Thursday, February 1, 2018

ज्योतिष में शुक्र

1•भारतीय ज्योतिष में शुक्र

देवता दैत्य गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हैं । प्रेम , विवाह , वीर्य , काम शक्ती, सुगंधित सौन्दर्य सामग्री , कामेच्छा , भोग-विलास , सुख – समृद्धि , नृत्य कला , संगीत , अभिनय , वाहन और जीवन को सुखमय बनाने के संसाधनों के कारक शुक्र देवता का स्वभाव मूलतः सत्रैणमाना जाता है । दक्षिण पूर्व दिशा के स्वामी शुक्र वृष व तुला राशि के स्वामी हैं । दैत्य गुरु शुक्र कन्या राशि में नीच व मीन राशि में उच्च के हो जाते हैं । वृष लग्न की कुंडली में बुद्ध व तुला लग्न की कुंडली में शनी को इष्ट देवता माना जाता है । मकर व मिथुन लग्न की कुंडली के इष्ट देव शुक्र देवता (Shukr Devta ) को ही माना जाता है । शुक् देवता का प्रिय रंग सफ़ेद, धातु रजत व रत्न हीरा है । कुबेर के ख़ज़ाने के रक्षक शुक्र जल तत्व ग्रह हैं और सातवीं दृष्टि से देखते हैं । शुक्र देवता कुंडली के चौथे भाव में दिशा बलि हो जाते हैं । इनकी महादशा अन्य अभी ग्रहों से अधिक बीस वर्ष की होती है । ये भरणी , पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाशाढा नक्षत्र के स्वामी हैं ।

2• शुक्र ग्रह  की कुछ विशेष जानकारी –
दिन: शुक्रवार
रंग: सफ़ेद
दिशा: दक्षिण पूर्व
राशि स्वामी: शुक्र
नक्षत्र स्वामी: भरणी , पूर्वाफाल्गुनी और पूर्वाशाढा
रत्न: हीरा
धातु: रजत
देवी: माँ दुर्गा
मित्र ग्रह: शनी, बुध
शत्रु ग्रह: सूर्य , मंगल
उच्च राशि: मीन
नीच राशि: कन्या
महादशा समय: 20 वर्ष
शुक्र का बीज मंत्र: ॐ शं शुक्राय नमः
3•शुभ शुक्र के लक्षण:
वैवाहिक जीवन में मधुरता रहनाभोग – विलास की वस्तुओं में बढ़ौतरी होनाशयन सुख प्राप्त होनामान यश की प्राप्ति होनापदोन्नति मिलनाजातक मीठा बोलने वाला होता हैजातक गायन , वादन , नृत्य , अभिनय कला में निपुण होता है

4•अशुभ शुक्र के लक्षण :

आर्थिक कष्ट आनास्त्री सुख में कमी आना सांसारिक सुखों में कमी आना गुप्त रोग हो जाना कामवासना का बढ़ जाना दाम्पत्य जीवन में कड़वाहट आना।

5•शुक्र ग्रह की शांति के उपाय –

अशुभ शुक्र के कुप्रभाव को कम करने के लिए चाँदी , चावल , दूध , सफ़ेद वस्त्र का दान करें ।नित नियम से दुर्गा सप्तशी का पाठ करें।
शुक्रवार को कन्या पूजन करें व कन्याओं को भोजन कराएँशुक्रवार का व्रत करें
अगर कुंडली में शुक्र का बलाबल कम हो तो हीरा धारण किया जा सकता है । हीरे को सोने या चांदी में मिडल फ़िंगर में धारण किया जाता है। हीरा धारण करने से पूर्व अपनी कुंडली किसी योग्य ज्योतिषी को अवश्य दिखा लें ।

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