ऋण रोग शत्रु जातक पर हावी रहेगे या जातक
मित्रों आज के समय में अधिकतर लोग अपने विरोधियों से परेशान रहते है तो आज ज्योतिष में आप अपने विरोधियों पर हावी रहेगे या आपके विरोधी आपके उपर हावी रहेगे उसको देखने के लिए ज्योतिषीय फार्मूला लिख रहा हूँ | |
इसका अध्ययन करने के लिए आप अपनी कुंडली के लग्न और लग्नेश के साथ छटशेष यानी की रोगेश और रोग भाव का अध्ययन करे | यदि आपकी कुंडली में लग्न और लग्नेश रोगेस और छटा भाव से मजबूत है तो आप अपने शत्रु पर हावी रहेगे अन्यथा विपरीत सिथ्ती में आपके विरोधी आपके उपर हावी रहेगे |
लग्न के बली होने के लिए उसके उपर लग्नेश की दृष्टी हो या लग्न में ही लग्नेश हो लग्न के उपर पाप ग्रह की दृष्टी न हो और शुभ ग्रह की दृष्टी लग्न पर हो तो लग्न बलि होगा | साथ ही लग्न की डिग्री अच्छी हो वो डिग्री के हिसाब से बलि हो | इसी प्रकार यदि लग्नेश मित्र या उंच राशि में हो शुभ ग्रह से द्रिस्ट या युक्त हो और पाप ग्रह के प्रभाव से मुक्त हो , जिस भाव में सिथत हो उसमे अस्ठ्क वर्ग में पर्याप्त बिंदु लिए हुवे हो तो लग्नेश बली होगा |
इसी प्रकार छ्टे भाव का कमजोर होना आवश्यक है उसका स्वामी नीच राशि में या अपनी शत्रु राशि में हो , छटे भाव में शुभ ग्रह हो आदि कारण से यदि छटा भाव कमजोर हो लग्नेश की अपेक्षा तो जातक हमेशा अपने शत्रु पक्ष पर हावी रहता है | चूँकि ये भाव ऋण रोग को भी दर्शाता है इसिलिय जातक को ऋण रोग भी परेशान नही कर पाते |.
रोगेश और लग्नेश के साथ होने पर जो भी इनमे अपेक्षाकृत ज्यादा बली होगा उसका प्रभाव जातक पर ज्यादा रहेगा |
यदि इस से विपरीत सिथ्ती हो तो फल भी विपरीत समझना चाहिए |
मित्रों आज के समय में अधिकतर लोग अपने विरोधियों से परेशान रहते है तो आज ज्योतिष में आप अपने विरोधियों पर हावी रहेगे या आपके विरोधी आपके उपर हावी रहेगे उसको देखने के लिए ज्योतिषीय फार्मूला लिख रहा हूँ | |
इसका अध्ययन करने के लिए आप अपनी कुंडली के लग्न और लग्नेश के साथ छटशेष यानी की रोगेश और रोग भाव का अध्ययन करे | यदि आपकी कुंडली में लग्न और लग्नेश रोगेस और छटा भाव से मजबूत है तो आप अपने शत्रु पर हावी रहेगे अन्यथा विपरीत सिथ्ती में आपके विरोधी आपके उपर हावी रहेगे |
लग्न के बली होने के लिए उसके उपर लग्नेश की दृष्टी हो या लग्न में ही लग्नेश हो लग्न के उपर पाप ग्रह की दृष्टी न हो और शुभ ग्रह की दृष्टी लग्न पर हो तो लग्न बलि होगा | साथ ही लग्न की डिग्री अच्छी हो वो डिग्री के हिसाब से बलि हो | इसी प्रकार यदि लग्नेश मित्र या उंच राशि में हो शुभ ग्रह से द्रिस्ट या युक्त हो और पाप ग्रह के प्रभाव से मुक्त हो , जिस भाव में सिथत हो उसमे अस्ठ्क वर्ग में पर्याप्त बिंदु लिए हुवे हो तो लग्नेश बली होगा |
इसी प्रकार छ्टे भाव का कमजोर होना आवश्यक है उसका स्वामी नीच राशि में या अपनी शत्रु राशि में हो , छटे भाव में शुभ ग्रह हो आदि कारण से यदि छटा भाव कमजोर हो लग्नेश की अपेक्षा तो जातक हमेशा अपने शत्रु पक्ष पर हावी रहता है | चूँकि ये भाव ऋण रोग को भी दर्शाता है इसिलिय जातक को ऋण रोग भी परेशान नही कर पाते |.
रोगेश और लग्नेश के साथ होने पर जो भी इनमे अपेक्षाकृत ज्यादा बली होगा उसका प्रभाव जातक पर ज्यादा रहेगा |
यदि इस से विपरीत सिथ्ती हो तो फल भी विपरीत समझना चाहिए |
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