Tuesday, February 13, 2018

साझेदारी_व्यापार

||#साझेदारी_व्यापार||                                                साझेदारी का मतलब होता है दो या कई लोगो के बीच एक किसी चीज को लेकर आपसी तालमेल और हिस्सा चाहे वह व्यापार में हो, मकान में हो या किसी भी वस्तु के बीच हो उसे साझेदारी कहते है।कुंडली में साझेदारी का भाव कुंडली का सातवाँ भाव होता है।जब साझे में व्यापार किया जाता है तब सातवे भाव इस भाव का स्वामी और व्यापार कारक बुध गुरु सूर्य शनि को देखा जाता है बुध व्यापार का मुख्य कारक है इस कारण बुध की स्थिति बली और अनुकूल होना बहुत ज्यादा जरूरी होता है।जब सातवे भाव या सप्तमेश(सातवे भाव का स्वामी) का सम्बन्ध कुंडली के दूसरे भाव ग्यारहवे भाव से होता है और यह तीनो भाव/भावेश शुभ और बली स्थिति में होते है तब तब साझे में किए गए व्यापार से बहुत लाभ होता है और जातक साझे के व्यापार में उन्नति करता है क्योंकि सातवाँ भाव साझे के व्यापार का दूसरा भाव धन का और ग्यारहवा भाव आय, लाभ और उन्नति का होता है जब सप्तम भाव, सप्तमेश या दोनों का सम्बन्ध विशेष रूप से ग्यारहवे भाव सहित दूसरे भाव से भी हो तब साझे के व्यापार से बहुत धन लाभ और सफलता मिलती है।ऐसे योग के साथ कुंडली का नवम भाव/भावेश भी बली होना चाहिए क्योंकि यह भाव जातक का भाग्य है और जब भाग्य बली होता है तब सौभाग्य और सफलता जातक के कदम चूमती है।इस सप्तमेश सप्तम, द्वितीयेश द्वितीय भाव, एकादशेश एकादश भाव का यह आपसी सम्बन्ध केंद्र त्रिकोण में होने पर ही अच्छी सफलता मिलती है यह सम्बन्ध यदि 5वें या 11वें भाव में हो तब विशेष शुभ परिणाम साझे के व्यापार से मिलते हैं।सप्तम भाव, सप्तमेश जो ग्रह होगा जिन ग्रहों का प्रभाव सप्तमेश सप्तम भाव पर होगा दूसरे ग्यारहवे भाव/भावेश पर होगा उन कारक ग्रहो से सम्बंधित विषयो से सम्बंधित वस्तुओ का व्यापार जातक को करने पर अच्छी सफलता मिलती है।साझेदारी व्यापार के योग होने पर भी यदि सप्तमेश एकादशेश, व्यापार धन कारक बुध गुरु शनि सूर्य विशेष रूपसे बुध गुरु शनि अस्त हो नीच होकर पीड़ित हो या अन्य तरह से अशुभ हो तब साझेदारी व्यापार में नुकसान उठाना पड़ता है या सप्तमेश धनेश का सम्बन्ध अशुभ होकर 6, 8,12भाव/ भावेश से होने पर भी व्यापार में हानि होती है।इस कारण जब ठीक तरह से कुंडली में साझेदारी व्यापार या व्यापार के योग बन रहे हो तब ही उन्नति, सफलता व्यापार या साझेदारी व्यापार में मिलती है साथ ही ग्रह दशा, गोचर ग्रह भी व्यापार शुरू करते समय या व्यापार के दौरान अनुकूल होनी चाहिए।इस तरह साझेदारी व्यापार योग की ग्रह स्थिति जातक को सफलता दिलाती है।

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