन दशाओं में उच्च प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
* लग्नेश और दशमेश स्वराशि या उच्च का होकर केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो और गुरु उच्च या स्वराशि में हो तो जातक प्रशासनिक अधिकारी बनता है।
* लग्न में सूर्य और बुध हो और गुरु की शुभ दृष्टि इन पर हो तो जातक प्रशासनिक सेवा में उच्च पद प्राप्त करने में सफल रहता है।
* आई.ए.एस. बनने के लिये तृतीयेश, षष्ठेश, दशमेश व एकादशेश की दशा मिलनी सोने में सुहागा होता है अर्थात् सफलता निश्चित है।
* तीसरे, छठे, दसवें, एकादश में सर्वाष्टक वर्ग की संख्या बढ़ते क्रम में हो तो प्रशासनिक सेवाओं में धन, यश एवं उन्नति तीनों एक साथ मिलते हैं। ऐसे अधिकारी की सभी प्रशंसा करते हैं।
उक्त ज्योतिष योग कुण्डली में विचार कर आप जातक के प्रशासनिक सेवाओं में सफलता का निर्णय करके जातक को उचित सलाह देकर यश एवं धन के भागी बन सकते हैं। ये योग इस क्षेत्र में अच्छा कैरियर बनाते हैं।
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